तबादले के महीने भर बाद भी नहीं गए खाद्य अधिकारी
दमोह। कलेक्ट्रेट कार्यालय में कलेक्टर की नाक के नीचे सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। यहां तक की शासन के आदेशों तथा दिशा निर्देशों का भी पालन करने से अनेक अधिकारी कर्मचारी नहीं चूक रहे हैं। मामला खाद्य विभाग तथा खनिज विभाग से सामने आ रहा है। तबादले के महिने भर बाद भी कार्यालय में बैठकर काम करने के अलावा सरकारी बैठकों में शामिल होते हुए यह अधिकारी देखे जा सकते है। सूत्रों का कहना है कि एक मंत्री पुत्र की सह पर यह दोनों अधिकारी दमोह में डटे हुए है। जबकि इनका दमोह में कार्यकाल हमेशा से चर्चाओं में रहा है।
दमोह खाद्य़ विभाग में पदस्थ रहे चर्चित प्रभारी सहायक आपूर्ति अधिकारी राजेश पटैल का तबादला 13 जून 2025 को दमोह से सागर प्रशासकीय आधार पर किया गया था। इसके बाद भी इनका दमोह से मोह नही छूटने या फिर इन्हें दमोह से रिलीव नही किये जाने पर शासन स्तर पर 20 जून 2025 को इनको एक तरफा भारमुक्त करके सागर में कार्यभार ग्रहण करने हेतु आदेशित किया गया था। इसके बावजूद श्री पटैल आज दिनांक तक जिला कार्यालय दमोह खाद्य शाखा में प्रभारी जिला आपूर्ति अधिकारी के रूप में कार्य करते सरकारी बैठकों में शामिल हो रहे हैं।
पूर्व में भी इन पर वरिष्ठ अधिकारियों की कृपा दृष्टि के चलते खाद्य विभाग के इस कनिष्ठ अधिकारी को उच्च सीट का प्रभार सौंपा गया था। जिसके मोह के कारण एवं वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी के चलते शासन से भारमुक्ति पश्चात भी कनिष्ठ अधिकारी आज भी अपने अनुसार फाइलों को दुरुस्त करने में जुटे है। इनके कार्यकाल में हुई खाद्यान एवं उपार्जन कार्यों में की गई अनियमितताओ को भी रफा दफा किया जा रहा है।तबादले के बाद भी कार्यालयीन वाहन इत्यादि का दुरूपयोग निजी कार्यो हेतु भ्रमण इत्यादि में करने वाले राजेश पटेल के खिलाफ कलेक्टर महोदय कोई एक्शन क्यों नहीं ले रहे इसकों लेकर चर्चाओं का बाजार सरगर्म है। 20 जून को इनको एक तरफा भारमुक्त करके सागर में कार्यभार ग्रहण करने हेतु आदेशित किया गया था लेकिन सूत्रों का कहना है कि अपने सजातीय बंधु डॉक्टर से फर्जी मेडिकल बनवाकर यह तबादले के बाद भी दमोह में डटे हुए है वहीं इनके एक सजातीय मंत्री के जरिए तबादले को रूकवाने के भरपूर प्रयास में इनके दलालनुमा समर्थक जुटे हुए है। जबकि सागर के अधिकारी का कहना है कि दमोह कलेक्टर इनकों रिलीव नहीं कर रहे है..
खनिज अधिकारी मेजरसिंह जामरा भी नहीं छोड़ पा रहे दमोह का मोह.. दमोह से स्थानातरित खनिज अधिकारी मेजरसिंह जामरा भी दमोह का मोह नहीं छोड़ पा रहे है। जिसकी एक बजह कुछ नेता नुमा ठेकेदारों की मंशा इनकों दमोह में कुछ दिन ओर रोककर रेलवे के थर्ड लाईन कार्य में मनमाफिक मुरम आर्पित जारी रखना बताया जा रहा है। इधर इनके द्वारा मुरम उठाने जारी किए जाने वाले अधिकांश वर्क आर्डर में कही पर निगाहे कहीं पर निशाना जैसी स्थिति किसी से छिपी नहीं है।
इन दिनों इमलाई तथा मारूताल क्षेत्र में मुरम उठाकर निजी उपयोग करने की परमीशन की आड़ में निर्धारित की जगह अन्यत्र मुरम सप्लाई परिवहन विक्रय खुले आम जारी है। नगर तथा आसपास अनेक क्षेत्रों में प्रतिबंध के बाद भी रेत संग्रहण तथा बिक्री का खेल भी धड़ल्ले से चल रहा है। ऐसे में फिलहाल कोई भी खनन माफिया यह नहीं चाहता की मेजर जामरा दमोह से रिलीव हो। वहीं कलेक्टर इनकों रिलीव क्यों नहीं करवा पा रहे यह भी चर्चाओं में है।
तबादले के बाद पुलिसकर्मियों का कोतवाली का मोह नहीं छूटा.. कोरोना काल तथा दमोह उपचुनाव के दौरान दमोह कोतवाली टीआई रहे एचआर पांडे दमोह से हटा जाने के बाद प्रमोशन पर जबलपुर चले गए थे। जहां गोरखपुर सीएसपी के रूप में सेवाए देने के बाद हाल ही में उनकी दमोह सीएसपी के रूप में वापसी हो चुकी है इधर उनके टाइम से दमोह कोतवाली में पदस्थ रहे कुछ पुलिसकर्मी तबादले के बाद भी कोतवाली का मोह नहीं छोड़ पाए तथा सेटिंग जमा कर अपना तबादला संशोधित करने में सफल रहे हैं।
सागर आईजी के निर्देशानुसार हाल ही में दमोह जिले सहित संभाग में पुलिस कर्मचारियों के स्थानांतरण आदेश जारी किए गए थे। दमोह जिले के अंतर्गत आने वाले 18 थाने और 11 चौकियों से भी कई पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण किया गया। लेकिन आदेश जारी होने के बावजूद कुछ थानों में खास माने जाने वाले पुलिसकर्मियों को दो दिन बाद ही वापसी सर्विस के लिए बुला लिया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दमोह सिटी कोतवाली से कुछ पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण बटियागढ़ और कुम्हारी थाने में किया गया था। परंतु स्थानांतरण आदेश का पालन करने के बजाए उन्हीं कर्मचारियों को पुनः पूर्व स्थान पर सेवा देने बुला लिया गया। वहीं जिले के अन्य थानों और चौकियों में कार्यरत कई होनहार और कर्मठ अधिकारी हैं, जिन्हें स्थानांतरण के बाद उनकी नई पदस्थापना पर ड्यूटी जॉइन करने का अवसर नहीं दिया गया।
इस तरह की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या नियम और आदेश कुछ चुनिंदा पुलिसकर्मियों के लिए ही लागू होते हैं? जबकि अन्य अधिकारी, जो निष्ठा और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं, उन्हें अनदेखा किया जा रहा है। जिले में पुलिस महकमे के इस आंतरिक व्यवहार पर अब अधिकारियों से जवाबदेही की मांग उठने लगी है। कई कर्मचारियों और स्थानीय नागरिकों ने निष्पक्षता की मांग करते हुए कहा कि यदि स्थानांतरण आदेश जारी हुए हैं, तो उन पर समान रूप से सभी के लिए पालन होना चाहिए..
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