लाल दिखेगा चांद कहलायेगा ब्लड मून- सारिका
सन
2022 के बाद सबसे लंबी अवधि का चंद्रग्रहण रविवार 7 सितम्बर होने जा
रहा है । इसे भारत के साथ ही आस्ट्रेलिया, एशिया अफ्रीका और यूरोप सहित
विश्व की लगभग 85 आबादी देख पायेगी। बिना टेलिस्कोप या इकलिप्स व्यूअर के खाली आंखों से पूर्ण चंद्रग्रहण देखा जा सकेगा । चंद्रमा
और सूर्य के बीच और एक सीध मे पृथ्वी के आ जाने से होने वाली इस खगोलीय
घटना की जानकारी देते हुये नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका
घारू ने बताया कि पृथ्वी के बीच में आ जाने से सूर्य की रोशनी सीधे
चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है इससे चंद्रग्रहण की स्थिति बनती है । इस समय
पृथ्वी की वायुमंडलीय परतों में से गुजरते हुए लाल तरंगें चंद्रमा तक
पहुंचती हैं जिससे चंद्रमा लाल तामिया दिखता है । इस रंग के कारण इसे ब्लड
मून भी कहा जाता है ।
सारिका
ने बताया कि भारतीय समयानुसार आंशिक ग्रहण का आरंभ रात्रि 09 बजकर 57
मिनिट 09 सेकंड से होगा । इसके बाद रात्रि 11 बजकर 48 सेकंड की स्थिति में
पूर्णचंद्रग्रहण दिखना आरंभ होगा । यह पूर्णग्रहण की स्थिति रात्रि 12 बजकर
22 मिनिट 51 सेकंड तक रहेगी । इसके बाद पुन: आंशिक ग्रहण चलता रहेगा जो कि
रात्रि 01 बजकर 26 मिनिट 31 सेकंड पर समाप्त होगा । सारिका
ने पोस्टर की मदद से जानकारी देते हुये बताया कि इस खगोलीय घटना में
पूर्ण ग्रहण अवधि या टोटेलिटी डयूरेशन लगभग 1 घंटा 22 मिनिट रहेगा । जबकि
सन 2022 में हुये चंद्रग्रहण की पूर्णता अवधि 1 घंटा 25 मिनिट थी । इस तरह
यह 2022 के बाद सबसे लंबी अवधि का पूर्णचंद्रग्रहण है ।
खास
बात यह है कि इसे देखने के लिये किसी विशेष यंत्र जैसे टेलिस्कोप या
ग्रहण के चश्मे की जरूरत नहीं होगी । खाली आंखो से ही इसे देखा जा सकता है
।
ग्रहण की स्थिति समय
आंशिक ग्रहण आंरभ रात्रि 09. 57 से
पूर्ण ग्रहण आंरभ रात्रि 11.48 से
अधिकतम ग्रहण रात्रि 11.41
पूर्ण ग्रहण समाप्त रात्रि 12. 22
आंशिक ग्रहण समाप्त रात्रि 01.26
पूर्णग्रहण की कुल अवधि 1 घंटा 22 मिनिट
– सारिका घारू
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