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बड़े लोगों के सामने छोटो की चरण वंदना नहीं करना चाहिए..निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी.. इधर विद्या सुधा वृहत निशुल्क चिकित्सा शिविर में सैकड़ों लोगों का हुआ स्वास्थ परिक्षण..

 बड़े लोगों के सामने छोटो की चरण वंदना नहीं करना चाहिए..निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी

दमोह नगर के श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी में तीन निर्यापक मुनिश्री सुधा सागर जी मुनि श्री प्रसाद सागर जी श्री वीर सागर जी सहित अन्य मुनिराज के सानिध्य में सात दिवसीय श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण शिविर का आयोजन वृहद्ध स्तर पर चल रहा है। शिविर प्रभारी डॉ प्रदीप शास्त्री के निर्देशन में रविवार को पांचवे दिन भी विविध शैक्षणिक संस्कार आयोजन संपन्न हुए। जिसमे सैकड़ो की संख्या में बच्चों से लेकर महिला, युवा, बुजुर्ग श्रावक जन शामिल हुए। 

भक्तांबर कक्षा में निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी के बहुत प्रभावशाली ढंग से भक्तामर स्त्रोत का व्याख्यान हो रहा है।मुनिश्री ने भक्तांबर की क्लास में अपने उद्बोधन मैं कहा कि सच्चे जेनी को कभी भूत प्रेत आदि  बाधाएं परेशान नहीं कर सकती। क्षेत्रपाल और पद्मावती जैसे देवी देवता अपनी पूजा नहीं करवाते क्योंकि वे सम्यक दृष्टि होते हैं। वे जिनेंद्र देव की पूजन से प्रसन्न होते हैं। बड़े लोगों के सामने छोटों की चरण वंदना नहीं करनी चाहिए यह एक गलत परंपरा है बुंदेलखंड में माता-पिता बेटी के चरण छूते हैं यह गलत प्रथा चल रही है इसमें सुधार होना चाहिए जैन दर्शन में दृष्टि में वीतरागता और क्रिया में अहिंसा यही जैन धर्म का सार है मुनि अवस्था ही समय सार है मुनि श्री जीवंत समय सार हैं।
रविवार को मुनि संघ के पद प्रक्षालन का सौभाग्य दिनेश सेठ परिवार सिविल वार्ड को प्राप्त हुआ। मुनि संघ को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य सीमा सुनील वेजीटेरियन परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर एकलव्य विश्व विद्यालय के द्वारा द्वादश वर्षी जैन पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय के द्वारा मान्यता प्रदान करने एवं डिप्लोमा और सर्टिफिकेट प्रदान करने की घोषणा की गई। इस प्रयास की निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी ने प्रशंसा करते हुए कहा कि मलैया परिवार के प्रयासों से प्रारंभ हुए विश्वविद्यालय में जेनेलोलॉजी स्टडी को सम्मिलित किए जाने से बहुत प्रोत्साहन प्राप्त होगा। समाज को इस तरह के धर्म प्रभावना के कार्यों को बढ़ावा देने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
आज मनुष्य के पास सबके लिए समय है किंतु स्वयं के लिए समय नहीं..निर्यापक मुनि वीर सागर जी.. आज के मनुष्य के पास सबके लिए समय है किंतु स्वयं के लिए समय नहीं है वह अपने व्यापार परिवार और बच्चों के लिए समय तो निकाल लेता है किंतु स्वयं के लिए समय नहीं निकॉल पाता। वह स्वयं का आत्म अवलोकन नहीं कर पाता, स्वयं के दुख तनाव आदि को नहीं समझ पाता, उसका मूल्यवान समय फालतू के कार्यों में व्यतीत होता है। 
उपरोक्त विचार निर्यापक मुनि श्री वीर सागर जी ने  दिगंबर जैन धर्मशाला में चल रहे शिविर में जीवन जीने की कला की क्लास में अभिव्यक्त किये। मुनि श्री ने कहा कि मोबाइल और टीवी आदि के सीरियल और गेम्स अपना बहुमूल्य समय बर्बाद कर देता है। आज के मनुष्य के पास काम कोड़ी का नहीं और फुर्सत घड़ी भर की भी नहीं है। मनुष्य ने अपने दिमाग को डस्टबिन की तरह बना लिया है फिजूल की बातों से वह उसे भरता रहता है दिन भर फालतू की बातों से मन में मनोरोग उत्पन्न होने लगते हैं अखबारों और पत्रिकाओं में चोरी डकैती मारपीट आदि घटनाएं नेगेटिव न्यूज़ उसका पतन कर देती है। मात्र कुछ समय की नेगेटिव फीडिंग उसके दिमाग पर लंबे समय तक इफेक्ट  डालते है, अवचेतन मन में नकारात्मक बातें उसके जीवन को प्रभावित करने लगती है जिससे दिमाग में अच्छे विचार पैदा नहीं होते और मन गलत दिशा में फिसलने लगता है। 
इसका मूल कारण प्रतिदिन बुरी घटनाएं मन में भरते जाने से मन में कचरे के पहाड़ बनते जाते हैं। जो कि मनुष्य के जीवन को अत्यधिक प्रभावित करते हैं। हालांकि एक माचिस की तीली से जिस तरह कचरे के कितने भी पहाड़ को बहुत कम समय में समाप्त किया जा सकता है इस तरह एक अच्छे विचार से मन के कचरे को भी समाप्त किया जा सकता है। मनुष्य को अंतर मुहूर्त में केवल ज्ञान हो जाता है तो अपने ध्यान अग्नि से कर्मों के पहाड़ को क्षण भर में नष्ट कर सकता है। इसके लिए हमें अपने भीतर जागरूकता लानी होगी हमें अपने दिमाग में किसी को भी गलत बातों का कचरा डालने की अनुमति नहीं देनी होगी। जो बचना चाहे उसे बचाया जा सकता है किंतु जो सुसाइड करना चाहे उसे नहीं बचा सकते। अच्छी सोच और अच्छे विचारों से ही जीवन को उत्कृष्ट बना सकते हैं।
आज 26.5.2024 की आहारचर्या..  
निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज  को आहार देने का  सौभाग्य आगत सागर महाराज जी के परिवार को प्राप्त हुआ।  निर्यापक मुनि श्री प्रसाद सागर महाराज जी को आहार देने का सौभाग्य राजू, शैलेन्द्र नायक परिवार को प्राप्त हुआ। निर्यापक मुनि श्री वीर सागर जी महाराज को आहार देने का सौभाग्य रानू पारस खजरी वाल परिवार को प्राप्त हुआ।
 मुनि श्री प्रयोग सागर जी महाराज को आहार देने का सौभाग्य संजय, बबलू अहिंसा परिवार को प्राप्त हुआ। मुनि श्री सुब्रत सागर महाराज जी को आहार देने का सौभाग्य राजेश पालर वाले परिवार को प्राप्त हुआ।  मुनि श्री पदम सागर जी महाराज के आहार का सौभाग्य शायद सोनम साइकिल वाले परिवार को प्राप्त हुआ। मुनि श्री शीतल सागर जी महाराज को आहार देने का सौभाग्य आनंद पैथालॉजी परिवार को प्राप्त हुआ। गंभीर सागर जी महाराज के आहार देने का सौभाग्य हर्षित किराना परिवार को प्राप्त हुआ।
विशेषज्ञ चिकित्सकों ने निशुल्क परामर्श और दवाइयां प्रदान की                 
दमोह। महासमाधिधारक संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज और आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज के आशीर्वाद से आईएमए दमोह ने विद्या सुधा वृहत निशुल्क जांच और परामर्श शिविर स्थानीय पारस पैलेस, नन्हें मंदिर में भारतीय जैन मिलन नगर शाखा के सहयोग से आयोजित किया गया..
जिसमें आठ सौ से ज्यादा मरीजों के स्वास्थ का परिक्षण जिले के विशेषज्ञ सर्जन डॉ सुदेश जैन, डॉ गिरीश जैन, डॉ अभय जैन, डॉ देवेन्द्र जैन, डॉ गौरव नायक, डॉ आभाष जैन, डॉ तनुल सराफ, डॉ अमित प्रकाश जैन, डॉ रोहित जैन, डॉ सुनील जैन, डॉ रितेश बजाज, डॉ प्रतीक जैन, डॉ गौरव जैन, डॉ मुकुल जैन, आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ राज कुमार जैन, डॉ अनिल चौधरी, डॉ प्रियंका तारण, डॉ सौरभ चौधरी, डॉ शिरीष जैन, दंत चिकित्सक डॉ विवेक चौधरी, डॉ कुणाल जैन, होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ सुधीर वैद्य, डॉ मृगांक जैन, डॉ मोहिनी जैन और फिजियोथैरेपी विशेषज्ञ डॉ रजनीश गांगरा ने पीड़ित मरीजों को उचित चिकित्सा परामर्श और निशुल्क दवा प्रदान की।
जैन पंचायत अध्यक्ष सुधीर सिंघई, डॉ प्रदीप शास्त्री,अनिल सिंघई, पदम जैन और भारतीय जैन मिलन नगर शाखा अध्यक्ष वीर अरुण जैन, अतिवीर राकेश जैन, दिलेश चौधरी, राजेश ओशो, संजीव शाकाहारी,महेन्द्र जैन सोमखेड़ा, मुकेश जैन, सचिन्द्र जैन, विनय जैन, जिनेंद्र मडला,अनिमेष जैन का शिविर के आयोजन में सहयोग रहा और जैन मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव संजीव जैन, कपिलकांत जैन,सौरभ जैन, आनंद जैन पैथोलॉजी, प्रशांत जैन और मयंक जैन का दवा वितरण में सहयोग रहा।

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