कुण्डलपुर में श्रमण संस्कृति रक्षा दिवस वात्सल्य पर्व मनाया.. दमोह।
सुप्रसिद्ध सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर में श्रमण संस्कृति रक्षक दिवस
रक्षाबंधन वात्सल्य पर्व के साथ जैनधर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर भगवान श्री
श्रेयांसनाथ जी का मोक्ष कल्याणक महोत्सव धूमधाम से मनाया गया । इस अवसर पर
प्रातः भक्तामर महामंडल विधान, पूज्य बड़े बाबा का अभिषेक, शांतिधारा,
पूजन, विधान हुआ। अत्यंत भक्ति भावपूर्वक निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। इस
अवसर पर प्रथम अभिषेक, शांतिधारा, रिद्धि कलश, निर्वाण लाडू आदि का सौभाग्य
दीपक डिंपल दक्ष दीपांशी यश जैन परिवार इंदौर, कन्हैया लाल आयुष अदिति
अर्चना परिवार नागपुर ,डॉ राजीव डॉ सिद्धार्थ डा एसके जैन प्रणव जबलपुर
,अजय चंपालाल मेघल शाह कल्पेश जैन भयंदर मुंबई, नेमीचंद प्रदीप प्रमोद सतीश
मुकेश राकेश मोदी परिवार जैतपुर गौरझामर, डॉ एस के डॉ अंचल अयांश चंदा
प्रगति जैन परिवार झांसी ,प्रवीण विधि अनुत्तर लाभांशी जैन परिवार मुंबई,
अविनाश विधम हिमानी प्रकाशचंद भोपाल, राकेश कुमार जैन दमोह, इंजी अजय
संगीता डॉ सोनल अंकुर जैन परिवार इंदौर, निर्वाण लाडू चढ़ाने का सौभाग्य
शुभम जैन कटनी आदि ने प्राप्त किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने
अभिषेक किया एवं रक्षा बंधन सूत्र बांधकर धर्म संस्कृति की रक्षा का संकल्प
लिया। सायंकाल भक्तामर दीप अर्चना एवं पूज्य बड़े बाबा की संगीतमय महाआरती
हुई।
नगर के समस्त विप्रो ने मनाया श्रावणी पर्व.. दमोह। नगर के समस्त
विप्र बंधुओ ने मनाया श्रावणी पर्व जिसमे पं.आचार्य श्री मुरलीधर शास्त्री
ने बताया श्रावणी पर्व का महत्व सनातन धर्म में श्रावण मास की पूर्णिमा पर
मनाए जाने वाले श्रावणी उपाकर्म का बहुत महत्व है क्योंकि महापर्व का संबंध
उस पवित्र ब्रह्मसूत्र से है जिसके तीन धागे देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के
प्रतीक माने जाते हैं. ब्रह्मसूत्र, यज्ञोपवीत या फिर कहें जनेऊ से जुड़ा
पर्व साल भर में एक बार आता है, इसलिए लोग इसका बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा
करते हैं। जिस श्रावणी उपाकर्म को आत्मशुद्धि का पर्व माना जाता है। पूजा
विधि और उसके धार्मिक महत्व श्रावणी उपाकर्म की विधि-विधान इस प्रकार है।
इस पावन पर्व पर पुराने यज्ञोपवीत यानी जनेऊ को बदलने के लिए लोग किसी एक
नदी या फिर तीर्थ स्थान पर इकट्ठे होते हैं। इसके बाद गुरु के निर्देशन के
अनुसार ये कार्य संपन्न करते हैं। पुराने जनेऊ को बदलने के लिए सबसे पहले
गाय के दूध, दही, घी के साथ ही गोबर, गोमूत्र और पवित्र कुशा को अपने हाथ
में लेकर पूरे साल किए गए पाप-कर्म को प्रायश्चित करते हैं एवं पं. मुरलीधर
शस्त्री जी ने बताया की प्रातः काल उठकर संध्या करने के बाद,ग्राम छपरठ,
बम्हौरी कोपरा नदी के तट पर जाकर उपाकर्म किया गया, जिसमें पं.राहुल
शास्त्री, पं.रीतेश मिश्रा, पं.पंकज शास्त्री, पं.विशेष तिवारी, पं.हरिशंकर
पाण्डेय, पं.श्री शर्मा, पं.संजय नगायच आदि की उपस्थिति रही।
मंत्री धर्मेंद्र सिंह ने बाढ़ पीड़ित बहनों से राखी बंधवाई
दमोह।
जबेरा विधानसभा जनपद तेंदूखेड़ा के ग्रामों में विगत दिनों आई बाढ़ जन
जीवन अस्त व्यस्त हुआ था जिसमें झमरा ग्राम भी बाढ़ की चपेट में आया था
जिसका दर्द को जानते हुए स्थानीय विधायक धर्मेंद्र सिंह लोधी जी
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रक्षाबंधन के दिन झमरा पहुंचे और सैकड़ों
लाडली बहनों से बारी बारी से राखी बंधवाई राखी बंधवाते वक्त मंत्री श्री
लोधी ने साड़ी,लिफाफा, मिठाई बांटी बहनों को प्रदान की।
मंत्री
श्री लोधी ने कहां कि मैंने आप सभी का दर्द मेरे हृदय में विराजमान है
संकट के समय में आपका भैया धर्मेंद्र आप सभी के साथ खड़ा है आप सभी के साथ
जबेरा विधानसभा की 70 हजार लाडली बहनों मेंरी बहनें हैं मैं आप सभी को
किसी भी प्रकार से दुख या कष्ट नहीं रहने दूंगा। कल माननीय मुख्यमंत्री श्री
मोहन यादव जी बाढ़ से पीड़ित परिवारों को सिंगल क्लिक के माध्यम से
विधानसभा में 1.24 करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान की है।
हमारी
सरकार ने तय किया और बहनों का त्योहार रक्षाबंधन के पावन अवसर पर 1250 एवं
250 रुपये का शगुन देने का कार्य किया है हमारी सरकार अभी 1 साल में 15
हजार देने का कार्य करती कभी सोचा है कि सगा भाई भी आपको 15 हजार नहीं देता
होगा लेकिन हमारी सरकार दे रही और अभी हम यहां रुकने वाले नहीं हैं
दीपावली से आप सभी के बैंक खाते में 1250 रुपए से बढ़कर 1500 रुपये करने
वाली है। इस राशि को निरंतर हम प्रतिवर्ष बढ़ाते जाएंगे और यह राशि 3000 तक
पहुंचेगी। हमारी सरकार और हम आपकी निरंतर चिंता कर रहे हैं।
मंत्री लखन पटेल ने रक्षा सूत्र बंधवाकर आर्शीवाद लिया.. दमोह।
प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विभाग राज्यमंत्री श्री लखन पटेल ने आज
रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर बहन से प्रेम और स्नेह से रक्षा सूत्र बंधवाकर
आशीर्वाद लिया। यह पवित्र बंधन हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की असली ताकत
विश्वास सम्मान और एक. दूसरे के प्रति निस्वार्थ भाव में है।उन्होंने
कहा रक्षा सूत्र में न केवल बहन का आशीर्वाद और विश्वास बंधा होता है
बल्कि भाई का संकल्प भी जुड़ा होता है कि वह हर परिस्थिति में अपनी बहन की
रक्षा और सम्मान करेगा। उन्होंने कहा आइए इस पर्व पर हम न केवल अपनी बहनों
की सुरक्षा और सम्मान का संकल्प लें बल्कि समाज की हर बहन और बेटी के
सम्मान अधिकार और खुशहाली के लिए भी प्रयासरत रहें।
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