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लोकायुक्त द्वारा ट्रैप उपयंत्री पर मेहरबानियां बरकरार, अब महत्वपूर्ण तकनीकी शाखा का प्रभार.. इधर जिला पंचायत में सूचना का अधिकार बना मजाक कलेक्टर से शिकायत भी बेअसर..!

लोकायुक्त ट्रैप उपयंत्री को तकनीकी शाखा का प्रभार

दमोह।  प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद पटेल के पसंदीदा क्षेत्र दमोह जिले में पंचायत विभाग में भ्रष्टाचार घटिया निर्माण के कसीदे लिखे जाने का दौर जारी है वही लोकायुक्त द्वारा ट्रैप एक उपयंत्री पर विभागीय अधिकारियों की कृपा दृष्टि बनाम मेहरबानियां का दौर भी लगातार जारी है।
यहां हम एक बार फिर बात कर रहे हैं दमोह जनपद में पदस्थ रहे ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के चर्चित उपयंत्री राजन सिंह की। जिनको सागर लोकायुक्त की टीम ने 16 सितंबर 2025 को एक गरीब आदिवासी सरपंच से 20000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था।  इनके खिलाफ लोकायुक्त के द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध करके विभाग के अधिकारियों को उसी दिन सूचना दे दी गई थी। इसके बावजूद विभाग के बड़े अधिकारियों की उपयंत्री राजन सिंह पर कृपा दृष्टि इस तरह से बरकरार बनी रही मानो कुछ हुआ ही ना हो। 
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा 17 सितंबर 2025 को जारी आदेश में इनको ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग कार्यालय में अटैच किया गया लेकिन इस आदेश में कहीं भी आलेख नहीं किया गया कि लोकायुक्त द्वारा रिश्वत लेते पकड़े जाने पर उनको ऑफिस अटैच किया जा रहा है। उसके बाद 26 सितंबर 2025 को एक और आदेश जारी करके इनको बटियागढ़ जनपद में पदस्थ करते हुए समस्त सेक्टर की जिम्मेदारी सौंप दी गई। खास बात कह रही की दोनों ही आदेशों को कलेक्टर से अनुमोदित करना आवश्यक नहीं समझ गया।
इधर लोकायुक्त द्वारा ट्रैप उपयंत्री को दस दिन में ही बड़ी जिम्मेदारी सौपे जाने की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद भी जिला पंचायत के सीईओ से लेकर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग के सीईओ ने इसे हल्के में लिया। बाद में मामला कलेक्टर के संज्ञान में ले जाने पर 6 अक्टूबर 2025 को जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को फिर एक नया आदेश जारी करना पड़ा। जिसमे राजन सिंह के खिलाफ की गई लोकायुक्त कार्यवाही का हवाला देते हुए उनको ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग के ऑफिस में अटैच किया गया। खास बात यह रही की यह आदेश कलेक्टर द्वारा अनुमोदित किया गया था। इस तरह राजन सिंह मामले का एक तरह से पटाक्षेप हो गया था। लेकिन यह शांति कुछ ही दिन की रही। मौका मिलते ही अधिकारियों की मेहरबानियां एक बार फिर राजन सिंह पर बरसती हुई नजर आई हैं।
ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग के कार्यपालन यंत्री मनोज गुप्ता के द्वारा 28 अक्टूबर 2025 को जारी आदेश में उपयंत्री राजन सिंह को आरईएस कार्यालय की सबसे महत्वपूर्ण शाखा तकनीकी का प्रभारी बना दिया गया। इस आदेश की नाडोल जिला पंचायत के सीईओ से अनुशंसा कराई गई और ना ही कलेक्टर महोदय से सिर्फ इनको आदेश की प्रति सूचनार्थ प्रेषित कर दी गई।
दमोह के निवासी को गृह जिले में बड़ी जिम्मेदारी भी चर्चाओं में.! यहां उल्लेखनीय है कि मनोज गुप्ता मूल रूप से दमोह के मूल निवासी हैं लेकिन वह किस तरह से जुगाड़ जमाकर गृह जिले में  महत्वपूर्ण पद पर काबिज हो गए यह जांच का विषय है। तेंदूखेड़ा जनपद में पदस्थ रहते हुए पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा उन पर काफी गंभीर आरोप लगाकर विरोध किया गया था। उसके बाद उनको वहां से हटाकर पथरिया जनपद का सीईओ का प्रभार दिया गया था लेकिन वहां भी शिकायत विरोध होने पर हटा दिया
 गया था। लेकिन जुगाड़ जमाने में माहिर श्री गुप्ता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग के कार्यपालन यंत्री पद पर काबिज हो गए।  एक मंत्री के भाई से कथित नजदीकी की चर्चाओ के चलते इनको मलाईदार पद मिलने की बात भी चर्चाओं में रही है।
क्या लोकायुक्त ट्रैप उपयंत्रियों के लिए रिजर्व है तकनीकी शाखा प्रभारी..? लोकायुक्त द्वारा ट्रैप राजन सिंह को ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग में जिस तकनीकी शाखा का प्रभारी बनाया गया है वहां पर इसके पूर्व उपयंत्री सीताराम कोरी पदस्थ थे। इनकेेे खिलाफ पूर्व में आर्थिक अपराध ब्यूरो जबलपुर द्वारा  कार्रवाई किए जाने पर ऑफिस अटैच करने के बाद तकनीकी शाखा का प्रभारी बना दिया गया था। उनके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किए जाने पर इनकी संविदा सेवाओं को 25 अक्टूबर 2025 को समाप्त कर दिया गया था। जिसके 3 दिन बाद ही  राजन सिंह को जो कि पिछले महीने लोकायुक्त द्वारा ट्रैप किए गए थे को तकनीकी शाखा का प्रभारी बना दिया गया।
सूचना का अधिकार बना मजाक कलेक्टर से शिकायत भी बेअसर..! दमोह जिला पंचायत में सूचना के अधिकार मामले में साधारण से लेकर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करना आसान नहीं है निर्धारित समय सीमा भी जाने और इसके बाद अपीललिए आवेदन दिए जाने के बाद भी आवेदकों को चक्कर लगवाने के मामले में संबंधित अधिकारी कर्मचारी कोई और कसर नहीं छोड़ते। और इस संदर्भ में जब जिला पंचायत के सीईओ को भी अवगत कराया जाता है तो वह हल्के में लेते नजर आते हैं। यहां तक की ऐसे ही एक मामले की लिखित शिकायत कलेक्टर से किए जाने के बाद भी संबंधितों के उपर कोई असर पड़ता नजर नहीं आ रहा है।

मामला मनरेगा शाखा मैं अधिकारियों के कार्य विभाजन की जानकारी से संबंधित है, जिसके लिए 29 जुलाई 2025 को आवेदन प्रस्तुत किए जाने के निर्धारित समय सीमा में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।  आवेदक को मजबूरी में अपीलीय आवेदन लगाने पर अपील अधिकारी के द्वारा 6 अक्टूबर 2025 पेशी निर्धारित की गई। आवेदक जब निर्धारित समय पर जिला पंचायत कार्यालय पहुंचा तो बताया गया कि अपील अधिकारी प्रभु शंकर पांडे पेशी पर जबलपुर गए हैं। जिस पर जिला पंचायत के सीईओ को आवेदन अपील आवेदन एवं पेशी पत्र दिखाकर हालात से अवगत कराया गया। लेकिन वह भी मामले को गंभीरता से लेते नजर नहीं आए। इसके बीस दिन बाद भी जब अपील अधिकारी के द्वारा आवेदक को इस संदर्भ में दोबारा तलब नहीं किया गया तो 27 अक्टूबर 2025 को कलेक्टर के नाम एक आवेदन देकर अवगत कराया गया।
इसके बाद 6 नवंबर को अपील अधिकारी द्वारा पेशी का एक नया पत्र बनाने के बादं चार दिन बाद आज 10 नवंबर को आवेदक के पास भेजा गया। उपरोक्त हालात से समझा जा सकता है कि जिला पंचायत तथा इससे संबंधित विभागों में किस तरह से सूचना के अधिकार का मजाक उड़ाते हुए आवेदकों को पेशी दर पेशी देकर उनके सब्र का इम्तहान लिया जा रहा है।

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