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दमोह, खजुराहो, टीकमगढ़ क्ष्रेत्र में कांग्रेस के नए चेहरो ने.. भाजपा के नामचीन नेताओ को चुनावी चक्रव्यूह मैं उलझाया.. बुंदेलखंड में 30 साल बाद भाजपा को कड़ी चुनौती के बीच मोदी लहर की आस..

बुंदेलखंड क्ष्रेत्र में 30 साल बाद भाजपा को कड़ी चुनौती-
सागर संभाग के 6 जिलों में फैले बुंदेलखंड इलाके में 30 साल बाद लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस के प्रत्याशियों से कड़ी चुनौती मिलती नजर आ रही है। दमोह छतरपुर पन्ना टीकमगढ़ सागर और निवाड़ी जिले को मिलकर बनाई गई सागर संभाग की 4 लोक सभा सीटों में से तीन दमोह खजुराहो और टीकमगढ लोकसभा क्षेत्र में 6 मई को मतदान होने जा रहा है।  पिछड़ेपन का दंश झेल रहे बुंदेलखंड के इन लोकसभा क्षेत्रों में 1989 से चुनावी जीत के मामले में कांग्रेस के लिए सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। पिछले 30 साल में हुए लगभग सभी लोकसभा चुनाव में इन सभी क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों की जीत का अंतर लाखों में रहा है। यही वजह है कि भाजपा के बड़े नेता बुंदेलखंड के इन क्षेत्रों को अपनी पार्टी की बपौती मानने लगे है। राज्य सभा चुनाव की तरह दूसरे क्षेत्र के नेताओं को टिकट देकर स्थानीय दावेदारों के हितों पर कुठाराघात करने मैं कोई संकोच नहीं करने वाली भाजपा को इस इस बार कांग्रेस के स्थानीय प्रत्याशियों से कड़ी चुनौती मिलती नजर आ रही है।  
  दमोह संसदीय क्षेत्र के साथ खजुराहो तथा टीकमगढ संसदीय में इस तरह के हालात बनते नजर आ रहे हैं। वैशाख मास की कड़ी दोपहरी और तपती धूप में लगातार चुनाव प्रचार का शोर थमने के बावजूद बुंदेलखंड के मतदाताओं ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है। जिससे भाजपा के नामचीन नेताओं को अब मोदी लहर की उम्मीद ही राहत की बजह बनती नजर आ रही है। इधर कांग्रेस के पास इस इलाके में खोने के लिए कुछ भी नहीं है। लेकिन 5 महीने पहले हुए विधान सभा चुनाव की सफलता ने लोकसभा के पूर्व कांग्रेस में उम्मीदों का फूल खिला रखा है।  इसकी एक वजह बहुजन समाज पार्टी का कमजोर होना तथा इसका लाभ कांग्रेस को मिलना है। दूसरी बड़ी वजह प्रत्याशियों का स्थानीय तथा जातिगत समीकरणों के हिसाब से फिट बैठना कहा जा रहा है। 6 मई को होने वाले चुनाव मतदान के पूर्व वोटरों की चुप्पी ने भाजपा के लिए सबसे अधिक संशय में डाल रखा है। ऐसे में प्रत्यासी मजबूरी है नरेंद्र मोदी जरूरी है जैसे नारों ने जरूर उम्मीद की किरण को कायम रखने का काम किया है।
दमोह में अनुभवी प्रह्लाद को कड़ी टक्कर दे रहे प्रताप-
दमोह सागर छतरपुर जिले की आठ विधानसभा क्षेत्रों को बनाए गए दमोह संसदीय क्षेत्र से भाजपा के अनुभवी प्रत्याशी प्रहलाद पटेल को कांग्रेस के नए नवेले प्रत्याशी प्रताप सिंह कड़ी टक्कर दे रहे हैं आठ विधानसभा क्षेत्रों में विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस के पास 4 तथा भाजपा के पास 3 सीटें हैं। एक सीट बसपा के पास है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रह्लाद पटेल करीब 3 लाख वोटों से जीते थे। उस समय  भाजपा के पास  8 में से 6 विधानसभा सीटें थी। लेकिन इस विधानसभा चुनाव में 3 सीट बचने तथा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की जीत का अंतर 15000 के करीब सिमट चुका है। प्रह्लाद पटेल का यह आठवां लोकसभा चुनाव हैं। पूर्व में 4 जीत व तीन हार का रिकार्ड उनके नाम है। उधर जबेरा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक रहे प्रताप सिंह 5 माह पूर्व करीब साढ़े तीन हजार वोट से विधानसभा चुनाव हार गए थे। उनकी हार की एक वजह है कांग्रेस के बागी प्रत्याशी आदित्य सालोमन तथा भाजपा के बागी प्रत्याशी राघवेंद्र सिंह ऋषि लोधी रहे थे। अब यह दोनों कांग्रेस में शामिल हो चुके है। इसी तरह पथरिया में कांग्रेस से बगावत कर के विधानसभा चुनाव लड़ने वाले राव बृजेंद्र प्रताप सिंह तथा अनुराग वर्धन हजारी एवं भाजपा से बगावत कर के निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। जिससे जबेरा तथा पथरिया क्षेत्र में कांग्रेस विधानसभा से ज्यादा मजबूत स्थिति में नजर आ रही है।
 दमोह बंडा तथा मलहरा से कांग्रेस विधायक लोधी समाज के होने तथा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस तथा भाजपा प्रत्याशी के भी लोधी समाज से होने की वजह से इन तीन क्षेत्रों का जातिगत गणित अब कुर्मी, ब्राम्हण, जैन वोटरों के रुख पर केंद्रित हो गया है। देवरी से लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर मंत्री बने हर्ष यादव अपने क्षेत्र में कांग्रेस की बढ़त बरकरार रखने को तत्पर बने हुए हैं। वहीं विधानसभा चुनाव ने 20 हजार से अधिक की जीत दिलाने वाले हटा क्षेत्र में देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड तथा पुष्पेंद्र हजारी नीलू पाठक एवं प्रदीप खटीक कि कांग्रेस में वापसी की वजह से भाजपा को विधानसभा चुनाव की बढ़त को बरकरार रखना चुनौती बना हुआ है। दमोह से बसपा प्रत्याशी के तौर पर लोकगीत गायक जित्तू खरे मैदान में है। लेकिन इनकी बसपा की परंपरागत वोटों में मजबूत पकड़ नहीं होने से इसका लाभ कांग्रेस के खाते में जाता दिख रहा है। 
 इधर मामूली अंतर से विधानसभा चुनाव हारने वाले वरिष्ठ मंत्री जयंत मलैया तथा जीत की लय बरकरार रखने वाले नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के प्रचार में शामिल रहने परन्तु इनके समर्थकों तथा  सजातीय मतदाताओं द्वारा पिछले चुनाव की तरह खुलकर सामने नहीं आने से इस बार भाजपा प्रत्याशी प्रहलाद पटेल और उनके भाई जालम सिंह पटेल तथा अन्य परिजनों को अपने समर्थकों के साथ दमोह लोकसभा क्षेत्र में दिन रात एक करना पड़ा है। प्रहलाद के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और शिवराज सिंह की सभा क्षेत्र में हुई है वहीं कांग्रेस के प्रताप के पक्ष में राहुल गांधी और मुख्यमंत्री कमलनाथ की सभाएं उल्लेखनीय कही जा सकती है। कुल मिलाकर जिस तरह के ताने-बाने इस चुनाव के दौरान बुने गए हैं उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि इस बार का मुकाबला बेहद रोचक और नजदीकी हार जीत वाला रहेगा भाजपा को जहां मोदी लहर का पूरा भरोसा बना हुआ है वहीं कांग्रेस प्रत्याशी विधानसभा चुनाव की तरह किसी चमत्कारीक जीत की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
खजुराहो में भाजपा के बड़े नेता बीडी शर्मा को कांग्रेस की कविता राजे दे रही है कड़ी टक्कर-
खजुराहो संसदीय क्षेत्र में इस वार भाजपा और कांग्रेस के बीच जबरदस्त कांटे के मुकाबले की हालात देखने को मिल रहे हैं। यहां पर स्थानीयता के मुद्दे के साथ भाजपा के बागी गिरिराज किशोर राजू पोद्दार तथा सपा बसपा के संयुक्त प्रत्याशी वीर सिंह पटेल दोनों दलों की वोटों में सेंध लगाने का काम करते नजर आ रहे हैं। भाजपा के बड़े नेताओं में गिने जाने वाले मुरैना निवासी विष्णु दत्त शर्मा को टिकट मिलने के साथ जिस तरह से पुतला दहन और विरोध प्रदर्शन की राजनीति शुरू हुई थी उस पर तो नामांकन के अंतिम दिनों में भाजपा के वरिष्ठ नेताओ ने कंट्रोल कर लिया था लेकिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की सभा में उम्मीद के मुताबिक भीड़  नहीं जुट पाने तथा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा में तपती दोपहरी में उम्मीद से अधिक भीड़ एकत्रित होने की स्थिति किसी से छिपी नहीं रही है। पन्ना कटनी  और छतरपुर जिले की  8 विधानसभा सीटों  को मिलाकर बनाए गए खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटों पर  भाजपा के कब्जे के साथ  विधानसभा चुनाव में  संसद क्षेत्र की कुल बढ़त  87 हजार वोट रहना  जहां भाजपा का प्लस पॉइंट कहा जा सकता है वहीं स्थानीयता के मुद्दे पर कांग्रेस की कविता राजे प्लस में जाती नजर आ रही है। कुल मिलाकर अनेक वर्षों के बाद कांग्रेस यहां भाजपा को कांटे की टक्कर देती नजर आ रही है। वहीं भाजपा की जीत की उम्मीद है मोदी लहर पर टिक कर रह गई हैं।

टीकमगढ़ में मंत्री वीरेंद्र खटीक की बादशाहत को कांग्रेस की किरण अहिरवार की कड़ी चुनौती-
टीकमगढ़ छतरपुर संसदीय क्षेत्र में भी भाजपा के अनुभवी प्रत्याशी वीरेंद्र खटीक का मुकाबला कांग्रेश की नवागत प्रत्याशी किरण अहिरवार से है। चार बार सागर सांसद तथा दो बार टीकमगढ सांसद रहे वीरेंद्र खटीक मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रहे हैं। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती किरण अहिरवार का यह पहला लोक सभा चुनाव है। भाजपा के पूर्व विधायक आरडी प्रजापति यहां से सपा बसपा प्रत्याशी के रूप में मुकाबले को त्रिकोणी बनाने की फिराक में लगे हुए हैं। टीकमगढ़, निवाड़ी, छतरपुर जिले की 8 विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाए गए इस लोकसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरणों के साथ स्थानीयता का मुद्दा भी प्रमुख है। विधानसभा चुनाव के दौरान संसदीय क्षेत्र की 8 सीटों से करीब 87000 की बढ़त बनाने वाली भाजपा के लिए कांग्रेस की स्थानीय प्रत्यासी किरण अहिरवार तथा भाजपा से बगावत करने वाले आरडी प्रजापति कड़ी चुनौती बने हुए हैं ऐसे में भाजपा के लिए यहा भी उम्मीद की किरण मोदी नाम की लहर ही बनती नजर आ रही है।
कुल मिलाकर सागर संभाग के दमोह खजुराहो और टीकमगढ क्षेत्र में भाजपा के लिए मुकाबला पिछले बार की तरह आसान नहीं रहा है। कांग्रेस की कड़ी चुनौती के बीच पूर्व में अंधेरे में एक चिंगारी अटल बिहारी अटल बिहारी के नारो को गुंजायमान करने वाली भाजपा को इस बार मोदी लहर उम्मीद बंद कर उभरती नजर आ रही है। यह पूर्वानुमान कहां तक सही साबित होंगे इनका पता 23 मई को नतीजों के साथ लगेगा, लेकिन अभी बुंदेल खंड के मतदाताओं के बीच आपसी चर्चा से जो निष्कर्ष निकल कर सामने आया है कि लंबे वर्षो के बाद भाजपा के ऊंट जैसे प्रत्याशीयो को कांग्रेस रूपी पहाड़ के सामने से गुजरने का एहसास हो रहा है। जिसको बुंदेली कहावत में अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे  भी कहा जा सकता है। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट

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