मुनि श्री प्रमाण सागर जी संघ सहित भव्य अगवानी
दमोह। 
 समाधीष्ट आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि 
श्री प्रमाण सागर जी महाराज के साथ मुनि श्री निर्वेग सागर जी मुनि श्री 
विराट सागर जी मुनि श्री संधान सागर जी मुनि श्री निसंग सागर जी के दमोह 
नगर आगमन पर  जैन समाज के साथ जैनत्तर गणमान्य व्यक्तियों ने भव्य अगवानी 
की इसमें पुरुष और महिलाओं के साथ-साथ युवा वर्ग की बहुत बड़ी संख्या में 
उपस्थिति रही। 
दिगंबर जैन पंचायत के सदस्य सुनील  
वेजीटेरियन ने बताया मुनि सघ ने हिंडोरिया से पद बिहार करते हुए करैया 
हाजरी में रात्रि विश्राम करने के पश्चात प्रातः काल 5:30 बजे दमोह के लिए 
प्रस्थान किया समन्ना गढ़ी मोहल्ला पुराना थाना घंटाघर से होते हुए जुलूस 
दिगंबर जैन धर्म शाला पहुंचा। अनेक स्थानों पर मुनि श्री के पद प्रक्षरण के 
साथ आरती उतारी गई जैन धर्मशाला में मुनि श्री के पद प्रक्षालन का सौभाग्य अभय बनगांव परिवार को प्राप्त हुआ। 
आचार्य श्री की पूजन के
 पश्चात मुनि श्री के मंगल प्रवचन हुए सभा के प्रारंभ में मुनि श्री विराट 
सागर जी महाराज ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि मुनिश्री प्रमाण सागर जी 
महाराज के हर शब्द में प्रमाणिकता होती है उनका मेरे जीवन पर बहुत उपकार है
 जिसे कभी विस्मृति नहीं किया जा सकता उनसे मैंने अपने जीवन में काफी कुछ 
सीखा है इसके पश्चात मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने अपने मंगल उद्बोधन
 में कहा कि गुरु कितने बड़े हैं यह महत्व नहीं रखता बल्कि हमारी श्रद्धा 
कितनी बड़ी है यह महत्व की बात है क्योंकि हमारी श्रद्धा ही गुरु को बड़ा 
बनाती है अर्जुन को गुरु द्रोणाचार्य का वह लाभ नहीं मिला जो लाभ श्रद्धा 
के बल पर एकलव्य ने प्राप्त कर लिया गुरु हमारे हृदय की बेदी पर विराजमान 
होने चाहिए।
श्रद्धा का तत्व अंतिम सांस तक बना रहना चाहिए श्रद्धा की 
ज्योति को सदैव जागृत रखना चाहिए गुरु की बातों को समझना एवं एक दूसरे को 
समझना आवश्यक है मोक्ष मार्ग आत्मा की समझ है अपने स्वरूप की एवं आपसी समझ 
को बनाकर रखें जहां समझ है वहां आनंद है आज जरूरत विवेक की है आवेग में 
विवेक नष्ट हो जाता है बहुत लोग अतिरेक और अतिरंजन के बहाव में बहुत कुछ 
नष्ट कर देते हैं सही समझ से काम ले तो सही नतीजे पर पहुंचते हैं धुँआ 
उड़ने का समय नहीं है धुँआ की जगह सुगंध फैलाओ हम आपके हैं आप हमारे हैं 
जीवन का मूल मंत्र बना के रखना चाहिए यह मंत्र हर जगह कार्य करता है टीम के
 साथ हो तो ताकत बढ़ जाती है अकेले ताकत कम हो जाती है हमें केवल टीम की 
बात करनी है गुरु के प्रति समर्पण हमें लक्ष्य की ओर आगे ले जाता हमारा 
लक्ष्य गुरु के नाम को और गुरु के काम को आगे बढ़ना है। 
प्रवचन के पश्चात जैन धर्मशाला से मुनि संघ आहार चर्या के लिए निकला। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रावक जन मुनिराजों की एक झलक देखने को आतुर बने रहे। सबसे पहले मुनि श्री प्रमाण सागर जी का पड़गाहन करने का सौभाग्य अभय 
बनगाव परिवार ने प्राप्त किया। इसे बाद वह अपने निवास पर मुनिश्री को ले 
गए। जहा नवधा भक्ति पूर्वक मुनिश्री को आहार कराने का सौभाग्य अभय बनगाव परिवार ने प्राप्त किया। मुनिश्री निर्वेग सागर जी का पड़गाहन करके आहार दान का सौभाग्य आकाश सेठ परिवार ने प्राप्त किया। मुनिश्री विराट सागर जी का पड़गाहन करके आहार दान का सौभाग्य नवीन निराला परिवार ने प्राप्त किया।
मुनिश्री संधन सागर जी का पड़गाहन करके आहारदान का सौभाग्य शैलेंद्र मयूर परिवार ने प्राप्त किया।  इसके साथ छुल्लक महाराजों का भी पड़गाहन करके उनकों आहार कराने का सौभाग्य भी अलग अलग परिवारों को प्राप्त हुआ। जैन धर्मशाला में दोपहर बाद मुनिश्री प्रमाण सागर जी के शंका समाधान कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसके बाद मुनि संघ के विहार की संभावना भी जताई जा रही है।
 







 
   
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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