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मिशन अस्पताल और गंगा जमना स्कूल तालाबंदी मामले में.. पूर्व मंत्री और प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रमुख मुकेश नायक ने सरकार और आयोग पर निशाना साधा, न्यायिक जांच की मांग..

 पूर्व मंत्री मुकेश नायक के प्रेस कांफ्रेस में गंभीर आरोप

दमोह। लंबे समय बाद अपने गृह जिले की राजनीति तथा हालात पर दखल देते हुए मप्र के पूर्व शिक्षा मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रमुख मुकेश नायक आज दमोह में स्थानीय मिडिया कर्मियों से रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने भाजपा शासन में धर्मांतरण के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय के संस्थानों के हितों पर जम कर कुठाराघात करने के आरोप लगाये। उन्होंने आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष से लेकर दमोह सांसद रहे तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पर भी जमकर निशाना साधाते हुए यहां तक कह दिया कि निजी स्वार्थो की खातिर प्रमुख निजी संस्थाओं को टारगेट कर उन्हें बंद करवाना न्यायोचित नहीं..
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रमुख और पूर्व मंत्री श्री मुकेश नायक मंगलवार को दमोह स्थित अपने आवास पर मीडिया से रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अल्पसंख्यक संस्थान द्वारा संचालित गंगा जमुना शिक्षण संस्थान एवं मिशन हॉस्पिटल को बंद कर दिए जाने के मामले में भाजपा सरकार से लेकर इसके लिए जिम्मेदार रहे लोगों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने दमोह जिले में इलाज के अभाव में हुई मौतों के लिए भी सरकार को कठघरे में खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। श्री नायक ने धर्मांतरण और कई लोगों मौतों के आरोप झेल रहे मिशन हॉस्पिटल एवं टॉपर बच्चियों की बुर्का वाली फोटो मामले में चर्चाओं के बाद बंद करा दी गई गंगा जमुना शिक्षण संस्था का भी बचाव किया। इस बहाने भाजपा सरकार और उनके नेताओं पर कई गंभीर सवाल खड़े करते हुए दमोह से 10 साल तक सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को भी नहीं छोड़ा। यह पहला मौका है जब कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने धर्मांतरण के आरोप झेल रही गंगा जमुना संस्था एवं डॉ अजय लाल की मिशन अस्पताल मामले में खुलकर पैरोंकारी की है।
दमोह में धीरे-धीरे उभर रहे राजनीतिक शून्यता जैसे हालात को भांपकर एक बार फिर दमोह के नायक बनने की ओर कदम बढ़ाने की कोशिश करते हुए श्री नायक ने आरोप लगाए की मिशन अस्पताल को टारगेट करके एक सोची समझी साजिश के तहत बंद किया गया है. जबकि इसमें मिशन अस्पताल की कोई गलती नहीं थी. वहां पर अस्पताल बंद होने के बाद डायलिसिस न हो पाने के चलते 30 लोगों की मौत हो गई. हालांकि इन मौतों के आंकड़े श्री नायक ने सार्वजनिक नहीं किए. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिला अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान 12 महिलाओं की मौत हो गई थी. जिला अस्पताल और मिशन अस्पताल में हुई इन मौतों का जिम्मेदार कौन है..? उन्होंने कहा कि समूचे बुंदेलखंड के दमोह जिले में पूरे 24 घंटे मिशन हास्पिटल स्वास्थ्य सेवाओ में अग्रसर था वहां पर एंजिया ग्राफी, एंजियो प्लास्टी, सी.टी. स्केन, पैथोलाजी कैथलैब, डायलिसिस एवं स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण कम फीस पर आय मरीजो को मुहैया हो जाती थी इसके लिये मरीजों को जबलपुर अथवा अन्यथा नहीं भागना पड़ता था जबसे हास्पिटल बंद हुई है उन्हे बताया गया है कि 30 लोगो की डायलिसिस न होने के कारण उनकी असमय निधन हो गया। मिशन अस्पताल ने ही कोविड के समय आक्सीजन प्लांट लगाया और आम आदमी को स्वास्थ्य सुधारने में सहायता की।
हमारा दमोह-दम होय अपने पराक्रम एवं साहस के लिए जाना जाता है किन्तु कुछ व्यक्तियों के निजी स्वार्थ के खातिर हास्पिटल में काम करने वाले 700 कर्मचारी जिसमेंं 80 प्रतिशत हिन्दू थे वह बेरोजगार हो गये। इसका जिम्मेदार कौन। श्री नायक ने कहा कि कचरे के ढेर में जो नवजात शिशु फेके देते है वह दोषी नहीं जो संस्था ऐसे बच्चो की दिव्यांग बच्चो का पालन पोषण कर रहे है वह दोषी हो गये। उन्होनें ने कहा कि हास्पिटल मे कार्यरत कर्मचारी जो बेरोजगार हुए है वह उनके घर जाकर मिलेगे। इसी तरह की कूट राजनीति अमानवीय एवं पीड़ा दायक है उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार में उन्हें बताया गया कि पिछले बीस वर्ष में कोई धर्म परिवर्तन नहीं हुए जातिगत द्वेष फैलाकर धर्म को आधार बनाकर निजी संस्थाओं को बंद करवाना और उनके संचालको पर अपराध कायम करना निदंनीय है। इसी प्रकार उन्होने कहा कि एक निजी स्कूल जिसमें 1200 बच्चो पढते थे जिसमें 60 प्रतिशत हिन्दू बच्चे थे उसे उनकी मान्यता रद्द करदी गई यह न्यायोचित नहीं उनकी मकृप्र सरकार से मांग है कि उक्त संस्थाओं के साथ न्याय किया जाये और ज्युडीशियल जांच की जाये। श्री नायक ने कहा कि धर्मांतरण के जो आरोप अजय लाल और उनकी संस्था पर लगाए गए हैं वह सरासर झूठ हैं. आरटीआई के तहत जो जानकारी निकल कर आई है उसमें शासन ने स्वीकार किया है कि दमोह में 20 साल में एक भी धर्मांतरण नहीं हुआ है. श्री नायक ने आरोप लगाया कि देश में डर का माहौल है जो व्यक्ति सरकार और के खिलाफ बोलता है उसे झूठे केस में फंसा दिया जाता है ईडी सीबीआई और कई संस्थाएं सरकार के हथियार हैं
उन्होंने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष रहे मानव अधिकार के आयोग के सदस्य प्रियंक कानून गो पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि एक सोची समझी साजिश के तहत केंद्रीय मंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति दमोह आता है और मिशन संस्थाओ की जांच करता है. जब उसे कोई व्यक्ति नहीं मिलता तो वह खुद ही थाने में पहुंचकर उनके विरुद्ध एक एफआईआर दर्ज कराता है. जिनके कारण कई लोग बेरोजगार हो गए कई, लोगों के रोजगार प्रभावित हुए और कई लोगों के उपचार  अभाव में मौत हो गई. ऐसे अमानवीय कृत्य करने वाले व्यक्ति को पारितोषिक रूप में उसे मानव अधिकार आयोग का सदस्य बना दिया गया. उन्होंने कहा कि मैं सरकार से मांग करता हूं कि ऐसे व्यक्ति की भूमिका और उसके कार्य की न्यायिक जांच की जाए. श्री नायक यहीं पर नहीं रुके उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों का किसी संस्था से लेना देना नहीं है. उन्हें भी उपकृत किया गया. अमित शाह के बेटे को बीसीसीआई का अध्यक्ष बना दिया गया. सिंधिया के बेटे को मध्य प्रदेश क्रिकेट बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया. जबकि उसे गिल्ली डंडा खेलना भी नहीं आता. मंत्री कैलाश विजयवर्गीय लंगडी नहीं जानते लेकिन उन्हें पिट्ठू आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया..
श्री नायक ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वर्तमान में पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल को लेकर कहा कि दमोह में एक कहावत चलती थी कि जिसे अपनी बेइज्जती कराना हो वह प्रहलाद पटेल के बंगले पर चला जाए. दमोह की जनता ने उसे दो बार सांसद बनाया और 10 साल तक अवसर दिया. दमोह जिला जिस तरह की राजनीति से गुजर रहा है वह किसी से छुपी नहीं है. जब कांग्रेस छोड़कर राहुल सिंह बीजेपी में गए और चंद्रभान सिंह भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए तो दमोह की दमदार जनता ने उन्हें भी नकार दिया. इस पर कांग्रेस पर भी गंभीर आरोप लगे थे. दोनों ही आयाराम, गयाराम की संस्कृति को दमोह की साहसी जनता ने नकार दिया. पहलाद पटेल यहां से 10 साल लोकसभा के सदस्य रहे. तब दमोह जिले में एक कहावत चलती थी की भैया बहुत दिन से बेइज्जती नहीं हुई तो क्या करें ? प्रहलाद पटेल के घर चलो बेइज्जती कराने बहुत दिनों से बेइज्जती नहीं हुई है. जिसको अपनी बेइज्जती कराना हो वह प्रहलाद पटेल के घर जाता था. ऐसा बदमिजाज नेता, ऐसा अहंकारी नेता जो कीड़ों मकोड़े की तरह दमोह की जनता को देखता था. उसके बाद भी दमोह की जनता ने उसे 10 साल तक लोकसभा सदस्य बना कर रखा. कहां गई यहां के लोगों की ताकत और कहां गया वह आजादी की अभिव्यक्ति का जज्बापत्रकार वार्ता में जिला कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष संजय चौरसिया, रजनी ठाकुर, प्रदीप खटीक, प्रफुल्ल श्रीवास्वत, रामनाथ राय, डी.पी. पटैल, विजय बहादुर, सुनील रजक, जीशान पठान सहित अनेक कांग्रेसजनों की उपस्थिति रहीं।

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