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स्व मणिनागेन्द्र सिंह पटेल मोनू भैया को सांसद कार्यालय में सर्व धर्म समाज के सैकड़ो लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की.. समय के साथ कुछ घाव भर जाते है परंतु कुछ घाव ऐसे होते है जो सदैव चुभते रहते है वह भरते नहीं है.. पं श्याम सुंदर दुबे

शांति पाठ, दीप प्रज्ज्वलन पुष्पांजलि अर्पित की 

दमोह।
दमोह सांसद एवं केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के भतीजे एवं विधायक जालम सिंह पटेल के सुपुत्र मणि नागेन्द्र सिंह पटेल मोनू भैया की गत 01 मई 2023 को ह्दय गति रूकने से असमय मृत्यु हो गई थी। उनको श्रृद्धांजलि देने के लिए लगातार बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे है। सांसद कार्यालय में आयोजित श्रृद्धांजलि सभा सनातन धर्म की परंपरा और मान्यताओं के अनुसार विद्वान विप्रो के द्वारा शांति पाठ एवं दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्प अर्पित करके किया गया। 

सर्वधर्म शांति श्रृद्धांजलि सभा में महंत हरिप्रपन्न दास सीतानगर शाला श्याम सुंदर दुबे शिवचरण पटैल कुलवंत वाधवा पाल साहब शाहिद अली  चन्द्रकांत पौराणिक रामकृपाल पाठक आशीष दत्त कटारे गोंविद तिवारी केदार नाथ रामेश्वर तिवारी रामबाबू तिवारी बासू गौतम एवं अन्य पुजारी पुरोहित गणों की उपस्थिति।  पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया विधायक दमोह अजय टण्डन विधायक जबेरा धर्मेन्द्र सिंह लोधी विधायक हटा पीएल तंतुवाय वेयरहाउ कार्पोरेशन एवं लॉजिस्टिक अध्यक्ष राहुल सिंह नरेन्द्र बजाज पूर्व विधायक लखन पटेल सोनाबाई उमादेवी खटीक राजेन्द्र गुरू, विद्या सागर पाण्डे नरेन्द्र व्यास, भाजपा प्रीतम सिंह, गौरव सिरौठिया सागर, रतन चंद जैन, उम्मेद सिंह नारायण सिंह ठाकुर, डाँ अजय लाल, संतोष भारती, सुधीर सिंघई, चन्द्रकुमार सराफ, पदम इटोरिया, सिद्वार्थ मलैया, संतोष दुबे, कैलाश शैलार, नरेन्द्र दुबे, कमलेश भारद्वाज, बीडी बावरा रमेश असाटी मलेहरा कलेक्टर मयंक अग्रवाल पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह अधीक्षण यंत्री विद्युत मंडल एमपीचोधरी  सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि गण मोजूद थे

एक लघु फिल्म के माध्यम से मोनू भैया की जीवन पर आधारित फिल्म का फिल्मांकन किया गया । इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चोहान का भी प्रसारण किया गया। उपस्थित विशाल जनसमूह ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए मौन धारण कर प्रार्थना की। संचालन इंजीनियर अमर सिंह राजपूत ने किया। आभार सांसद प्रतिनिधि नरेन्द्र बजाज ने व्यक्त किया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार चिंतक विचारक पं श्याम सुंदर दुबे ने कहां कि समय के साथ कुछ घाव भर जाते है परंतु कुछ घाव ऐसे होते है जो सदैव चुभते रहते है वह भरते नहीं है। ऐसा ही कुछ घाव मोनू की असमय मृत्यु का कारण बन गया है। लेकिन उनकी मृत्यु लगातार उनके अनुयायियों को लगातार नई दिशा देती रहेगी। 

उन्होने यक्ष और युधिष्ठिर के संवाद को प्रस्तुत करते हुए कहा कि यक्ष ने प्रश्न किया युधिष्ठिर से कहा कि मनुष्य को पूरे जीवन भर अपने जीवन की चिंता क्यो नहीं होती युधिष्ठिर कहते है कि हम रोज.रोज लोगों को मरते देखते है फिर भी हम जीवित रहना चाहते हैं। यक्ष कहता है कि यहां आश्चर्य क्या है। युधिष्ठिर उत्तर में कहते है। हम अपनी मृत्यु पर कभी विचार नहीं करते देखते है लाखो लोग काल का ग्रास बन रहे है फिर भी शेष बचे रहना चाहते है कबीर के दो दोहो को प्रस्तुत करते हुए मृत्यु की सृजनशीलता और मार्ग क्षमता के बारे में विस्तार से बात रखी कि मृत्यु ऐसी स्त्री है जो आटा स्वयं गूथती है लोई बनाती रोटी पकाती है और स्वयं खाती है। वह मारती भी है और पैदा भी करती है। मृत्यु अनिवार्य है। परंतु जिस प्रकार पुष्प खिलकर किसी ईश्वर के सिर पर चढ़ जाता है और धन्य हो जाता है वहीं एक और पुष्प होता है जो समय अनुरूप वृक्ष से अलग होकर गिर जाता है। और जमीन में गिरकर खाद बन जाता है। इससे अलग एक ओर स्थिति होती है। जिससे अनेक बार लोग उबर नहीं पाते। परंतु शाश्वत सत्य है मृत्यु..

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