संघ अपने प्रारंभ से आज तक अपनी विचारधारा से जुड़ा है, जो विदेशो में भी शोध का विषय है.. दमोह।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के आयोजनों की श्रृंखला में
महाराणा प्रताप उपनगर का गणवेश एकत्रीकरण एवं पद संचलन मंगलवार को किया
गया। पॉलिटेक्निक महाविद्यालय मैदान पर सायं 4 बजे स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण पश्चात मुख्य अतिथि सिक्ख समाज से इंद्रजीत अरोरा, संघ के सह प्रांत प्रचारक श्रवण
जी और नगर संघ चालक डॉ विक्रांत चौहान जी द्वारा सर्वप्रथम शस्त्र पूजन
किया गया। शस्त्र पूजन उपरांत मंचिस मुख्य अतिथियों के साथ कार्यक्रम में
उपस्थित स्वयंसेवक और उपस्थित जनों द्वारा ध्वज प्रणाम किया गया। तत्पश्चात अतिथियों द्वारा संघ की मासिक पत्रिका शाश्वत हिंदू गर्जना के
शताब्दी वर्ष पर प्रकाशित विशेष अंक का विमोचन किया गया। यह पत्रिका
महाकौशल प्रांत के 23 हजार 914 ग्रामों के 55 हजार से अधिक घरों तक अपनी
पहुंच बनाए हुए हैं। इसके पश्चात स्वयंसेवक द्वारा एकल गीत की प्रस्तुति
हुई।
संघ ने जाति, पंथ का भेदभाव मिटाकर लाई एकजुटता.. कार्यक्रम
के मुख्य अतिथि इंद्रजीत अरोरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि संघ जाति
संप्रदाय का भेदभाव मिटाकर सामाजिक एकजुटता और समरसता लाने के लिए सतत् रूप
से कार्य कर रहा है और साथ ही अपने कार्यों से सांस्कृतिक और सामाजिक
समरसता को बढ़ा रहा है। संघ का यह आयोजन महज 100 वर्षों के होने का नहीं है
बल्कि राष्ट्र सेवा और परिवर्तन के 100 वर्षों की यात्रा है। उन्होंने
कहा कि वीर साहबजादो के बलिदान दिवस 26 नवंबर को वीर दिवस के रूप में मनाया
जाना एक महान और धन्यवाद ज्ञापित करने का विषय है। वहीं
सह प्रांत प्रचारक श्रवण जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि संघ की स्थापना
किन कारणों से हुई यह हमें जान लेना चाहिए। हजारों वर्षों में हमारे देश पर
अलग-अलग लोगों द्वारा आक्रमण किया जाता है और यह हमें लूटते रहे। ऐसे में
जब अंग्रेजों से स्वतंत्रता का आंदोलन शुरू हुआ तो डॉ हेगडेवार जी को यह
शंका थी कि हमारे प्रयासों से हमें स्वतंत्रता मिल तो जाएगी लेकिन अक्छुण
रह सकेगी यह तय नहीं।
जब तक हिन्दू समाज में जागरूकता नहीं होगी तो
स्वतंत्रता हमेशा रह पाएगी यह तय नहीं है। इसलिए उन्होंने विद्यार्थियों
के साथ मिलकर संघ की स्थापना की। अपनी स्थापना पर एक बीज के रूप के रोपित
संघ आज वट वृक्ष के रूप में हमारे सामने है। हमें समस्त हिन्दू समाज को
संगठित करना था इसलिए नाम के साथ राष्ट्रीय शब्द जोड़कर इसका नाम राष्ट्रीय
स्वयं सेवक संघ हुआ। संघ के लोगों ने आरोपों और कष्टदायक समय को सहकर धीरे
धीरे इसे अनुकूल समय में बदला। संघ ने जो भी आंदोलन अपने हाथों में लिया
उसे पूर्णाहुति के साथ ही समाप्त किया। संघ व्यक्ति निर्माण से समाज
निर्माण और समाज निर्माण से राष्ट्र निर्माण तक जाता है और इस व्यक्ति
निर्माण के एकत्रीकरण के लिए ही संघ की शाखा लगाई जाती है। संघ अपने
निर्माण के 100 वर्षों के बाद भी अपनी विचारधारा में कैसे टिका हुआ है और
बेहतर कार्य कैसे कर रहा है इसका विदेश में शोध चल रहा है। संघ का
स्वयंसेवक सारे विश्व के भले के लिए विचार करता है। जब प्रतिकूलता विरोध
अवरोध का दौर था तब भी हमने कार्य किया और आज भी संघ समाज को साथ लेकर आगे
बढ़ रहा है। संघ का उद्देश्य खुद की जय नहीं राष्ट्र और भारत माता की जय
जयकार कराना और लोगों में इस भाव को जगाना और हिन्दू समाज के जागृति और
स्वाभिमान की भावना को जगाना है इसलिए हमें संघ के साथ चलना है। समाज के
लिए ही हमने पंच परिवर्तन का सिद्धांत लेकर आए है। हमें अधिकारों के साथ
कर्तव्यों की बात भी ध्यान रहना चाहिए और भारत को विश्वगुरु बनने के लिए
संघ से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़कर सेवा कार्य कर सकते है।
पथ संचलन का जगह-जगह हुआ स्वागत.. अतिथि
उद्बोधन के पश्चात एकत्रित स्वयंसेवक पदसंचलन जयघोष और ध्वज के साथ
प्रारंभ हुआ जो पॉलिटेक्निक मैदान से होता हुआ जबलपुर का नाका बायपास और
वहां से महाराणा प्रताप चौराहा होते हुए पुनः अपने प्रारंभिक स्थल पर
पहुंचा। जहां पर संचलन का समापन किया गया पद संचलन के दौरान जगह-जगह लोगों
द्वारा पुष्प वर्षा कर और भारत माता की जयकारे लगाकर पथ संचलन का स्वागत
किया गया। इस दौरान पुलिस प्रशासन भी पदसंचलन की व्यवस्थाओं को लेकर आयोजन
में उपस्थित रहा।
राष्ट्र सेविका समिति द्वारा शाखा संगम कार्यक्रम दमोह नगर के उत्कृष्ट विद्यालय मैदान में आयोजित किया गया।
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