निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी एवं प्रसाद सागर जी संघ का हुआ महामिलन..
दमोह।
कुंडलपुर में महा महोत्सव के पश्चात दमोह नगर आगमन पर निर्यापक मुनि श्री
प्रसाद सागर जी महाराज की संघ सहित दमोह जैन समाज के द्वारा मंगल अगवानी की
गई। दमोह के हृदय स्थल घंटाघर पर निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज
एवं निर्यापक मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज का संघ सहित महामिलन हुआ।
ढोल
नगाड़ों के साथ घंटाघर बड़े बाबा और छोटे बाबा के जयकारों से गूंजायमान हो
गया। मुनि संघ के आगमन के समय द्वार द्वार पर रंगोली
सजाई गई और पदप्रक्षालन के साथ आरती उतारी गई इस मौके पर दिगंबर जैन
पंचायत नन्हे मंदिर कमेटी एवं शाकाहार उपासना परिषद के सदस्यों के अलावा
अनेक गणमन व्यक्तियों महिलाओं एवं युवा वर्ग की की उपस्थिति रही।
दिगंबर
जैन धर्मशाला पहुंचने पर महिला मंडल के द्वारा कलश एवं आरती के साथ मुनि
संघ की अंगवानी की मुनि संघ के पद प्रक्षालन का सौभाग्य डॉ विवेक चौधरी को
प्राप्त हुआ तथा शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य कमलेश इमलिया वाले परिवार
को प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर मुनि श्री शीतल सागर जी
महाराज ने अपने मंगल प्रवचनों में कहा की फास्ट फूड के त्याग के बिना
कल्याण संभव नहीं है क्योंकि बाजार के अनेक पदार्थ में हिंसक चीजों का
मिश्रण होता है उससे व्यक्ति को मांसाहार का दोष लग रहा है इससे व्यक्ति को
बचने का प्रयास करना चाहिए आप क्या खा रहे हैं क्या पहन रहे हैं इसका हमको
पता होना चाहिए वरना अनजाने में मांसाहार का दोष लगता रहेगा जिससे नरक
जाने से कोई नहीं बचा पाएगा मुनि श्री पदम सागर जी महाराज ने कहा की दमोह
का यह परम सौभाग्य है कि निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी जैसे महा श्रमण का
मंगल सानिध्य प्राप्त हो रहा है उन्होंने धर्म गुरु एवं शास्त्र की रक्षा
के उद्देश्य से युवाओं का संगठन तैयार करने का शंखनाद किया है वह निश्चित
ही अत्यंत सराहनी है दमोह के युवाओं को कुंडलपुर जैसे महातीर्थ की रक्षा के
लिए सदैव सक्षम रहना चाहिए
निर्यापक मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज ने
कहा कि बड़े बाबा के समक्ष जो हाथ जोड़ता है उसका कल्याण निश्चित होता है
किंतु जो हाथ मिलाने का प्रयास करता है वह विनाश की ओर चला जाता है महाराजा
छत्रसाल ने बड़े बाबा के समक्ष अपने हाथों को जोड़कर विनय की थी तो उनका
लौटा हुआ राज्य वापस मिल गया था देश धर्म और तीर्थ की रक्षा के लिए युवाओं
को संगठित रहना अत्यंत आवश्यक है।
दुर्जन अपने पीछे चलता है सज्जन के पीछे दुनिया चलती है मुनि सुधा सागर जी.. सभा
के अंत में निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने अपने मंगल उद्बोधन
में कहा कि दुनिया को दुर्जन अपने पीछे चलाता है जबकि सज्जन के पीछे
दुनिया चलती है सज्जन के रास्ते नहीं बदलते क्योंकि उसकी अनुभूति हो जाती
है कि मेरे आगे कोई चल रहा है चलने वाले का संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए तभी
मंजिल प्राप्त होती है कोई सामने चल रहा है इसे स्वीकारो अन्यथा तुम उनम्मत
हो जाओगे भगवान के पोते मरीच ने यही किया उसने 363 मत चला दिए और वह संसार
में करोड़ों वर्ष भटकता रहा क्योंकि पाप करना अलग है। और पाप की अनुभूति
होना अलग है।
क्रोध करते हैं किंतु क्रोध की अनुभूति होना चाहिए शराब पीना
अलग शराबी की अनुभूति होनी चाहिए मनुष्य संसार में है किंतु संसारी की
अनुभूति नहीं हो रही है पाप कर रहे हैं किंतु पाप की अनुभूति नहीं हो रही
है रात्रि में खाने वाले को यदि यह अनुभूति हो कि मैं मांस खा रहा हूं मैं
निशाचर हूं मैं राक्षस हूं यदि उसे रात्रि भोजन करते हुए भी जैन की अनुभुती
हो रही है तो दुर्गति निश्चित है प्रातः उठने के साथ हमें यह अनुभूति होनी
चाहिए कि मैं संसार का सबसे बड़ा पापी हूं दुष्ट हूं मायावी हूं कसाई हूं
तो जीवन में पवित्रता आ सकती है क्योंकि निश्चल प्रकृति के मुनिराज भी
प्रातः काल यह अनुभूति करते हैं मिठाई खाते वक्त हमें आनंद की अनुभूति होती
है महाराज की अगवानी में हमें अपने सौभाग्य की अनुभूति होनी चाहिए हमें
लगना चाहिए मेरे पुण्य और सौभाग्य की अगवानी हो रही है हमें यह अनुभूति
होनी चाहिए कि मैंने कितना पुण्य किया कि मैं आज धर्मात्मा के पीछे चल रहा
हूं बालक के आंसू निकलते हैं किंतु चॉकलेट मिलने पर वह उसका आनंद लेता है
साधु विपरीत परिस्थितियों में भी आगम की आज्ञा मानते हुए आनंद की अनुभूति
करते हैं।
मुनि श्री की आहारचार्य का सौभाग्य..निर्यापक
मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज के आहार देने का सौभाग्य नवीन निराला
परिवार को प्राप्त हुआ मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज शैलेंद्र मयूर
परिवार मुनि श्री पद्मसागर जी महाराज नेमचंद बजाज परिवार मुनिश्री शीतल
सागर जी महाराज ब्रह्मचारी स्वतंत्र भैया छुल्लक श्री श्री गंभीर सागर जी
महाराज शीशम वाला परिवार को प्राप्त हुआ।
आगम सागर महाराज की बांदकपुर में आगवानी..
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवं आचार्य श्री समाज सागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री आगम सागर जी महाराज का कुंडलपुर पदारोहण समारोह के बाद अब विहार शुरू हो गया है। पटेरा हिंडोरिया होते हुए रविवार सुबह धर्म नगरी बांदकपुर में मुनिश्री आगम सागर जी महाराज संघ का बाबा मंगल प्रवेश हुआ।इस अवसर पर बांदकपुर जैन समाज के अध्यक्ष और सरपंच सुनील डबोल्याके साथ समाज के लोगों ने परम पूज्य 108 मुनि श्री आगम सागर जी महाराज जी की संघ सहित अगवानी की। मुनिश्री की आहारचर्या बांदकपुर में ही संपन्न हुई समाज के लोगों द्वारा उनसे निवेदन किया गया।
मुनि श्री प्रबोधसागर जी ससंघ का मंगल विहार कुंडलपुर से..
सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर की पावन धरा से युग श्रेष्ठ संत
शिरोमणि पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य
पूज्य आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से मुनि श्री
प्रबोधसागर जी महाराज, मुनिश्री शैल सागर जी महाराज, मुनिश्री अचल सागर जी
महाराज का मंगल विहार कुंडलपुर से वमनपुरा की ओर हुआ।
भगवान अभिनंदननाथ जी का गर्भ एवं मोक्ष कल्याणक महोत्सव आज.. दमोह।
सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में जैन धर्म के चौथे तीर्थंकर भगवान
श्री अभिनंदन नाथ जी का गर्भ एवं मोक्ष कल्याणक महोत्सव 13 मई को पूज्य
आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के चतुर्विध संघ के सानिध्य में धूमधाम से
मनाया जाएगा। इस अवसर पर प्रातः भक्तांमर महामंडल विधान , पूज्य बड़े बाबा
का अभिषेक ,शांति धारा, पूजन, विधान होगा ।अत्यंत भक्ति भाव के साथ निर्वाण
लाडू चढ़ाया जाएगा। पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवं पूज्य
आचार्य श्री समय सागर जी महाराज की पूजन होगी ।मुनिश्री के मंगल प्रवचन
होंगे । मुनि संघ एवं आर्यिका संघ की आहार चर्या होगी । सांयकाल आचार्य
भक्ति, भक्तांमर दीप अर्चना ,पूज्य बड़े बाबा की संगीतमय महाआरती होगी।
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