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नवरात्र के पहले दिन माता रानी की कृपा से बड़ा हादसा टला.. ओवर ब्रिज की टर्न पर छग पासिंग की मिशनरी स्कूल की कंडम बस पलटने से बची.. इधर चार साल पहले दोस्त की हत्या कर साक्ष्य छिपाने वाले तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा..

ओवर ब्रिज की टर्न पर स्कूल बस की स्टेरिंग फेल

दमोह। शारदीय नवरात्र पर्व के पहले दिन बड़ी देवी जी मंदिर मार्ग पर एक स्कूल बस की स्टेरिंग फेल हो जाने से उसमें सवार बच्चों की जान जोखम में पड़ने के साथ चीख पुकार के हालात निर्मित होते देर नही लगी। लेकिन माता रानी की कृपा से बड़ा हादसा होने के पहले ही टल जाने से जहा सभी राहत की सांस लेते नजर आए वही छत्तीसगढ़ पासिंग की इस कंडम बस को स्कूल बस के तौर पर संचालन हेतु आरटीओ द्वारा परमिशन दिए जाने और यातायात विभाग द्वारा भी ध्यान नहीं दिए जाने जैसे हालात पर लोग सवाल उठाते नजर आए।

प्राप्त जानकारी के अनुसार गुरुवार सुबह नगर के पथरिया फाटक ओवरब्रिज के लास्ट टर्निंग प्वाइंट पर स्कूल बस क्रमांक CG-07 C-5247 की अचानक स्टेयरिंग फेल हो गई। जिससे बस अनियंत्रित होने के बाद लहराने लगी। मौके पर ढलान होने की वजह से ड्राइवर में जब ब्रेक लगाने की कोशिश की तो बस का आधा हिस्सा सड़क के बीच आने के वाद पलटते पलटते बचा। 

बस के रुकते ही चीख-पुकार भरे हालात में इसमें सवार दर्जन भर से अधिक बच्चों की जान में जान आई तथा उन्होंने बस से उतरने में देर नहीं लगाई। यह बस इमलाईं में मिशनरी द्वारा संचालित T.A.S.  MISCO इंग्लिश मीडियम स्कूल की बताई जा रही है। इसकी कंडीशन देखकर इस बात पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं की शहर के बीच से निकलने वाली छत्तीस गढ़ पासिंग की स्कूल बस संचालन की ओर यातायात विभाग के साथ ट्रैफिक पुलिस का ध्यान आज तक क्यों नहीं गया..? क्या परिवहन विभाग द्वारा किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है..?

हत्या कर साक्ष्य मिटाने वालो को आजीवन कारावास

दमोह। चार साल पहले एक युवक की हत्या करके साक्ष्य नष्ट करने वाले तीन आरोपियों को विशेष न्यायाधीश संजय चतुर्वेदी ने धारा 302 में कठोर सश्रम आजीवन कारावास एवं धारा 201 में तीन वर्ष के कठोर सश्रम कारावास सहित कुल 18000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है।

मामले में शासन की ओर से पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक राजीव बद्री सिंह ठाकुर ने बताया कि 10 अगस्त 2017 को थाना हिंडोरिया की बांदकपुर पुलिस चौकी में गुमशुदगी रिपोर्ट लिखाई गयी कि ग्राम मुड़ारी निवासी सुखदेव पिता गोविंद लोधी (26),कजरा उर्फ नोने पिता टेकसींग लोधी(29), अन्नू पिता माधव लोधी(24), एवं धर्मवीर पिता कोमल लोधी(23), गांव से दो दिन पहले कही चले गए हैं और वापिस नही आये है। रिपोर्ट के दो दिन बाद धर्मवीर लोधी की लाश सड़ी अवस्था मे कीड़े पड़ी हुई मुड़ारी हलगज के बीच खेत में मिली थी। 
पुलिस ने धर्मवीर के साथ गुम हुए तीनों व्यक्तियों को पकड़ा और उनसे पूछताछ की तो आरोपी कजरा उर्फ नोने ने पुलिस अभिरक्षा में स्वीकार किया कि धर्मवीर उसकी पत्नी पर बुरी निगाह रखता हैं इसलिए उसने अपने साथियों के साथ मिलकर उसके साथ दोस्ती की और उसे शराब पिलाने खेत में ले जाकर उसका गला दबाकर उसे मार डाला और फिर एक बड़ा पत्थर उसके ऊपर पटक दिया। जिससे कोई लाश पहचान न सके। मामला न्यायालय में आने पर आरोपियों ने अपने को निर्दोष बताया और पुलिस को दिए बयान से मुकर गए।
कमजोर विवेचना, अपूर्ण चिकित्सीय रिपोर्ट..

प्रकरण में कोई चक्षुदर्शी साक्षी नहीं होने, प्रकरण के साक्षियों के कथनों में दिनांक एवं विवेचक के हस्ताक्षर नहीं होने ओर न्यायालय साक्ष्य के पूर्व ही विवेचक पीडी मिंज की मृत्यु हो जाने से उसकी न्यायालय में साक्ष्य नहीं होने के साथ ही चिकित्सक द्वारा यह कथन देना कि लाश में अत्यधिक सफेद कीड़े लगे होने एवं चमड़ी उतरकर लाश सड़ जाने के कारण मृत्यु का कारण एवं समय नहीं बताया जा सकता को अभियोजन की कमजोरी बताकर आरोपियों को बरी किए जाने की मांग बचाव पक्ष द्वारा की गई।
निर्णय में न्यायालय ने अपना कर्तव्य बताया..

मामले में चिकित्सक द्वारा मृत्यु का समय एवं कारण नहीं बताने पर विशेष न्यायाधीश श्री चतुर्वेदी ने निर्णय में लिखा कि अब न्यायालय के कर्तव्य है कि वह मृतक की मृत्यु का समय पता लगाएं, न्यायाधीश द्वारा मोदी के चिकित्सीय विधिशास्त्र में बताएं सिद्धांत के आधार सूक्ष्मता से विस्तृत विश्लेषण करने पर मृतक की मृत्यु की समयावधि के निष्कर्ष पर पहुंचकर मृत्यु का समय एवं आरोपियों के साथ मृतक के गुम होने के समय को एक साथ ही पाया, और विवेचक द्वारा कथनों में हस्ताक्षर एवं दिनांक नहीं डालने पर न्यायाधीश ने लिखा कि इसका स्पष्टीकरण सिर्फ विवेचक ही दे सक ता था परंतु उसकी मृत्यु हो जाने से न्यायालयीन साक्ष्य नही होने से मामले में मात्र इस आधार पर साक्षियों के कथनों एवं प्रस्तुत साक्ष्य पर अविश्वास नहीं किया जा सकता।
अभियोजन की सराहना..
विशेष न्यायाधीश श्री चतुर्वेदी ने निर्णय में उल्लेख किया कि हत्या का कोई चतुर्दशी साक्षी नहीं होने के बाद भी प्रकरण की विवेचना के आधार पर अभियोजन, युक्तियुक्त संदेह से परे आरोपीगण के विरुद्ध निर्मित परिस्थितिजन्य साक्ष्य की समस्त कड़ियों को एकरूपता में पिरोने में पूर्ण सफल रहा है इसलिए अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्कों से सहमत होते हुए धर्मवीर लोधी की हत्या के आरोपी सुखदेव लोधी,कजरा उर्फ नोने लोधी एवं अन्नू लोधी के विरुद्ध भादवि की धारा 302 में कठोर सश्रम आजीवन कारावास एवं धारा 201 में तीन वर्ष के कठोर सश्रम कारावास सहित कुल 18000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया जाता है।

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