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आपकी पूंजी आपका अधिकार शिविर आज.. निष्क्रिय, मृत खाता धारकों की राशि भी मिलेगी.. इधर गंभीर मारपीट प्रकरण में दो आरोपियों को चार-चार वर्ष का सश्रम कारावास..

दमोह में आपकी पूंजी आपका अधिकार शिविर आज 

दमोह। कलेक्ट्रेट कार्यालय की जनसुनवाई सभा कक्ष में आगामी 12 दिसंबर को एक विशेष शिविर आयोजित किया जा रहा है। यह शिविर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के देशव्यापी अभियान आपकी पूंजी आपका अधिकार के अंतर्गत लगाया जा रहा है। शिविर का उद्देश्य उन खाताधारकों को सुविधा देना है जिनके बैंक खाते पिछले 10 वर्षों से निष्क्रिय हैं या जिनकी राशि अनक्लेम्ड के रूप में दर्ज हो चुकी है।

लीड बैंक प्रबंधक हेमंत कुमार ने एसबीआई सहित अन्य बैंकों को निर्देश दिए हैं कि कैंप में ऐसे सभी निष्क्रिय खातों को पुनः सक्रिय किया जाए और जिनके खातों में वर्षों से पड़ी राशि अनक्लेम्ड है उसे खाताधारक या उनके पात्र वारिशों को वापस दिलाई जाए।
मृत खाताधारकों की राशि भी मिलेगी नॉमिनी को.. उन्होंने बताया जिन खाताधारक की मृत्यु हो चुकी है उनके नॉमिनी या कानूनी वारिश आवश्यक दस्तावेजों के साथ दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके लिए मृत्यु प्रमाणपत्र पहचान पत्र बैंक द्वारा मांगे गए दस्तावेज आवश्यक होंगे। उन्होंने कहा रिज़र्व बैंक के निर्देशों के अनुसार दस्तावेज़ सत्यापन के बाद अनक्लेम्ड राशि का भुगतान किया जाएगा।
कैम्प में होगी ई केबाईसी और खातों के पुनः सक्रिय करने की सुविधा.. लीड बैंक प्रबंधक ने कहा शिविर में उपस्थित लोग ई केबाईसी कराकर अपने निष्क्रिय खाते पुनः सक्रिय करा सकेंगे। जिन खातों में लेनदेन न होने के कारण रोक लगी है उन्हें भी इस प्रक्रिया के बाद सामान्य रूप से संचालित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा यह शिविर उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जिनकी मेहनत की कमाई लंबे समय से बैंक में पड़ी है और वे इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। शिविर में बैंक अधिकारी लीगल अधिकारियों की टीम और संबंधित विभाग मौजूद रहेंगे। उन्होंने लोगों से अपील की है कि जिनके खाते निष्क्रिय हैं या जिनके परिवार में किसी का बैंक खाता अनक्लेम्ड स्थिति में हैए वे 12 दिसंबर को शिविर में पहुंचकर अपनी राशि का दावा अवश्य करें।

गंभीर मारपीट प्रकरण में दो आरोपियों को चार-चार वर्ष का सश्रम कारावास.. दमोह। न्यायाधीश पंकज वर्मा की अदालत ने गंभीर मारपीट के एक प्रकरण में त्वरित सुनवाई करते हुए सात माह में निर्णय सुनाते हुए दो अभियुक्तों को चार-चार वर्ष के सश्रम कारावास एवं कुल चार हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। मामले में शासन की ओर से पैरवी सरकारी वकील राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई।
प्रकरण का विवरण इस प्रकार है दिनांक 3 मार्च 2024 की शाम लगभग 7 बजे सुरेका कॉलोनी निवासी राजेंद्र पटेल अपने ग्राम हिन्नाई स्थित खेत से घर लौट रहे थे। खेत के बाड़े का गेट लगा रहे थे, तभी पुरानी रंजिश के चलते हिन्नाई उमरी निवासी मुन्ना उर्फ हरप्रसाद पटेल पिता बेनीप्रसाद (58), जय जय उर्फ कृष्णकांत पटेल पिता मुन्ना (28), और  प्रहलाद उर्फ बचे पिता भागचंद पटेल (48) वहां पहुंचे और राजेंद्र को गालियां देने लगे। मना करने पर मुन्ना पटेल ने हाथ में ली लोहे की रॉड सिर पर मार दी, जिससे गंभीर रक्तस्राव हुआ। अन्य दो आरोपियों ने लाठियों से भीषण मारपीट की। हमले में राजेंद्र के हाथ, माथे और पसलियों में गंभीर चोटें आईं। घटना के दौरान राजेंद्र अर्ध-चेतन स्थिति में था, तभी उसके भाई आशीष पटेल व अशोक पटेल पहुंचे और उसे बचाया। दोनों भाई घायल को जिला अस्पताल ले गए, जहां गंभीर हालत देखते हुए भोपाल रेफर किया गया और हाथ में फ्रैक्चर के लिए सर्जरी हुई। मामले की FIR थाना दमोह देहात में दर्ज हुई। आरोपी कुछ समय तक फरार रहे, जिसके कारण एक वर्ष बाद उनका चालान न्यायालय में प्रस्तुत हो सका। न्यायालय ने 27 मई 2025 को आरोप तय किए। अभियोजन की ओर से 8 साक्षियों का परीक्षण कराया गया। विचारण के दौरान आरोपी मुन्ना उर्फ हरप्रसाद पुनः फरार हो गया।अभियुक्तों ने तर्क दिया कि कोई स्वतंत्र साक्षी नहीं है, दोनों प्रत्यक्षदर्शी घायल के भाई हैं और रिपोर्ट भी तीन दिन बाद दर्ज हुई, इससे मामला संदेहजनक है।
न्यायालय ने कहा कि घटना खेत में शाम के समय हुई, जहां स्वतंत्र साक्षी होना स्वाभाविक नहीं। अतः स्वतंत्र साक्षी न होना अभियोजन को कमजोर नहीं करता। रिपोर्ट देर से दर्ज होना भी स्वाभाविक है क्योंकि घायल घटना वाले दिन गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती था और पुलिस को चिकित्सकीय सूचना मिल चुकी थी।
 फैसला.. अभियोजन के साक्ष्यों एवं तर्कों के आधार पर न्यायालय ने आरोप सिद्ध मानते हुए जय-जय उर्फ कृष्णकांत पटेल तथा प्रहलाद पटेल को चार-चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं कुल ₹4,000 के अर्थदंड से दंडित किया। निर्णय के बाद दोनों को जेल भेजा गया। न्यायालय ने आरोप तय होने के बाद केवल 7 माह में प्रकरण का निराकरण कर त्वरित न्याय का उदाहरण प्रस्तुत किया।

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