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सही साबित हुई भाजपा के वागी बाबा की भविष्यवाणी, हारने के बाद मंत्री मलैया का कटाक्ष.. किन्नर से कम वोट मिले उनको..

अपनों की आहो से सत्ता के सिंहासन से दूर शिवराज-
मध्यप्रदेश में चौथी बार सरकार बनाने का सपना देखने वाली भाजपा की शिवराज सरकार अपनों की आहो से आहत होकर 20 साल पुरानी स्थिति में पहुंच गई है। वहीं मप्र की जनता ने कमल वालों को हटा कर अब कमल नाथ की ताजपोशी पर मुहर लगा दी है।
मप्र की सत्ता से सात कदम दूर रह गई भाजपा का सत्ता का दरवाजा बुंदेलखंड से बंद हुआ तथा इसकी वजह बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पूर्व मंत्री वह पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसमरिया बाबाजी के बगावती तेवर रहे हैं। जो दमोह तथा पथरिया से निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद खुद तो कोई करिश्मा नहीं दिखा सके लेकिन आधा दर्जन सीटों पर भाजपा की हार का कारण बन गए। राजनीति के पुराने खिलाड़ी श्री कुसमरिया ने नतीजे आने के पहले ही कह दिया था कि निर्दलीय के बिना प्रदेश में किसी की सरकार नहीं बनेगी और हुआ भी वही।

दरअसल पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया ने पथरिया से भाजपा की टिकट मांगी थी तथा उन्हें आश्वस्त भी किया गया था।  परंतु ऐन मौके पर मंत्री जयंत मलैया के खास विधायक लखन पटेल को भाजपा ने फिर से प्रत्याशी घोषित कर दिया। लखन को फिर से टिकट दिलाने में मंत्री जयंत मलैया की अहम भूमिका होने से नाराज बाबाजी ने पथरिया के अलावा दमोह से भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में ताल ठोक दी। इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा दो बार हेलीकॉप्टर लेकर दमोह आए।  लेकिन तब तक बाबाजी को मंत्री मलैया विरोधी नेता विश्वास में ले चुके थे। 

अब जबकि प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया का नाम भी हारने वाली मंत्रियों की सूची में शामिल हो चुका है तथा उनकी हार की वजह में कुसमरिया के बगावती तेवर भी शामिल रहे हैं। बाबाजी द्वारा मलैया पर खुलकर निशाना साधे जाने के बाद अब मलैया भी यह कहने से नहीं चुके की उनके लिए पार्टी ने कितना कुछ किया है तथा इतना विरोध करने के बाद भी उनको किन्नर प्रत्याशी से कम वोट मिले।

दोनों नेताओं के बीच में इतनी अधिक खटास बढ़ने की वजह जिला पंचायत अध्यक्ष सहित कुछ नेताओं की दोहरी भूमिका रही है। जो कुसमरिया को निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए लगातार प्रेरित करते रहे। इधर भाजपा से निष्कासित होने के बाद बाबाजी को जब लगा कि वह चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है तो उन्होंने पर्दे के पीछे दमोह में कांग्रेस तथा पथरिया में बसपा से हाथ मिला लिया। 11 दिसंबर को जब चुनाव परिणाम सामने आए तो रात में बाबाजी कांग्रेस प्रत्याशी राहुल सिंह के खेमे में बैठे हुए थे। 

वही नतीजो के पथरिया से  बसपा विधायक  चुनी गई  राम बाई बाबाजी से आशीर्वाद लेकर धन्यवाद देती नजर आ रही थी। बाबाजी की बिगड़ी बदली हुई भूमिका का असर दमोह पथरिया के अलावा दमोह संसदीय क्षेत्र के बंडा व मलहरा तथा पन्ना के गुनोर और छतरपुर के राजनगर में भी दिखा है। 
दमोह पन्ना संसदीय क्षेत्र से तीन बार सांसद रहे श्री कुसमरिया का मलहरा तथा गुनोर क्षेत्र में खासा प्रभाव रहा है।पिछली बार राजनगर से चुनाव हारने के बाद बाबा के समर्थकों ने इस बार फिर भाजपा प्रत्याशी को राजनगर से नही जीतने दिया।

  मलहरा से कांग्रेस टिकट पर धमाकेदार जीत हासिल करने वाले प्रदुमन सिंह पूर्व में दमोह मंडी के अध्यक्ष व भाजपा नेता रहे हैं। बाबाजी के सांसद रहते इनकी गिनती कुसमरिया जी के खास समर्थको में होती थी। इस बार बाबाजी के भाजपा से बाहर होने की वजह से इनके समर्थकों तथा कुर्मी समाज की बोट बड़ी संख्या में कांग्रेस के खाते में चली गई। और नतीजा सबके सामने है, भले ही भाजपा के नेता ऐसे माने अथवा नहीं। तथा यह कहकर बाबाजी की खिल्ली उड़ाते रहे क्यों नहीं किन्नर से कम वोट मिली।
यहां पर यह सब बताने का आशय यही है कि बाबाजी के बगावती तेवरों से बुंदेलखंड मैं कांग्रेस को बल नही मिला होता तो आधा दर्जन से अधिक सीटें कांग्रेस के बजाय भाजपा के खाते में जाती। और आज जिस स्थिति में कांग्रेस पहुच गई वहां पर भाजपा कायम  होती। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट

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