आरक्षण पर हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने लगाई रोक
ग्वालियर। मध्यप्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा मैं अब एक से दो माह का समय लग सकता है जिसकी वजह हाईकर्ट की ग्वालियर खंडपीठ द्वारा अध्यक्ष व महापौर की पूर्व में की गई आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा देना है। 10 व 11 दिसंबर 2020 को प्रदेश के विभिन्न नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों के लिए अध्यक्ष व महापौर पद के लिए आरक्षण किया गया था। जिसको लेकर दायर जनहित याचिका में उपरोक्त आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया का पालन नहीं होना बताते हुए चुनौती दी गई थी। जिस पर सुनबाई करते हुए अब हाईकोर्ट ने रोक लगाकर अगले माह सुनवाई की तिथि नियत की है।
कोर्ट के इस आदेश से नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों के चुनाव की घोषणा एक महीने के लिए फिर टल सकती है क्योंकि आरक्षण की अधिसूचना पर रोक होने से चुनाव कराना संभव नहीं होगा। बहोड़ापुर निवासी अधिवक्ता मनवर्धन सिंह तोमर द्वारा हाई कोर्ट ग्वालियर में दायर जनहित याचिका में अधिवक्ता अभिषेक सिंह भदौरिया ने तर्क दिया कि शासन ने 79 नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों को अनुसूचति जाति व जनजाति के लिए आरक्षित किया है। जैसे कि मुरैना व उज्जैन नगर निगम के महापौर का पद वर्ष 2014 में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित था, लेकिन 2020 में भी इन सीटों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रखा है। नगर पालिका व नगर पंचायतों में भी ऐसा ही किया गया है। जबकि 2020 के चुनाव में रोटेशन प्रणाली का पालन करते हुए बदलाव करना था। रोटेशन प्रक्रिया का पालन नहीं होने से अन्य वर्ग के लोग चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं। जो लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी उपस्थित हुए थे। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने शनिवार को दिसंबर माह में यह गए नगरीय निकाय चुनाव के अध्यक्ष महापौर के आरक्षण पर रोक लगा दी है। डबरा व इंदरगढ़ को लेकर दायर जनहित याचिका के साथ इस याचिका के साथ संलग्न कर दिया गया। तीनों याचिकाओं की 24 अप्रैल को सुनवाई संभावित है।
दरअसल संविधान के अनुच्छेद 243 टी में नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों के आरक्षण के रोटेशन की व्यवस्था दी गई है। नगर पालिका अधिनयम की धारा 29 बी के तहत रोटेशन का प्राविधान किया गया है। एक बार जो सीट आरक्षित हो जाती है, रोटेशन प्रक्रिया अपनाते हुए बदलाव आना चाहिए। मप्र में इसका पालन नहीं किया जा रहा है। जैसे कि डबरा व इंदरगढ़ के अध्यक्ष पद 25 साल से आरक्षित ही चले आ रहे है। जिससे दूसरे वर्ग के लोगों को मौका नहीं मिल पा रहा है। जबकि आबादी सामान्य वर्ग की अधिक है। नगर पालिका व नगर पंचायत का चुनाव लड़ने के लिए उसी जगह का निवासी होना जरूरी है। दूसरी जगह का निवासी चुनाव नहीं लड़ सकता है। यदि एक वर्ग के लिए सीट को लंबे समय तक आरक्षित रखा जाता है तो दूसरे लोगों को मौका नहीं मिलेगा। वहां के रहवासियों के संवैधानिक अधिकारी का उल्लंघन है।
अनेक जगह आरक्षण को दी गई थी चुनौती..
महापौर मामले में मुरैना व उज्जैन नगरनिगम में हुए आरक्षण को चुनौती दी गई थी वहीं नगर पालिका व नगर पंचायतों में मरकोनिया सागर, दमुआ छिंदवाड़ा, डबरा ग्वालियर, गोहद भिंड, सारनी बैतुल, खुरई सागर, आमला बैतूल, चंदेरी अशोकनगर, बीना इटावा सागर, गोटेगांव नरसिंहपुर, महाराजपुर छतरपुर, नागदा उज्जैन, भिंड, हटा दमोह, मलाजखंड बालाघाट, झाबुआ, अलीराजपुर, पाली उमरिया, बड़वानी, बिजुरी अनूपपुर, तारिचरकलान टीकमगढ़, निवाड़ी, गोरमी भिंड, पलेरा टीकमगढ़, मकदोन उज्जैन, बरिगर छतरपुर, पवई पन्नाा, जैतवारा सतना, काकरहाटि पन्नाा, लिधोराखास टीकमगढ़, बमौर मुरैना, सांची रायसेन, खेतिया बड़वानी, जवार सीहोर, चांदला छतरपुर, बिरसिंगपुर सतना, लवकुश छतरपुर, पिपलावन देवास, बडोनी दतिया, खरगपुर टीकमगढ़, कोठी सतना, प्रथ्वीपुर निवाड़ी, सलिचोका नरसिंगपुर, इंदरगढ़ दतिया, सुवसरा मंदसौर, पटेरा दमोह, उचेहरा सतिना, साढोरा अशोकनगर, बड़ागांव टीकमगढ़,करही खरगोन, शाहगढ़ सागर, हथोड इंदौर, छपिहेडा राजगढ, बंडा सागर, मचलपुर राजगढ़, अमानगंज पन्नाा, बडकही छिंदवाड़ा, बदरवास शिवपुरी, गडमल्हारा छतरपुर, दबोह भिंड, मांडव धार, दही धार, अमरकंटक अनूपपुर, मेघनगर झाबुआ, निवास मंडला, अल्सुद बड़वानी, धमनोद रतलाम, सरदारपुर धार, ओमकारेश्वर खंडवा, भूआ बिछिया मंडला, थंडला झाबुआ, जोबट अलीराज पुर, रानापुर झाबुआ, बेहर बालाघर, कांताफोड देवास, नौरोजाबाद उमरिया, कुशी धारा, डिंढोरी, चंदिया उमरिया के आरक्षण को चुनौती दी गई थी।
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