मप्र में पंचायत चुनाव की दस्तक के साथ जहां गांव गांव में पंचायत प्रतिनिधि बनने के दावेदारों की चौपाल लगना और महफिल सजना शुरू हो गई हैं वही पहले से मंजूर कार्यों को आनन-फानन में निपटाने का दौर भी शुरू हो गया है इधर मजदूरों की जगह ठेके तथा मशीनों के जरिए काम कराने का दौर जगह-जगह जारी है दूसरी ओर रेलवे स्टेशन पर पलायन की जीवन तस्वीरें रोज सामने आ रही है इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी यह मानने को तैयार नहीं है कि पलायन करता ग्रामीण क्षेत्र के लोग हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि पलासन को मजबूर मजदूर सच बोल रहा है या फिर योजनाओं का गुणगाान करने वाले अधिकारी..
दमोह।यह लाइव तस्वीरें दमोह रेलवे स्टेशन की शाम के समय की गई। जबलपुर से दिल्ली आने वाली सुपर फास्ट ट्रेन और रात में उत्कल एक्सप्रेस से जाने वाले यह ग्रामीण जन रोजगार की तलाश में अर्थात मजदूरी करने के लिए महानगरों की ओर गांव छोड़कर पलायन कर रहे हैं चर्चा के दौरान उन्होंने गांव में काम नहीं मिलने की बात साफ तौर पर स्वीकार की है वहीं दूसरी ओर इस संदर्भ में जब दमोह जनपद के सीईओ हलधर मिश्रा से जब चर्चा की गई तो उनका कहना था कि हम कैसे मान लें यह लो ग्रामीण क्षेत्र के निवासी है उनका यह भी कहना है कि गांव में सभी को काम मिल रहा है कहीं भी मशीनों से काम नहीं हो रहा है।
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