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बांधवगढ़ से आई कजरी बाघिन ने तेंदूखेड़ा झलौन के बाद तेजगढ रेंज के जंगल को बनाया नया ठिकाना.. सागर दमोह और टाइगर रिजर्व की टीम रेस्क्यू में जुटी.. शनिवार को फिर बाघिन की तलाश में जुटेगी टीमें..

दो दिन पहले वाघिन कजरी ने झलोन रेंज की डुकरसता बीट में बैल का किया था शिकार

दमोह। वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व जहां बाघों की संख्या बढ़ती जा रही है और 28 मार्च को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बाघ -बाघिन का जोड़ा लाकर यहां पर छोड़ा गया था जिसमें कजरी नाम की बाघिन ने टाइगर रिजर्व को छोड़कर दमोह जिले के जंगल में अपना मूवमेंट बनाएं हुए हैं बीते तीन दिन से बाघिन कजरी तेन्दूखेड़ा झलौन के जंगल में अपना डेरा जमाए हुए थी जिसके बाद गुरुवार की रात बाघिन कजरी ने अपना एरिया बदल लिया है जहां वो अब तेजगढ़ वन परिक्षेत्र के तेजगढ़ उत्तर बीट के जंगल में बाघिन कजरी का गुरुवार रात से मौजूद होने की जानकारी मिली हैं। 

जानकारी लगते ही  सागर दमोह व नौरादेही अभ्यारण्य एवं वन विभाग के अधिकारी कॉलर आईडी से लोकेशन ले रहे। इसके अलावा वन अमला बाघिन कजरी पर नजर बनाकर निगरानी में जुटा हुआ हैं साथ ही बाघिन को पकड़ने के लिए पिंजरे बुलवाएं गए हैं। इसके अलावा वन्य प्राणी की डाक्टर टीम भी साथ में  मौजूद है। इसके पहले बुधवार को झलोन रेंज की डुकरतसता वीट में वाघिन कजरी के होने की जानकारी मिली थी साथ ही बाघिन ने बैल का शिकार भी किया था और अब वाघिन तेंजगढ रेज की वीट में होने की जानकारी मिली है। झलोन रेंज का जंगल तेजगढ रेंज से लगा हुआ है। 

बाघिन को पकडने के लिए नौरादही अभ्यारंण के डीएफओ डॉ एए अंसारी दमोह डीएफओ एमएस सिंह उईक  एसडीओ  रेखा पटेल तेजगढ़ रेंजर नीरज पाण्डे सर्रा रेंजर वरिंदर सिंह तेन्दूखेड़ा रेंजर मेघा पटेल झलौन रेंजर सृष्टि जैन तारादेही रेंजर देवेंद्र गुर्जर झापन रेंजर टीआर भलावी सहित दमोह सागर, मुहली सिग्रामपुर के रेंजरो के साथ वन अमला भी मौजूद है। जिनके द्वारा बाघिन कजरी का रेस्क्यू किया जाएगां। वन अमला सुबह से देर शाम तक वाघिन की तलाश में जुटा रहा। जहां पर बाघिन कजरी का डेरा डला हुआ है वहां से ररियों, सिमरियां, समदई, कंसा के अलावा अनेक ग्राम में लगे हुए है। इन ग्रामो को लोगो को वाघिन से खतरा हो सकता है। जिन्हे जंगल मं जाने से मना किया गया है और सभी ग्रामों में मुनादी कराई गई है वहीं रेस्क्यू टीम के द्वारा खबर लिखने तक वाघिन का रेस्क्यू नहीं हो पाया था। 

जिस कारण शुक्रवार की रात्रि में वाघिन की सुरक्षा में आस पास जंगल में वन विभाग के अमला की डयूटी लगाई है। आज सुबह से पुनः बाघिन का रेस्क्यू किए जाने के प्रयास किए जाएगे। दमोह डीएफओ एमएस उईके ने कहां है कि अभी वाघिन का रेस्क्यू नहीं हो पाया है। आज सुबह से फिर वाघिन का रेस्क्यू करने का प्रयास किया जाएगा। इस दौरान वन अमला बाघिन की सुरक्षा में जंगल में ही रहेगा। इसके अलावा जहां बाघिन के पहुंचने की जानकारी मिलती है। वहां के आस के ग्रामो के लोगो को लगातर जंगल नहीं जाने के लिए सर्तक किया जा रहा है

बांधवगढ़ से 15 दिन पहले लाया गया बाघ एन-5 लापता, नहीं मिल रही लोकेशन..वहीं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से 15 दिन पहले  टाइगर रिजर्व लाया गया बाघ एन-5 अचानक लापता हो गया है। बाघ की लोकेशन नहीं मिलने से टाइगर रिजर्व प्रबंधन की नींद उड़ी हुई है। डोंगरगांव रेंज अंतर्गत हांटीकाट के जंगल में छोड़े जाने के बाद बाघ एन-5 दूसरे दिन बेचैन देखा गया था। विभाग के मैदानी अमले का अनुमान है कि बाघ वापस बांधवगढ़ चला गया है या फिर किसी खाई या कंदरा में बैठकर आराम कर रहा है। फिलहाल वन विभाग की टीम बाघ की लोकेशन ट्रेस करने में जुटी हुई है।

 इधर बांधवगढ़ से ही लाई गई बाधिन एन-4 (कजरी) को भी डोंगरगांव रेंज के हांटीकाट के जंगल में छोड़ा गया था। टाइगर रिजर्व का यह सबसे सुंदर स्थान है। यहां चट्टानी पहाड़, घास के मैदान तथा बमनेर नदी का उद्म स्थल है। लेकिन कजरी को यहां की वादियां पसंद नहीं आई बाघिन कजरी टाइगर रिजर्व को छोड़कर 50 किमी दूर  दमोह जिले  तेन्दूखेड़ा और झलौन के जंगलों में देखा जा रहा था लेकिन गुरुवार की रात बाघिन कजरी तेजगढ़ रेंज के जंगल में देखी जा रही है। दरअसल, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने नवंबर में कजरी को आदमखोर बताते हुए बाड़े में बंद कर दिया था। कजरी के दो साल उम्र के चार शावक भी हैं अनुमान है कि कजरी का रुख शावकों के कारण बांधवगढ़ की ओर है या फिर कजरी टाइगर रिजर्व का माहौल पसंद नहीं आई है जिसके कारण वह अपना अलग ठिकाना तलाश रही हैं 

गांवों के पास रहने की शौकीन है कजरी..बताया गया है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व लाई गई बाधिन कजरी गांवों के पास रहने की शौकीन है। ग्रामीणों से उसका कई बार सामना हुआ और ग्रामीणों ने ही उसका नाम कजरी रखा था। ग्रामीणों के गुस्से के कारण टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने कजरी को पिछले साल  वर्ष 2023 नवंबर में बाड़े में कैद कर दिया था। जबकि कजरी के दो वर्ष उम्र के तीन शावक भी हैं। इसके पहले सितंबर 2022 में मानपुर परिक्षेत्र के घघोड़ा में कजरी ने मवेशियों पर हमला कर घायल किया था और कई दिन तक गांव के पास घूमती रही। जिसके बाद कजरी को खदेड़ने हाथियों का सहारा लेना पड़ा था 

गांव खाली होते ही बसा दिए बाघ..इधर सागर दमोह और नरसिंहपुर तीन जिलों में फैले टाइगर रिजर्व में बाघों का ज्यादातर मूवमेंट दमोह और सागर जिले के क्षेत्र में है डोंगरगांव रेंज के हांडीकाट, आमापानी, महका, बंदहा सहित दस गांव अभी खाली हुए हैं। इसी से लगे हुए सर्रा रेंज के भी कुछ गांव खाली हुए हैं। गांव खाली होते ही यहां बाघ-बाघिन का जोड़ा छोड़ा गया यह इलाका टाइगर रिजर्व की जीवन दायिनी कही जाने वाली व्यारमा नदी का उद्गम स्थल है। यहां मैदानीइलाका होने के साथ ही चट्टानी पहाड़ व घना जंगल है। विशाल रजक तेन्दूखेड़ा

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