श्रंद्धाजलि सभा में 51 पंडितों के पैर धोएं..
दमोह। पांव धुलाई कांड की आग में झुलस रहे दमोह जिले में मांझी रैकवार समाज ने अनूठी पहल करते हुए सामाजिक समरसता का संदेश देने का प्रयास किया है। माझी जिला दमोह के द्वारा समाज के वरिष्ठ और रेडियो कलाकार श्री भवानी प्रसाद रैकवार जी की श्रंद्धाजलि सभा में युवा माझी समाज के प्रदेश अध्यक्ष व युवा सकल हिन्दू समाज के जिला अध्यक्ष मोंटी रैकवार, संभागीय अध्यक्ष राकेश धुरिया के द्वारा पैर धोएं गये..
इस दौरान माझी समाज के युवा रैकवार माझी समाज के प्रदेश अध्यक्ष व युवा
सकल हिन्दू समाज के जिला अध्यक्ष मोंटी रैकवार ने बताया कि विप्र समाज
हमारे लिए आस्था का केंद्र बिन्दु है। जब घर पर धार्मिक अनुष्ठान होते हैं
तो विद्वान पंडितों के द्वारा ही संपन्न करायें जातें हैं। श्री रैकवार ने
बताया कि आज के समय कुछ वर्ग विशेष के द्वारा समाज को तोड़ने का काम किया
जाता है। हमारे दादा परदादा ने हमेशा ही पंडितों को पूज्यनीय माना है।
मैंने अपने पिता जी को विप्रजनों के पैर धोकर उनके जल को अर्चन करते हुए
देखा है। आज हमारी समाज ने भी विप्रजनों के जल का आचमन किया है। उन्होंने
कहा कि भवानी प्रसाद रैकवार हमेशा ही सभी समाजों को जोड़ने का कार्य करते
थे। उनकी श्रद्धांजलि सभा में माझी समाज ने समाज को जोड़ने का संदेश देश और
दुनिया को दिया है श्री भवानी प्रसाद रैकवार के निधन से दमोह की माझी समाज
को गहरी क्षति हुई है जिसकी भरपाई करना संभव नहीं है।
माझी समाज के संभागीय अध्यक्ष राकेश धुरिया ने कहा कि की ब्राम्हण
हमारे लिए सदा पूजनीय रहे हैं और यह कोई पहली बार नहीं किया है हमारे समाज
विप्रजनों को हमेशा सदियों से पूजती आई है और आगे भी पूजती रहेगी। आज
श्रंद्धाजलि कार्यक्रम में माझी समाज ने अपनी पुरानी परंपरा का पालन किया
है। इस दौरान प्रमुख रूप से राकेश
धुरिया,पैलू रैकवार, मोंटी रैकवार,मदन रैकवार, विजय रैकवार, लल्ला रैकवार,
गोपाल रैकवार, प्रीतम रैकवार,गगन रैकवार,पवन रैकवार, मुन्ना रैकवार, राहुल
रैकवार, रमेश रैकवार (कटनी), शीतल रैकवार, बद्री रैकवार, वरूण रैकवार, राजा
बर्मन सहित माझी समाज के प्रमुख जनों की मोजुदगी रहीं।
विहिप के आव्हान पर धर्मांतरण के खिलाफ धरना प्रदर्शन.. दमोह। विश्व हिन्दू परिषद
बजरंग दल के राष्ट्रीय आव्हान पर अनुसूचित जाति जनजाति सुरक्षा मंच के
बैनर तले विश्व हिन्दू परिषद महाकौशल प्रांत जिला दमोह द्वारा धर्मातरण एंव
लव जिहाद के विरोध में स्थानीय कीर्ति स्तम्भ चौराहा दमोह धरना एवं
प्रदर्शन किया गया।
जिसमे बताया गया कि पूर्व रिटायर्ड जज नारीमन जी जो
स्वयं ईसाई है। ईसाई संगठनों के साथ सितम्बर माह में सुप्रीम कोर्ट में एक
जनहित याचिका दायर की गई जिसमें इनके द्वारा यह मांग की गई है कि भारत के
जिन राज्यों में धर्मान्तरण रोकने के लिये धर्म स्वातन्त्र अधिनियम के तहत
कानून बनाये गये है उन्हें निरस्त किया जावें। विडम्बना यह है सुप्रीम
कोर्ट द्वारा तत्काल सुनवाई करते हुये नोटिस जारी किये गये जो राष्ट्रीय
मानव अधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को
दिये गये किन्तु राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग एवं राष्ट्रीय अनुसूचित
जाति आयोग को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस नहीं दिये गये जबकि ईसाई
मिशनरियों द्वारा एवं इस्लामिक जेहादी संगठनों द्वारा सर्वाधिक धर्मान्तरण
अनुसूचित जनजाति समाज एवं अनुसूचित जाति समाज का किया गया है, जिसका
साक्षात परिणाम है कि अनुसूचित जनजाति समाज में नागा जनजाति / बोडो जनजाति
विलुप्त होने की कगार में है।
धर्मान्तरण केवल धर्मान्तरण नहीं वरन
राष्ट्रान्तरण है जिसका परिणाम है कि पिछले 1500 वर्ष में भारत वर्ष के 25
टुकडों के रूप में विभाजन हुआ। वर्तमान समय में भारत के 09 राज्यों में एवं
200 जिलों में धर्मान्तरण के कारण हिन्दू समाज अल्पसंख्यक होने की कगार
में है एवं धर्मान्तरण के कारण वर्तमान भारतवर्ष में निवासरत मूलसमाज का
अस्तित्व खतरे में है। हम माँग करते है कि धर्मान्तरण के खिलाफ देश में
कठोर कानून बनाते हुए धर्मान्तरण कार्यों के खिलाफ आजीवन कारावास की सजा का
प्रावधान किया जाये। जो शिक्षण संस्थायें एवं स्वास्थ्य संस्थाये शिक्षा
एवं स्वास्थ्य के नाम पर धर्मान्तरण का कार्य करते है उन्हे तत्काल प्रभाव
से बंद कर उनके उपर 50 लाख का जुर्माना लगाया जाये। विदेशी संस्थाओं द्वारा
एनजीओं के माध्यम से ईसाई मिशनरियों को। उक्त धरना प्रदर्शन में बड़ी
संख्या में समाज के विभिन्न वर्गो की सहभागिता रही एवं विश्व हिन्दू परिषद
के प्रांत जिला एवं नगर के साथ-साथ प्रखण्डो के पदाधिकारीगण एंव कार्यकर्ता
सम्मलित हुये।
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