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आखिर तेंदुआ की मौत का जिम्मेदार कौन.. ? वन भूमि पर अवैध कब्जा कर खेती तार फेंसिंग की बजह से जंगल में भागने में नाकाम रहा तेंदूआ.. ! पकड़ने के प्रयास में चौकीदार पर हमले के बाद किया काम तमाम..! मौत की जांच हेतु वन मण्डल स्तर पर समिति गठित..

 तेंदुए की मौत की बजह तय नहीं कर पाया वन विभाग

दमोह। जिले के कुमारी थाना अंतर्गत सगोनी बीट के पड़री के जंगल में शनिवार को तेन्दुए दस्तक चहलकदमी और वन विभाग द्वारा उसे पकड़ने के साधन नहीं होने की वजह से फटाका छोड़कर भगाए जाने का घटनाक्रम सामने आया था। वही शाम को तेंदुए के एक चौकीदार पर हमला करने के वाद ग्रामीणों तथा वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा मिलकर उसे मार डालने जानकारी वायरल हुई थी।  
घायल चौकीदार प्रताप सिंह को रात में जहां जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था वही मृत तेंदुए को जबलपुर नाका डिपो क्षेत्र में रखने के बाद उसकी मौत हो जाने की जानकारी वायरल कर दी गई थी। इसके बाद सुबह वन विभाग की टीम तेंदूए के शव को लेकर पीएम कराने जबलपुर रवाना हुई थी। इस अति संवेदनशील मामले में तेंदुए की मौत के लिए जहां वन विभाग की लापरवाही साफ तौर पर झलकती नजर आई है वही वन भूमि पर अवैध कब्जे जैसे हालात की वजह से खेती होने तथा तेंदुए को भागने के लिए जगह नहीं मिल पाने और उसका काम तमाम कर दिए जाने जैसे हालात सामने आए हैं इसके बावजूद वरिष्ठ अधिकारी पूरे घटनाक्रम को लेकर गोलमोल जानकारी देकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं।
रविवार को एसडीओ रेंजर आदि ने पड़री क्षेत्र पहुंच कर घटनास्थल का जायजा लिया था वही दोपहर में पोस्ट मार्टम के बाद तेंदुए का अंतिम संस्कार भी करा दिया गया वही अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा जांच रिपोर्ट आने के बाद मौत के कारण स्पष्ट होने की बात कही जा रही है। लेकिन सवाल तब भी यही उठ रहे हैं कि आखिर दिन में अनेक चहल कदमी करते नजर आए तेंदुए को सुरक्षित जंगल में भगाने के लिए सार्थक प्रयास किए जाने के बजाय उस का काम तमाम करने मैं वन विभाग के कर्मचारियों ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर रूचि क्यों ली ?

शाम के समय उसकी मौत हो जाने और उसे डंडे से बांधकर उल्टा लटका कर उसकी घायल पुणे बता कर इलाज के लिए जबलपुर में जाने की बात को क्यों कहा जाता रहा। जिस चौकीदार के तेंदुए के हमले में घायल होने बात प्रचारित की जा रही है उस क्षेत्र में निर्मित वन विभाग की चौकी के निर्माण को लंबा समय हो जाने के बाद भी आज तक शुरू क्यों नहीं किया गया।
 उपरोक्त क्षेत्र में अनेक लोगों द्वारा वन विभाग की जमीन पर तार फेंसिंग लगाकर कब्जा करके खेती किए जाने इस बात की जानकारी स्थानीय रेंजर, डिप्टी रेंजर से लेकर वन कर्मियों को होने फिर भी उपरोक्त फेंसिंग के कब्जे हटाकर जंगली जानवरों के स्वच्छंद विचरण हेतु कार्यवाही करने आज तक ध्यान क्यों नहीं दिया गया? यह ऐसे सवाल है जिनका जवाब देने के लिए वन विभाग के अधिकारियों के पास समय नहीं है। 

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर स्थानीय निवासियों और जानकारों का कहना है कि इस मामले में तेंदुए की मौत का जिम्मेदार कोई है तो वह वन भूमि में तार फेंसिंग करके अवैध कब्जा खेती करने वाले लोग हैं दिल के साथ वन विभाग के वह लोग जो खेती करने वालो के अवैध कब्जों को हमेशा नजर अंदाज करते रहेे है। देखना होगा तेंदुए की मौत के बाद वन भूमि के ऐसे अवैध कब्जों से तार फेंसिंग को हटा कर जंगली जानवरों के स्वच्छंद विचरण के लिए मुक्त किया जाता है अथवा आगे भी वन्यजीवों की मौत और फिर ऐसे हादसों में तब्दील किए जाने का दौर जारी रहता है।
 
शाम को प्रशसनिक पक्ष जारी किया गया..
मौत की जांच हेतु वन मण्डल स्तर पर समिति गठित
दमोह। गत दिवस लगभग सायं 06 से 07 बजे के बीच सगौनी रेंज दमोह डिवीजन के अंतर्गत रेंजर अखिलेश चौरसिया ने सूचना दी कि पड़री गांव के पास एक नर तेन्दुआ घूम रहा है जो कि प्रथम दृष्टया दोपहर के आसपास गांव के छोर पर दिखाई दिया। जिसकी मॉनिटरिंग के लिये वन विभाग और पुलिस विभाग का अमला मौके पर पहुंचा और तेन्दुआ की निगरानी करते रहे। 
निगरानी के दौरान ही वन विभाग के एक चौकीदार को घायल भी कर दिया। चौकीदार को छुड़ाने के लिये वन विभाग की अमले के साथ गांव के लोगों ने चौकीदार को छुड़ाने में मदद की और अंततः सफल भी हुये। इसी दौरान कुछ देर बाद तेन्दुआ अशक्त अवस्था में हो गया। ऐसी वारदातों में वन विभाग के शिद्यत अमले विधिवत तेन्दुआ पकड़ने में माहिर होते है वन विभाग के अमले ने तेन्दुए को पकड़ा ओर स्थानीय डाक्टर से सम्पर्क करने पर विटनरी डाक्टर ने नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्व विद्यालय के अंतर्गत स्थित स्कूल ऑफ वाईल्डलाईफ फॉरेंसिक एण्ड हेल्थ जबलपुर अतिशीघ्र ले जाने की सिफारिस की।
 तदानुसार तेन्दुए के अशक्त होने के कारणों की जांच हेतु स्कूल ऑफ वाईल्डलाईफ फॉरेंसिक एण्ड हैए जबलपुर लाया जा रहा था मगर उसकी रास्ते में ही मृत्यु हो गई तथा तेन्दुए का शव परीक्षण स्कूल ऑफ वाईल्डलाईफ फॉरेंसिक एण्ड हेल्थ जबलपुर में ही किया गया। प्रथम दृष्टया शव परीक्षण के दौरान ज्ञात हुआ कि तेन्दुए की मृत्यु रेस्पायरेटरी फेल्योर के कारण हुई है। विस्तृत विवेचना शव परीक्षण के दौरान जुटाये गये तथ्यों व नमूनों के आधार पर मौत के कारण स्पष्ट हो सकेंगे। इस दौरान दमोह डिवीजन के वन मण्डल अधिकारी महेन्द्र सिंह उइके द्वारा अपने टीम के साथ शव परीक्षण के दौरान उपस्थित रहे।
नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्व विद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रोफेसर ;डॉक्टरद्ध सीता प्रसाद तिवारी के निर्देशन एवं स्कूल ऑफ वाईल्डलाईफ फॉरेंसिक एण्ड हेल्थ जबलपुर की संचालिका डॉ शोभा जावरे की उपस्थिति में डॉ केपी सिंह डॉ काजल कुमार जाधव डॉ अमोल रोकडे डॉ निधि राजपूत एवं छात्र.छात्राओं द्वारा किया गया।
फिलहाल शव परीक्षण की बारीकियों को तथ्यात्मक तौर पर विवेचना के बाद ही तेन्दुए के मृत्यु के कारणों का पता चलेगा। तेन्दुए की मृत्यु की विभागीय स्तर पर सूक्ष्मता से जांच हेतु दमोह वन मण्डल स्तर पर एक समिति गठित की गई है जिसमें दो उप वन मण्डल स्तर के अधिकारी एवं दो रेंजर स्तर के अधिकारियों को सम्मिलित किया गया है। तेन्दुए के शव का दाह संस्कार अशोक बंशल सीसीएफ आरजीएम जबलपुर एवं एमएस उइके डीएफओ दमोह तथा सगोनी रेंजर अखिलेख चौसरिया एवं स्टाफ के उपस्थिति मे जबलपुर में ही किया गया।

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