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आमचोपरा क्षेत्र में प्लॉट रजिस्ट्री धोखाधड़ी मामले में तीन आरोपियों को जेल.. इधर दो लाख रूपये के चैंक बाउंस के आरोपी की अपील खारिज..

भूमि धोखाधड़ी के गंभीर मामले में तीन को जेल..

दमोह। न्यायाधीश पंकज वर्मा की अदालत ने भूमि धोखाधड़ी के एक गंभीर मामले में तीन आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। प्रकरण में शासन की ओर से प्रभावी पैरवी शासकीय अभिभाषक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई।
सुभाष कॉलोनी निवासी विनोद राठौर और संदीप राठौर ने व्यवसाय के लिए जमीन खरीदने हेतु आरोपी जमुना उर्फ जुम्मन अहिरवार पिता धनीराम निवासी हिरदेपुर से संपर्क किया। जुम्मन ने उन्हें आमचोपरा रैयतवारी स्थित खसरा नंबर 4/75 का 2000 वर्गफुट का प्लॉट दिखाया और बताया कि यह जमीन संतोष जैन की है, जिसकी बिक्री के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी नियाज उर्फ कल्लू वारसी पिता इसराइल वारसी निवासी चेनपुरा बजरिया को दी गई है। प्लॉट की देखरेख गोविंद यादव पिता डालचंद यादव निवासी आमचोपरा के पास बताई गई।
15 लाख 60 हजार रुपये में सौदा तय होने के बाद दिखाए गए प्लॉट के फोटो लगाकर रजिस्ट्री कराई गई। किंतु निर्माण कार्य शुरू होने पर हृदय पटेरिया द्वारा आपत्ति दर्ज किए जाने पर खरीदारों को पता चला कि रजिस्ट्री में तो खसरा नंबर 4/75 दर्ज है, जबकि बेची गई जमीन वास्तव में खसरा नंबर 3/22 है।
जांच में निकला फर्जीवाड़ा.. तहसीलदार कार्यालय से प्राप्त रिपोर्ट में सामने आया कि रजिस्ट्री में लगे फोटोग्राफ जिस प्लॉट के हैं, बेची गई भूमि उससे पूरी तरह भिन्न है। पुलिस ने आरोपियों नियाज वारसी,गोविंद यादव,जमुना (जुम्मन) अहिरवार के विरुद्ध धोखाधड़ी, कूटरचना और आपराधिक षड्यंत्र का प्रकरण दर्ज कर आरोप-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया।
न्यायालय के महत्वपूर्ण निष्कर्ष..अदालत ने माना कि नियाज वारसी ने पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग कर गलत स्थान की जमीन दिखाकर रजिस्ट्री कराई। गोविंद यादव और जमुना अहिरवार ने सक्रिय भूमिका निभाई और रजिस्ट्री में गवाह के रूप में कूटरचना को आगे बढ़ाया। नकद राशि जब्त न होने एवं गोविंद और जमना के रजिस्ट्री में मात्र गवाह होने का तर्क अस्वीकार किया गया, क्योंकि घटना के 14 माह बाद दर्ज एफआईआर के चलते राशि का खर्च हो जाना स्वाभाविक माना गया और फर्जी रजिस्ट्री में गवाह होना भी आपराधिक षड़यंत्र का हिस्सा है
अदालत ने सुनाई सजा.. भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 466 तथा 120-B के तहत अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया। नियाज वारसी : 5 वर्ष एवं 4 वर्ष का सश्रम कारावास गोविंद यादव व जमुना अहिरवार : 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास सभी पर कुल 37,000 का अर्थदंड त्वरित न्याय
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह प्रकरण 13 मई 2025 को न्यायालय के समक्ष आया, 16 जून 2025 को आरोप तय हुए, और मात्र 6 माह से भी कम अवधि में न्यायालय ने फैसला सुना दिया। यह निर्णय भूमि संबंधित धोखाधड़ी मामलों में न्यायालय की तत्परता और संवेदनशीलता को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है कि उक्त प्रकरण में पूर्व विवेचक द्वारा आरोपियों को गिरफ्तार न कर नोटिस पर रिहा किया गया था एवं चालान तैयार किया गया था। लेकिन बाद में तत्कालीन चौकी प्रभारी जबलपुर नाका आनंद कुमार द्वारा उक्त प्रकरण में धारा467, 468 का इजाफा कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार न्यायालय पेश किया गया था।

जिला षष्ठम सत्र न्यायाधीश ने चैंक बाउंस के आरोपी की अपील खारिज की.. दमोह सत्र न्यायाधीश अनुराग सिंह कुशवाहा द्वारा प्रस्तुत अपील को विचारण न्यायालय के निर्णय मानते हुए निरस्त कर दी है। परिवादी की ओर से पैरवी अधिवक्ता मनीष चौबे ने की।
अधिवक्ता मनीष चौबे के अनुसार मूरत सींग पिता मोतीसींग लोधी उम्र 56 वर्ष निवासी ग्राम सिमरी राजाराम थाना दमोह देहात जिला दमोह आरोपी लोकेन्द्र सिंह पिता महेन्द्र सिंह राजपूत उम्र 29 वर्ष निवासी ग्राम पुरा पायरा थाना दमोह देहात जिला दमोह परिवादी एवं अनावेदक के मध्य काफी लम्बे समय से अच्छें पारिवारिक संबंध मुधर थे इन्ही मधुर संबंधों के चलते व्यक्तिगत आवश्यकताओं को बताकर माह अप्रैल 2019 में 200000 रूपये अंकन दो लाख रूपये दिये आरोपी ने उधारी चुकाने के लिए चैक दिया था आरोपी के खाते में राशि न होने से चेक बाउंस हो गया था जिस पर परिवादी के मामले को न्यायालय ने सिद्ध पाते हुये आरोपी को 6 माह के कारावास एवं 308000 रूपये अंकन तीन लाख आठ हजार रूपये प्रतिकर के रूप मं अदा नहीं करने की दशा में 3 माह का कारावास प्रथक से भुगताये जाने का दण्डादेश पारित किया है।

 

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