समन्ना से हटा नाका रिंग रोड विस्तार को स्वीकृति
नई दिल्ली/दमोह। गुरुवार सुबह दमोह सांसद राहुल सिंह ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के चेयरमैन संतोष कुमार यादव से नई दिल्ली स्थित कार्यालय में सौजन्य भेंट की। मुलाकात के दौरान दमोह शहर की सड़क कनेक्टिविटी एवं रिंग रोड विस्तार को लेकर विस्तृत चर्चा हुई।
सांसद
राहुल सिंह ने बताया कि वर्तमान में दमोह शहर को चारों दिशाओं से प्रमुख
हाईवे कनेक्टिविटी प्राप्त है जिसमें बक्सवाहा से दमोह, सागर से
दमोह,जबलपुर से दमोह,कटनी से दमोह,हटा से दमोह है। इसके
साथ ही हटा से इमलाई बाईपास, बांसा बाईपास, अभाना बाईपास होते हुए समन्ना
बाईपास तक का रिंग रोड का अधिकांश हिस्सा पहले ही बनकर तैयार है।
लेकिन समन्ना से हटा नाके तक लगभग 4 किमी लंबा हिस्सा अभी निर्मित नहीं हो पाने से भारी वाहनों का दबाव शहर के भीतर बना रहता है।
इस आवश्यक कनेक्टिविटी को जोड़ने के लिए सांसद ने चेयरमैन से रिंग रोड के अंतिम हिस्से के निर्माण का अनुरोध किया। इस
पर NHAI चेयरमैन संतोष कुमार यादव ने तत्काल DPR (डिटेल्ड प्रोजेक्ट
रिपोर्ट) तैयार करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। यह DPR लगभग 2–3 महीनों
में तैयार हो जाएगी, जिसके उपरांत विधिवत टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी
जाएगी।
दमोह मारुताल बाइपास की शासकीय भूमि पर कब्जा हटाने का रास्ता साफ, अदालत ने वादीगण का दावा किया निरस्त.. दमोह।
सिविल न्यायाधीश अनुप्रक्षा जैन की अदालत ने मारुताल बाईपास के पास स्थित
पाँच एकड़ से अधिक की बेशकीमती शासकीय भूमि पर कब्जाधारियों द्वारा दायर उस
याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने शासन को उनके कच्चे-पक्के
मकान तोड़ने और भूमि से बेदखल करने से रोकने तथा स्वयं को भूमि स्वामी
घोषित करने की मांग की थी। शासन के प्रतिनिधि कलेक्टर की ओर से सरकारी वकील राजीव बद्री सिंह ठाकुर ने कलेक्टर दमोह का पक्ष रखते हुए प्रकरण में बहस की।
मामले का विवरण.. वादी
मलखान मुंडा, मोहन मुंडा, दुर्गाबाई मुंडा, शांतिबाई मुंडा और राजा मुंडा
ने अदालत में दावा किया कि वे अपने पिता के समय से लेकर आज तक लगभग 30 वर्ष
से भी अधिक समय से उक्त शासकीय चरनोई मद की भूमि पर कच्चे-पक्के घर बनाकर
निवास कर रहे हैं। उनका कहना था कि राजस्व अधिकारी
उनके कब्जे से अवगत रहे हैं और कभी बेदखली की कार्रवाई नहीं की गई। वादीगण
ने स्वयं को भूमिहीन, गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाला तथा अनुसूचित
जनजाति वर्ग का बताते हुए दावा किया कि लंबे समय के कब्जे के आधार पर वे
भूमि स्वामी के हकदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्व अधिकारी उन्हें
पुलिस बल के माध्यम से बेदखल करने की तैयारी में हैं और कब्जा हटाने के
बदले आवास दिलाने का लालच दे रहे हैं।
शासन का पक्ष.. कलेक्टर
दमोह की ओर से सरकारी वकील राजीव बद्री सिंह ठाकुर ने न्यायालय को बताया
कि विवादित भूमि शासन की है तथा उसे हाउसिंग बोर्ड को कमजोर वर्ग के
नागरिकों के लिए आवास उपलब्ध कराने हेतु संरक्षित कर आवंटित किया जा चुका
है। वादीगण बिना किसी अधिकार के इस बेशकीमती भूमि पर
अवैध कब्जा किए हुए हैं और उन्हें राजस्व अभिलेखों में भूमिस्वामी घोषित
करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। शासन की ओर से तहसीलदार रॉबिन जैन ने साक्ष्य प्रस्तुत कर शासन का पक्ष मजबूत किया।
न्यायालय का निष्कर्ष.. दोनों पक्षों की गवाही और साक्ष्यों का विश्लेषण करने के बाद न्यायालय ने कहा: वादीगण यह साबित नहीं कर पाए कि उनका कब्जा वैधानिक रूप से भूमि स्वामित्व का आधार बन सकता है। मात्र लंबे कब्जे के आधार पर कोई भी व्यक्ति शासकीय भूमि का पट्टा या स्वामित्व प्राप्त नहीं कर सकता। भूमि शासन की है, जिसे शासन किसी भी प्रयोजन हेतु सुरक्षित रख सकता है या आवंटित कर सकता है।वादीगण का कब्जा अवैध है; इसलिए उन्हें बेदखल करने या उनके कच्चे-पक्के घर हटाने की कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई जा सकती। अदालत
ने सभी वादियों का दावा निरस्त करते हुए कहा कि शासन विधि अनुसार भूमि का
कब्जा लेने के लिए बाध्य है और वादीगण को बेदखल होने से किसी प्रकार की
न्यायिक सुरक्षा नहीं मिल सकती।



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