श्री राम कथा में धनुष टूटते ही जय श्री राम की गूंज..
दमोह। स्थानीय होमगार्ड मैदान पर 24 दिसंबर से नौ दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन चल रहा है। जहां पर श्री बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर परम पूज्य गुरुवर पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज के मुखारविंद से श्री राम कथा की रस वर्षा हो रही है। कथा संयोजक विधायक अजय टंडन ने बताया कि श्री राम कथा के छठवें दिन गुरुवार को श्री राम एवं मां जानकी के विवाह उत्सव की कथा भक्तों को श्रवण कराई। इस दौरान मौजूद करीब दो लाख भक्त गणों में से अधिकांश लोग पीले वस्त्र पहने हुए थे। जिन्होंने झूमकर नृत्य किया और जय श्री राम के जैसे ही जयकारे लगाए तो समूचा पंडाल जयकारों से गुंजायमान हो गया।
शास्त्री जी ने श्री राम कथा के दौरान कहा कि दमोह में जब से श्री राम कथा का आयोजन चल रहा है पूरा नगर अयोध्या की तरह राममय हो गया है। जहां से भी बाहर निकल रहे हैं, चारों ओर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। निश्चित रूप से इससे बड़ा एक और इतिहास दमोह ने रच दिया है कि 300 से अधिक हमारे जो सनातनी भाई ईसाई बन गए थे, अब वह वापस सनातन धर्म मैं वापस आ गए हैं यह हम सब के लिए गर्व की बात है। गुरुजी ने छठवें दिन संदेश देते हुए कहा कि आप ज्ञानी ना बनो तो चल जाएगा लेकिन ध्यानी जरूर बनना चाहिए, जिससे परमात्मा का ध्यान रहेगा। उन्होंने कहा कि जब मन मंदिर हो जाता है तो ईश्वर को अपने आप प्रकट होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कृपा की ताकत बहुत ही बड़ी और अद्भुत होती है। उन्होंने कहा कि पुस्तक पढ़ कर उस पर ध्यान लगाने से सब कुछ होता है।
उन्होंने श्रीरामचरितमानस को लेकर कहा कि जो स्वयं बंधन में बंधा हुआ हो वह किसी और को मुक्त नहीं कर सकता। लेकिन सब के बंधन को केवल श्री रामचरितमानस मुक्त कर सकती है। जो व्यक्ति मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का व श्री हनुमान जी का स्मरण करते हैं उनके भी बंधन खुल जाते हैं। उन्होंने गुरु शिष्य के बारे में बताया कि शिष्य का स्वभाव गुरुवर से मिलना चाहिए, जिससे लगे कि यह गुरुवर के शिष्य अर्थात बागेश्वर धाम वाले हैं। उन्होंने कहा कि जिसे मानते हो उसको चरित्र में उतारना प्रारंभ करो। उन्होंने श्रीराम चरित मानस का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत में प्रत्येक व्यक्ति को रामायण पढ़ने की आवश्यकता है। जो व्यक्ति रामायण पड़ेगा वह जीना सीख जाएगा। गुरुजी ने अन्य समाज के लोगों से भी श्री रामचरितमानस पाठ पढ़ने का आग्रह किया।
श्री बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का तीन प्रकार से विवाह हुआ है। राम जी का पहली बार विवाह वाटिका में, दूसरी बार धनुष तोड़ते समय और तीसरी बार जनकपुरी में विवाह हुआ। उन्होंने धनुष तोड़ने के दौरान की कथा सुनाई और कहा कि कई देशों के राजा धनुष तोड़ने के दौरान मौजूद रहे, लेकिन कोई भी राजा पिनाक धनुष को उठा तक नहीं पाया। धनुष उठाने के लिए वीर नहीं रघुवीर की आवश्यकता थी और रघुवीर ने मध्य में सबसे पहले गुरु जी को प्रणाम किया और फिर धनुष की परिक्रमा की बाद में उन्होंने भवन के मध्य में पलक झपकते ही पिनाक धनुष को अपने हाथों में उठाया और भवन के मध्य में तोड़ दिया। शास्त्री जी ने मध्य शब्द को लेकर भी कई तरह से कथा का विस्तार से वर्णन किया।
श्री शिव शनि हनुमान मंदिर में चल रहा पूजन..श्री राम कथा में जितने भी यजमान बने हुए हैं वह श्री राम कथा पंडाल के पीछे स्थित श्री शिव शनि हनुमान मंदिर में नियमित रूप से पहुंचकर सुबह पूजन अर्चन कर धर्म लाभ ले रहे हैं। उसके बाद फिर श्री राम कथा में पुण्य अर्जित करने पहुंचते हैं।पीले वस्त्र पहनकर पहुंचे भक्तगण..श्री राम विवाह की कथा को देखते हुए गुरुवार को सभी लोग पीले भक्त धारण करके कथा पंडाल में पहुंचे थे जिन्होंने श्री राम का जन्म होते ही झुमका नृत्य किया इस दौरान जमकर आतिशबाजी भी हुई और पुष्प वर्षा भी की गई।कथा संयोजक अजय टंडन की नाती बने श्री राम सीता..कथा संयोजक विधायक अजय टंडन की नातिन आयुषी अरोरा एवं मायरा मेहरोत्रा को श्री राम के विवाह की कथा के दौरान मां जानकी एवं श्री राम के रूप में तैयार किया गया था। जहां पर कथा के दौरान दोनों को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम एवं जानकी जी के सजीव चित्रण के रूप में प्रस्तुत किया गया। जहां पर श्री राम विवाह आयोजित किया गया।वृद्धआश्रम में वृद्धजनों की आरती कर लिया आशीर्वाद
कथा संयोजक विधायक अजय टंडन कथा समाप्त होने के बाद वह गुरु जी को सीधा वृद्ध आश्रम लेकर पहुंचे जहां पर वृद्धजनों के गुरु जी ने मुलाकात की। श्री बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी श्री राम कथा के छठवें दिन गुरुवार देर शाम वृद्ध आश्रम पहुंचे जिनके साथ कथा संयोजक अजय टंडन एवं पारुल टंडन सहित अन्य शिष्य गण मौजूद रहे।
वृद्ध आश्रम पहुंचकर गुरुवर ने सभी वृद्धजनों की आरती उतारी उन्हें माला पहनाई तिलक लगाया और पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान वृद्धों ने उनकी बलैयां लीं, गाल खिलाया, और एक बेटे की तरह दिल खोलकर प्यार किया। इसके बाद गुरुवर ने सभी वृद्धजनों को कंबल उड़ाकर उनका सम्मान किया एवं आशीर्वाद प्राप्त किया। महिलाओं को भी साड़ियां एवं कंबल वितरित किए।
इस दौरान गुरुवर ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि वह ना तो कोई साधु है ना संत हैं ना ही कोई चमत्कारी हैं, वह एक साधारण व्यक्ति हैं। वृद्धजनों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में उनके साथ जरूर खड़ा होना चाहिए जिनके साथ कोई खड़ा नहीं होता। अमीरों के साथ तो लाखों गुरु, लाखों नेता, अभिनेता, हजारों मित्र खड़े हो जाते हैं, लेकिन जो बिछड़े हुए होते हैं उनके साथ कोई नहीं होता। हमें ऐसे व्यक्ति का साथ देना चाहिए। उन्होंने वृद्ध आश्रम में रह रही वृद्धजनों को देखने के बाद कहा कि भारत का दुर्भाग्य है और खासतौर से उनके पुत्रों का दुर्भाग्य है जो अपने माता पिता को वृद्ध आश्रम में रहने के लिए भेज देते हैं। उन्होंने कहा कि जिनके पिता माता वृद्ध आश्रम में रहते हैं ऐसे पुत्रों को चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए ऐसे बेटों को भगवान जन्म ना दें तो अच्छा है जो वृद्ध आश्रम में अपने माता पिता को छोड़ आते हैं। उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि वृद्ध आश्रम में माता-पिता को नहीं रखना चाहिए बल्कि पुत्रों को अपने साथ रखना चाहिए। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि उन्होंने विधायक एवं कथा संयोजक अजय टंडन को कहा है कि वह सभी वृद्ध जनों को कल विशेष वाहन से कथा पंडाल में लेकर आएं जहां पर वह आराम से बैठकर भगवान श्री राम की कथा श्रवण कर सकें। प्रफुल्ल श्रीवास्तव के साथ लक्ष्मीकांत तिवारी की खबर
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