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अस्पताल में डॉक्टर तथा स्टाफ के साथ.. गाली गलौज व अभद्रता करना महंगा पड़ा.. प्रकरण दर्ज होने के बाद डॉक्टर प्रोडक्शन एक्ट के तहत कोर्ट ने नहीं दी जमानत.. पिता की मौत के बाद आपे के बाहर हो गए थे पुत्र व भतीजे..

 डॉक्टर के साथ गालीगलौज अभद्रता महंगी पड़ी 
 यह खबर उन लोगों के लिए है जो अपने किसी परिचित या परिजन को अस्पताल में इलाज कराने के लिए ले जाने के दौरान वहां की अव्यवस्थाओं को लेकर आक्रोशित उत्तेजित हो उठते हैं तथा कानून को हाथ में लेने से नहीं चूकते हैं। ऐसे मामलों में अब डॉक्टर प्रोडक्शन एक्ट के तहत की जाने वाली कार्यवाही मैं कोर्ट भी जमानत भी नहीं दे रही है। ऐसे में अस्पताल में अमर्यादित व्यवहार करने वाले सावधान हो जाएं।
दमोह जिले के हटा अस्पताल परिसर में 4 सितंबर की रात डॉक्टर तथा स्टाफ से गाली गलौज अभद्र व्यवहार  करने के मामले में हटा निवासी आशु खान पिता रुस्तम खान एवं जावेद खान पिता सलीम खान के खिलाफ धारा: 294 506 353 34 IPC 3/4 चिकित्सा अधिनियम के तहत अपराध क्रम.534/20 दर्ज किया गया था।अभियुक्तों की ओर से हटा न्यायालय में जमानत आवेदन पेश किये जाने पर अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर न्यायालय द्वारा अभियुक्तों का जमानत आवेदन निरस्त कर दिया गया। जमानत पर बहस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संजय रावत एडीपीओ हटा द्वारा की गई।
पिता की मौत के बाद आपे के बाहर हुआ पुत्र..
घटना का संक्षिप्त विवरण:  घटना दिनांक 4 सितंबर 2020 की रात्रि के करीब 9:15 बजे अभियुक्त आशु खान एवं जावेद खान द्वारा अस्पताल परिसर में फरियादी डॉक्टर  एवं अन्य स्टाफ गढ़ अभद्र व्यवहार एवं गाली गलौज के साथ-साथ शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाई गई थी। जिस पर हटा थाने में प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया था। सतीश कपस्या मीडिया प्रभारी एडीपीओ दमोह ने बताया कि घटना दिनांक को डॉक्टर कीर्ति वर्धन नेमा एवं स्टाफ नर्स निमा सोधिया एवं प्रियंका मस्करी रात्रि कालीन ड्यूटी पर थे इसी समय ग्राम रोड़ा से आशु खान एवं उसके परिजन अपने पिता मौसम खान उम्र 55 वर्ष को इलाज हेतु गंभीर अवस्था में लाए थे। जिसका डॉक्टर द्वारा परीक्षण किया गया एवं पाया कि उनका पल्स बीपी नहीं था एवं पसीना आ रहा था एवं सांसे चल रही थी। इसके बाद फरियादी द्वारा उनको आकस्मिक चिकित्सा एवं परिजनों को गंभीर अवस्था हार्ट अटैक के बारे में बताया एवं उन्हें दमोह ले जाने की सलाह दी। इसी समय इलाज के दौरान 15 मिनट के भीतर ही मरीज की स्थिति और गंभीर हो गई एवं फरियादी द्वारा मरीज को और आकस्मिक चिकित्सा दी गई। परंतु उसी समय मौसम खान की मृत्यु सीवियर अटैक के कारण हो गई।

 जैसे ही फरियादी द्वारा आशु खान एवं उसके भाइयों को मृत्यु के संबंध में बताया तो वह सभी उत्तेजित हो गए एवं स्टाफ नर्स के साथ-साथ फरियादी को गंदी गंदी गालियां देने लगे। वार्ड के अंदर पलंग दरवाजे में लाते मारने लगे और हंगामा करने लगे। अभियुक्तों द्वारा फरियादी को मारने की कोशिश की गई। अभियुक्तों द्वारा अस्पताल में अत्यंत अभद्र व्यवहार किया गया जिससे अस्पताल के वार्ड में जहां अन्य गंभीर एवं प्रसव पश्चात महिलाएं भर्ती थी उनको अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ा। जिससे शासकीय कार्य भी बाधित हुआ। फरियादी द्वारा पुलिस को सूचना देने के पश्चात अभियुक्तों के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया था। अभियुक्तों की ओर से हटा न्यायालय में जमानत आवेदन पेश किये जाने पर अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर न्यायालय द्वारा अभियुक्तों का जमानत आवेदन निरस्त कर दिया गया। जमानत पर बहस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संजय रावत एडीपीओ हटा द्वारा की गई।

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1 Comments

  1. बहुत सही निर्णय माननीय द्वारा डाक्टर का कर्म ईलाज देना है बाकी सब ईश्वर देखता है सीवियरटी की स्थिति में सुविधाओं का अभाव होता है लेकिन संयम से काम लेना चाहिए,,

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