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विरागोदय पंच कल्याणक महामहोत्सव में आदि कुमार के जन्म की खुशियां मनाई.. नाभिराय की इंद्रसभा का दरबार सजा.. सौधर्म इंद्र ऐरावत हाथी पर अभिषेक करने सुमेरू पर्वत पर ले गए.. गणाचार्य श्री विराग सागर जी का मंगल उद्बोधन..

 आदि कुमार का जन्म, नाभिराय की इंद्रसभा का दरबार

दमोह। पथरिया में 'न भूतो न भविष्यति आयोजन' विरागोदय महामहोत्सव तृतीय दिवस प्रातः7 बजे माता मरुदेवी के गर्भ से जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ का जन्म बालक आदिकुमार के रूप में हुआ। सारे नगर में खुशियां मनाई जाने लगी दिव्यघोष बजने लगे जय जय कार होने लगा।विरागोदय में चल रहे पंच कल्याणक महोत्सव में हर दिन भगवान आदिनाथ के जीवन के प्रसंगों का मंचन कर अनुष्ठान पूरे किए जा रहे हैं। धर्मसभा के लिए बना विशाल पंडाल भगवान के जयकारों से गूंजने लगा। इस दौरान हर कोई भगवान के दर्शन को आतुर नजर आया। भगवान की मोहक प्रतिमा को करीब पाकर कई श्रद्धालु भक्तिभाव में भावुक होते नजर आए। तीर्थंकर बालक का जन्माभिषेक मुख्य मंदिर के पूरे पांडुक शिला पर सौधर्म, कुबेर,यज्ञनायकआदि महापात्रो के साथ सभी जैन श्रद्धालुओं ने किया
गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी ने प्रवचनों में बताया कि प्रातः काल हस्तिनापुर नगरी में राजा नाभीराय के यहां माता मरूदेवी से बालक का जन्म हुआ। धनपति कुबेर के आदेश से ऐरावत ह्यथ पर सौधर्म इंद्र सचि इंद्राणी को बैठाकर मध्यलोक में प्रवेश करता है और गंधर्व 700 करोड़ देवों के साथ भगवान का जन्मोत्सव मनाने स्वर्ग से उतर कर ऐरावत ह्मथी पर आते हैं। इसी प्रसंग के साथ पथरिया स्थित विरागोदय में पंचकल्याणक स्थल पर ऐरावत हाथी पर सौधर्म इंद्र अपनी इंद्राणी के पात्र अपने इंद्र परिवार के साथ कमलाकार विशाल मंदिर में बने पांडुक शिला का स्वर्ण एवं रजत कलशों से अभिषेक किया। 
 गुरुवार को धर्मसभा में हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं के बीच बालक आदि कुमार का जन्म हुआ। सौधर्म इंद्राणी बालक को लेकर श्रद्धालुओं के बीच पहुंचीं। यह सब कुछ एक लधु नाटिका के रूप में मंच कलाकार उमेश जैन भिंड ने प्रस्तुत किया गया। गुरुवार को आहार के सौभाग्यशाली विजय चंद असम वालो को प्राप्त हुआ। इसके पूर्व बुधवार को यहां भगवान आदिनाथ के गर्भकाल का मंचन किया गया था। मंगलवार को धर्मसभा में पूरे भारत भर से आये भक्तों ने श्री फल भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया।

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