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यह कैसा आदिम जाति कल्याण..? सवा करोंड़ में सामग्री खरीदी में किसकी मौन सहमति.. ? जांच करने गए डिप्टी कलेक्टर ने भी दे दी क्लिीन चिट..!

गुणवत्ताहीन सामग्री खरीदी में किसकी मौन सहमति

दमोह। आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों के लिए लाखों रुपए का फर्नीचर, गद्दे एवं खेल सामग्री खरीदी गई। इस खरीदी में लाखों रुपए का ही गोलमाल कर दिया गया। गुणवत्ताहीन सामग्री के लिए लगभग सवा करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। लोहे के पलंग, टेबिल, गड्ढा, पल्ली, चादर, तकिया और खेल सामग्री सभी की गुणवत्ता ताक पर रखकर गुणवत्ता हीन सामग्री खरीद ली गई।
आदिम जाति विभाग में व्याप्त हद तो ये है कि विभाग प्रभारी डिप्टी कलेक्टर बृजेश सिंह ने पूरे समान का दो बार निरीक्षण किया और एक बार भी समाग्री की गुणवत्ता को लेकर सवाल नहीं उठाए। सूत्रों की माने तो कलेक्टर दमोह को छात्रावासों के लिए खरीदी गई गुणवत्ताहीन सामग्री की शिकायत की पर कलेक्टर दमोह को भी अंधेरे में रख कर सामग्री को गुणवत्ता युक्त बताया गया है। 

लगभग सवा करोड़ में खरीदा गया फर्नीचर, गद्दे और खेल सामग्री.. जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग ने विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों के लिए लगभग सवा करोड़ रुपए के गुणवत्ताहीन फर्नीचर, गद्दे, तकिया, रजाई एवं खेल सामग्री की खरीद कर डाली। अनुसूचित जाति एवं जन जाति छात्रावासों में रह थे बच्चों के लिए खरीदी गई इस समाग्री में लाखों के बारे न्यारे किए गए। विदित हो कि दलित आदिवासी छात्रों के लिए संचालित छात्रावासों में किसी भी तरह की खरीदी के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सहित पांच सदस्यों की एक समिति बनाई गई है। जिसे छात्रावासों के लिए आवश्यक समाग्री खरीदने का अधिकार है। सूत्र बताते है कि पूर्व जिला संयोजक प्रिया जैन के समय ही खरीदी की रूप रेखा तय कर ली गई थी और समिति द्वारा लगभग सवा करोड़ रु के फर्नीचर, गद्दे, रजाई, चादर, मच्छर दानी एवं खेल सामग्री खरीदने की स्वीकृति प्रदान की गई।
छात्रावासों के लिए प्रस्तावित सामग्री प्रदाय के लिए एमडीएम इंडस्ट्री दमोह एवं पूर्व मार्केटिंग दमोह को चुना गया था। सामग्री प्रदान करने वाली संबंधित एजेंसी के अप्रैल 2025 को छात्रावासों को दी जाने वाली समाग्री प्रदान की थी।  खरीदा गया सारा सामान चैनपुरा स्थित नव निर्मित छात्रावास में रखा गया था। एजेंसी द्वारा जो समाग्री प्रदान की गई वह पूर्णतः गुणवत्ता हीन एवं उच्चतम दर पर विभाग को प्रदान की गई थी। प्रदाय की गई समाग्री की गुणवत्ता की जांच करने की जहमत न तो विभाग ने उठाई और न ही विभाग की क्रय समिति ने इस ओर ध्यान देना उचित समझा। दो का माल दो सौ में प्रादय किया गया और जिम्मेदार चुप रहे।

प्रभारी जिला संयोजक और क्रय समिति का भ्रष्टाचार को मौन समर्थन.. आदिम जाति कल्याण विभाग दमोह के प्रभारी जिला संयोजक एवं डिप्टी कलेक्टर बृजेश सिंह द्वारा क्रय की गई समाग्री का दो बार निरीक्षण किया। सूत्रों की माने तो कलेक्टर दमोह को घटिया समाग्री क्रय करने की शिकायत के बाद पहली बार प्रभारी जिला संयोजक आदिम जाति बृजेश सिंह द्वारा 28 अप्रैल 2025 को क्रय की गई समाग्री का निरीक्षण किया गया। दूसरी बार 26 मई 2025 को क्रय समिति द्वारा क्रय की गई समाग्री का निरीक्षण किया गया। क्रय समिति के जिला पंचायत सीईओ को छोड़कर जिला उद्योग प्रबंधक, जिला संयोजक आदिम जाति, जिला कोषालय अधिकारी एवं सूचना एवं विज्ञान केंद्र प्रभारी के द्वारा क्रय की गई समाग्री का निरीक्षण किया गया था। डिप्टी कलेक्टर बृजेश सिंह ने दूसरी बार क्रय समिति के साथ सामग्री का निरीक्षण किया था। बार बार निरीक्षण करने के बाद भी न तो समिति सदस्यों ने गुणवत्ता को लेकर कोई सवाल उठाए । वहीं दो बार क्रय समाग्री का निरीक्षण कर चुके प्रभारी जिला संयोजक बृजेश सिंह द्वारा सामग्री की गुणवत्ता को लेकर चुप रह जाना कई सवाल पैदा करता है।
गुणवत्ता हीन सामग्री खरीद के मामले में विभाग में पदस्थ प्रभारी लेखापाल महेंद्र सिंह अहिरवाल एवं राजा ठाकुर की भूमिका सबसे ज्यादा संदिग्ध है। माना जाता है कि ये दोनों ही घटिया सामग्री क्रय करने से लेकर फटाफट छात्रावासों को सामग्री वितरण करने तक मुख्य भूमिका में रहे। आदिम जाति कल्याण विभाग में हुए लाखों के भ्रष्टाचार की सूचना कलेक्टर दमोह को 21 जून 2025 को उनके व्हाट्स ऐप नम्बर पर दी गई थी। लेकिन कलेक्टर दमोह द्वारा न तो कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की गई और न ही पूरे मामले के जांच के कोई आदेश जारी किए गए है। इस पूरे मामले को लेकर खबरें मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है इसके बावजूद जांच कार्यवाही में देरी से भ्रष्टाचारियों को गड़बड़ियों पर पर्दा डालने तथा सेटिंग जमाने का मौका मिलता नजर आ रहा है..

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