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कोरोना कर्फ्यू में होम डिलेवरी के नाम पर दुकानदारी महंगी पड़ी.. दो दर्जन दुकानदारों को पुलिस वाहन से खुली जेल ले जाने की कार्रवाई पर उठे सवाल.. व्यापारियों का कोई भी नेता बचाव में सामने नहीं आया.. इधर एक पुलिस कर्मी की दुकानदार से रूपए लेने की वीडियों भी सामने आई..

व्यापारियों का कोई भी नेता बचाव में नहीं आया..

दमोह। कोरोना कर्फ्यू के अंतिम दिनों में पुलिस द्वारा 2 दर्जन से अधिक किराना दुकानदारों पर धारा 188 के तहत की गई कार्रवाई तथा इस दौरान उन्हें बेइज्जत करते हुए पुलिस वाहन में बैठाकर खुली जेल ले जाने पर आम जनता के साथ व्यापारी वर्ग भी सवाल उठाता नजर आ रहा है। इधर शहर के नया बाजार गांधी चोक इलाके में एक पुलिसकर्मी के एक दुकानदार से रुपए लेने की वीडियो भी सामने आई है।

 मध्यप्रदेश में एक जून से कोरोना कर्फ्यू में शर्तों के साथ ढील दिए जाने की तैयारी है वही उसके पूर्व दमोह पुलिस ने 2 दर्जन से अधिक किराना दुकानदारों को पुलिस वाहन में ले जाकर खुली जेल भेजने कि जो कार्रवाई की है उस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। दरअसल कोरोना कर्फ्यू को लेकर प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार सुबह 3 घंटे के लिए होम डिलीवरी के जरिए आवश्यक सामग्री की आपूर्ति की छूट दी गई है। जिसके नाम पर व्यापारी अपने प्रतिष्ठान खोलकर दुकानदारी करने लगते हैं। वैसे भी होम डिलीवरी के ऑर्डर को पूरा करने के लिए सामान निकालने के लिए व्यापारी को अपनी दुकान खोलना पड़ती है वही बाहर से आने वाले माल को दुकान में रखने के लिए भी दुकान गोदाम खोलना पड़ती है। इसी दौरान यदि कोई ग्राहक आ जाए तो उससे भला कौन मना कर सकता है। 

वैसे भी दमोह जैसी छोटी सी जगह में महीने भर से अधिक कोरोना कर्फ्यू को हो चुका है। ऐसे में सर्विस पेशा और सक्षम संपन्न वर्ग को भले ही कोई फर्क ना पड़ रहा हो लेकिन मध्यम वर्गीय और गरीब वर्ग की आर्थिक रूप से कमर टूट चुकी है। ऐसे में उधारी में जरूरी सामान की होम डिलीवरी की तो कल्पना ही नही की जा सकती है। समझा जा सकता है कि उधार हाल और महंगे दामों पर सामान खरीदने के लिए जरूरत मंद को ही दुकानदार के पास पहुंचने को मजबूर होना पड़ता है।


दूसरी ओर कुछ दिन पूर्व ही बरंडा, गांधी चौक, बर्तन बाजार आदि क्षेत्रों में कुछ खबरचियों के निर्देशन में की गई कार्रवाई के बाद कुछ पुलिसकर्मियों और कुछ दलालों की बड़े व्यापारियों से सेटिंग हो जाने और हफ्ता वसूली की खबरे भी सामने आती रही है। जिस के चलते उक्त खबरचियों ने पुलिस के साथ दोबारा उक्त बड़े दुकानदारो की ओर रुख भी नही किया। आज भी नयाबाजार गांधी चौक इलाके से एक ऐसी वीडियो वायरल हुई है जिसमें एक युवा व्यापारी से वहा ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी कुछ देर के लिए शटर ऊपर करने देने के बदले में रुपए ले रहा है। हालांकि वीडियो बनाए जाने की भनक लगते ही पुलिसकर्मी ने अपने हाथ पीछे खींच लिए। 

यह सब लिखने और बताने का आशय यही है कि कई क्षेत्रों में इस तरह की स्थिति सामने आने की चर्चाएं पूरे बाजार में रही हैं और यही वजह रही है कि सुबह के 3 घंटे की छूट के समय में किराना व्यापारियों सहित अन्य दुकानदार होम डिलीवरी के नाम पर दुकानें खोलने से नहीं चूकते हैं। वैसे भी यदि इनकी दुकाने नही खुले तो आम आदमी शक्कर पत्ती तेल तक को मोहताज हो जाए। क्यों की किसी के घर मे महीने भर से अधिक के किराने का स्टॉक नहीं होता।


 कोरोना कर्फ्यू की पाबंदियों का फायदा उठाकर हालांकि अनेक दुकानदार लोगों से ज्यादा कीमत भी वसूलते हैं कम भी तोलते हैं और बर्ताव भी ठीक नहीं करते हैं। इसके बावजूद पुलिस द्वारा अनेक किराना व्यापारियों के साथ की गई आज की कार्यवाही कहां तक उचित है इस पर सवाल उठना लाजमी है। नगर में जिला व्यापारी संघ, युवा व्यापारी संघ, कैट एवं किराना व्यापारी संघ जैसे अनेक संगठन व्यापारियों के हितार्थ समय-समय पर ज्ञापन देते रहे हैं। हो सकता है इस मामले को लेकर भी कल कुछ व्यापारी संगठन प्रशासन को ज्ञापन देकर अपनी आपत्ति दर्ज कराएं। लेकिन आज की उपरोक्त कार्रवाई के दौरान व्यापारी संघ के किसी भी नेता का सामने नहीं आना चर्चा का विषय बना हुआ है। 

उल्लेखनीय है की सरकार को विभिन्न प्रकार के टैक्स देने के मामले में व्यापारी वर्ग ही सबसे आगे रहता है वह कोरोना काल में भी टेक्स देने में अव्वल है । बड़ेेे व्यापारियों कोअपने कारोबार से संबंधित आवक जावक कि लिखापढ़ी भी जीएसटी नियमों के तहत रोज ही करना पड़ती है। बैंकों मैं रुपए जमा करने से लेकर ड्राफ्ट आदि बनवाना पड़ते हैं। छोटे दुकानदारों को बड़े व्यापारियों का भुगतान करनेे के 3 घंटे की छूट केेे दौरान ही सब कुछ करना पड़ता है। ऐसे में पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही पर कटाक्ष करतेे हुए कुछ कांग्रेसी यह कहने से भी नहीं चूक रहेे हैं कि मोदी हैै तो मुमकिन है.. पिक्चर अभी बाकी है..

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