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बसस्टेंड के भूमि पूजन को लेकर राजनीति गरमाई.. PIC की मंजूरी के बिना कांग्रेस विधायक के भूमि पूजन पर सवाल ? पूर्व मंत्री जयंत मलैया करेंगे पत्रकार वार्ता आज..

बसस्टेंड भूमिपूजन को लेकर गरमाई राजनीति-
दमोह। व्यवस्थित बसस्टेंड की आस लगाये बैठे शहर वासियों को पिछले साल विधानसभा चुनाव के पहले शहर के बाहर सागर नाका क्षेत्र में नए बस स्टैंड के भूमि पूजन की सौगात मिली थी। इस बसस्टेंड का निर्माण कार्य शुरू हो पाता और उसके पहले ही भाजपा की सरकार चली गई। अब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के पहले कांग्रेस विधायक राहुल सिंह के पुराने बस स्टैंड की जगह नए बस स्टैंड के भूमि पूजन की तैयारी ने राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी है।
विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान बसस्टेंड के शहर के बाहर सागर नाका क्षेत्र में जाने से पूजी पतियों की जमीन को जबरदस्त लाभ पहुंचाए जाने जैसे आरोपों के साथ पंपलेट बाजी का दौर चला था। वही शहर के बसस्टेंड क्षेत्र के चारों तरफ छोटा-मोटा व्यवसाय चला कर रोजी रोटी कमाने वालों के मन में भय पैदा कर दिया गया था। कि यदि बसस्टेंड यहां से चला गया तो उनकी रोजी-रोटी का क्या होगा। उस समय कांग्रेस प्रत्याशी राहुल सिंह ने प्रचार के दौरान एलान किया था यदि वह चुनाव जीते तो बसस्टेंड का निर्माण पुरानी जगह पर ही कराएंगे।
राहुल के चुनाव जीतने के साथ ही अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने 70 दिन से अधिक का समय हो चुका है।तथा लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने वाली है ऐसे में बसस्टेंड को लेकर राजनीति फिर गरमा उठी है। कांग्रेस विधायक  राहुल सिंह की तरफ से पुराने बस स्टैंड पर नए बस स्टैंड के निर्माण कार्य के भूमि पूजन की तैयारियां की गई है। तथा यह कार्य नगर पालिका के सहयोग से कराया जा रहा है। शहर में जगह-जगह लगे फ्लेक्सों में कांग्रेस विधायक राहुल सिंह के अलावा प्रभारी मंत्री प्रभु राम चौधरी और भाजपा की नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती मालती असाटी की तस्वीर भी नजर आ रही है। 
 बसस्टेंड के 3 मार्च के भूमि पूजन के कार्यक्रम के कार्ड भी छप चुके हैं। ऐसे में अब भाजपा की ओर से बसस्टेंड के निर्माण कार्य के भूमि पूजन के विरोध की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। नगर पालिका में भाजपा समर्थित PIC के मेंबरों द्वारा कहा जा रहा है कि पीआईसी की बैठक में मंजूरी के बिना बसस्टेंड के निर्माण कार्य की स्वीकृति बिना ही भूमि पूजन कैसे किया जा सकता है। नगर पालिका के सभापतियो का कहना है इस मामले में सीएमओ कपिल खरे से सवाल किए जाने पर वह चुप्पी साधे हुए हैं। यानी उनकी ही यह कारस्तानी है।
आपको बता दे कि प्रदेश में सरकार बदलते ही प्रभारी सीएमओ की कांग्रेस खेमे में पैराशूट लैंडिंग की बात कही जाने लगी है।  यही वजह है कि दमोह नगर पालिका में शासन द्वारा पदस्थ किए गए सीएमओ को भी वापस करा दिया गया है और 70 दिन के कांग्रेस के कार्यकाल में एक भी ऐसा मामला या विरोध सामना नहीं आया है जिसे देखकर लगे कि प्रदेश में सरकार बदलने के बाद नगर पालिका में कुछ बदलाव आया हो। वही इस मुद्दे को लेकर पूर्व मंत्री जयंत मलैया द्वारा 2 मार्च को दोपहर 12 बजे जिला भाजपा कार्यालय में एक पत्रकार वार्ता का आयोजन भी किया गया है। इसके बाद स्पष्ट होगा कि बसस्टेंड को लेकर भाजपा के लोग किन मुद्दों पर अपना विरोध दर्ज कराएंगे।
 आपको बता दें कि सागर नाके पर नए बस स्टैंड के भूमि पूजन के समय तत्कालीन वित्त मंत्री जयंत मलैया ने बड़े ही जोशो खरोश के साथ कहा था कि कांग्रेस के समय के शिलालेखों पर कुत्ते पेशाब करते थे। और उनके समय का कोई ऐसा शिलालेख बता दो जिसका काम नहीं हुआ हो। लेकिन सरकार बदलते ही स्थिति बदलते देर नहीं लगी। जिस जगह पर मंत्री जी ने नए बस स्टैंड का भूमि पूजन किया था वहां का शिलालेख गायब हो चुका है। और उस जगह पर कृषि विभाग द्वारा पूर्व खेती कराई जा रही है।
गौरतलब है कि शहर के लोगों की पहली प्राथमिकता वर्तमान बसस्टेंड की स्थिति में सुधार के साथ इसे व्यवस्थित स्वरूप कराना ही रहा है लेकिन 15 साल के भाजपा सरकार के कार्यकाल में बसस्टेंड क्षेत्र की जबरदस्त उपेक्षा का या नतीजा रहा है कि यह चारों तरफ अफरा-तफरी और कीचड़ गंदगी भरे हालात से शहर की छवि बाहर से आने वाले लोगों के बीच में खराब बनती रही है लोगों का यह भी मानना रहा है कि बसस्टेंड का नया निर्माण भले ही सागर, जबलपुर, हटा या किसी भी नाके पर हो लेकिन इस बसस्टेंड की उपयोगिता को समाप्त नहीं किया जाए। नहीं तो सैकड़ों लोगों की रोजी रोटी के साथ काम धंधे प्रभावित होंगे
 देखना होगा बस स्टैंड पर नए बस स्टैंड के भूमि पूजन के नाम पर कांग्रेस विधायक द्वारा उठाए गए कदम की विरोध की राजनीति क्या गुल खिलाती है ? तथा पुराने बस स्टैंड पर नया स्वरूप मूर्त रूप धारण कर पाता है अथवा विधानसभा चुनाव के पहले नए बस स्टैंड के भूमि पूजन की तरह यह भूमि पूजन भी महज चुनावी स्टंट बनकर रह जाता है। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट

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