बांदकपुर पारसधाम में निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी के सानिध्य में सहस्त्रनाम विधान शुरू..
दमोह। जागेश्वर धाम बांदकपुर की पावन धरा पर जगत 4 दिन से विराजमान जैन
परंपरा के महान संत पूज्य निर्यापक पुगंव मुनि श्री 108 सुधा सागर जी
महाराज की मंगल प्रेरणा और आशीर्वाद से बांदकपुर में श्री पारसनाथ धाम के
नाम से एक भव्य जैन तीर्थ पाषाण का मंदिर बनने जा रहा है जिले की पूरी जैन
समाज में भारी उत्साह है..
बांदकपुर की छोटी सी जैन समाज के प्रत्येक घर से
बढ़-चढ़कर तन मन धन से सहयोग दिया जा रहा है आज मंदिर निर्माण के अगले चरण
में चार दिवसीय सहस्त्रनाम विधान का आयोजन पुंगव मुनि श्री सुधा सागर जी के
सानिध्य में वआशीर्वाद से प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप भैया अशोकनगर वालों की
मार्गदर्शन में 3 मई से 6 मई तक हो रहा है..
जिसमें सौधर्म सुनीता सुनील
डबुल्या कुबेर सुलेखा प्रदीप डबुल्या महायज्ञानायक प्रियंका संजय जैन
पिपरिया वाली ध्वजारोहण करता रेखा संजय डबुल्या अरिहंत महापात्रा बने ध्वजारोहण के पश्चात मंदिर जी से घट यात्रा प्रारंभ हुई घट यात्रा की
समाप्ति पर मंडप सुध्दी पात्र शुद्धि के साथ विधान प्रारंभ हुआ..
आज महाराज
श्री को सागर की ओर बिहार करने के लिए सागर समाज के सभी मंदिरों के अध्यक्ष
व सकल दिगंबर जैन समाज सागर के अध्यक्ष मुकेश जैन ढाना के साथ सभी लोगों
ने मुनि श्री को श्रीफल अर्पण कल अर्पण कर निवेदन किया आज मुनि श्री के
आहार राजकुमार जैन सुनील जैन सन्मति परिवार के चौक में हुए आज शंका समाधान
में बड़ी संख्या में भक्तों ने अपनी-अपनी शंका पूछ कर मुनि श्री से शंका का
समाधान प्राप्त किया।.. बांदकपुर से निपुण जैन
मुनिश्री प्रमाण सागर के शंका समाधान में उमड़ी भीड़.. दमोह के पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर धर्मशाला में शुक्रवार शाम मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज का चर्चित कार्यक्रम शंका समाधान संपन्न हुआ।
जिसमे सैकड़ो की संख्या में भक्त जनों की मौजूदगी रही। रिसेप्शन पर अनेक भक्तों की शंका का समाधान किया गया तथा श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर की में मुलायक भगवान पारसनाथ की रजत बेदी निर्माण हेतु मुनि श्री द्वारा आशीर्वाद दिया गया।
मुनिश्री ने त्यागी वृति भोजनालय का निरीक्षण किया.. मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने आचार्य विद्यासागर त्यागी वृती भोजनशाला का निरीक्षण किया.
मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने आचार्य विद्यासागर त्यागी वृती भोजनशाला को नया नाम आचार्य विद्यासागर वृती आहार शाला प्रदान किया उन्होंने स्वयं भोजन शाला का निरीक्षण किया एवं अपने शंका समाधान कार्यक्रम में वृती आहारशाला की मुक्त कंठ से प्रशंसा की
मुनिश्री प्रमाण सागर जी की आहारचार्य आज एकलव्य में.. मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज का संघ सहित रात्रि विश्राम श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर धर्मशाला में चल रहा है शनिवार को प्रातः बेला में मुनि संघ का बिहार होगा।
और एकलव्य विश्वविद्यालय में आहारचार्य संपन्न होगी वहीं इसके बाद शाम को वांसा तारखेडा में मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज एवं अन्य मुनियों का मंगल प्रवेश होगा जहां पहले से विराजमान मुनि श्री विमल सागर महाराज संघ से मंगल मिलन होगा जिसको लेकर वांसा की जैन समाज द्वारा बड़े स्तर पर तैयारी की गई है।
सुख तो चाहते हैं लेकिन दुख को छोड़ना नहीं चाहते.. मुनिश्री शैलसागर जी
दमोह । सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र, जैनतीर्थ कुंडलपुर में मुनि श्री
शैलसागर जी महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा संसार में जितने भी प्राणी हैं
वह सब सुख चाहते हैं सुख तो चाहते हैं लेकिन दुख को छोड़ना नहीं चाहते ।सुख
की इच्छा सभी के लिए लेकिन दुख के जितने साधन है सभी जोड़कर रखे हुए हैं
जब तक दुख के साधन साथ रहेंगे तब तक सुख मिलना संभव नहीं। व्यक्ति के पास
जितने साधन हैं दुख के हैं सुख का साधन एक भी नहीं ।यहां तक कहा जाए महाराज
के पास पिच्छी कमंडल है वह क्या सुख का साधन है वह भी एक प्रकार से दुख का
साधन है क्योंकि यह पिच्छी मेरी है यह कमंडल मेरा है ।जहां मेरे तेरे का
भाव आएगा वहां निश्चय दुख होगा ।पिच्छी को पिच्छी के रूप में कमंडल को
कमंडल के रूप में स्वीकार करते हैं तो दुख की बात नहीं है कि यह मेरा है
मेरा जो है वह दुख है दुख के कारण गौण कर दे व्यक्ति तो उसके पास सुख ही
सुख हो ।
सुख तो चाहते पर दुख के साधनों को दूर नहीं करना चाहते ।अब दुख से
बचने के लिए आचार्य कुंदकुंद देव ने प्रवचन सार में कहा कि सिद्धों को
नमस्कार करो दुख से बचना चाहते तो दीक्षा को अंगीकार करो। आखिर दीक्षा है
क्या दीक्षा तो सभी की होती पर दीक्षा का है क्या दीक्षा के लिए वस्त्र का
त्याग किया जाए कोई जरूरी नहीं है।एक इच्छा पूर्ण हुई दूसरी शुरू हो जाती
है इच्छाएं रहेगी तब तक दुख ही दुख ।सुख की प्राप्ति के लिए क्या हमने सुख
को प्राप्त किया सुख को हमने प्राप्त नहीं किया दुख की खोज में दुख को
एकत्रित कर लिया। दुख के साधनों को हम एकत्रित करते जाएं तो तीन काल में भी
सुख मिलने वाला नहीं है। करना क्या है दुख के जो साधन है एक-एक करके अलग
करते जाए दुख के साधन कौन-कौन से हैं आप स्वयं को देखिए हमने अभी तक त्याग
किया है दान किया है जो हमारी वस्तुएं नहीं थी वह छोड़ दी और कहा त्याग कर
दिया ।त्याग तो हमारी वस्तु थी उसका होता है पर वस्तु का नहीं। हमारी स्वयं
की कौन-कौन सी वस्तुएं थीं और पर वस्तुएं कौन थी जो पर वस्तु है सोना
चांदी दुकान मकान हमने इनका त्याग तो कर दिया छोड़ दिया त्याग की बात आती
तो त्याग हमने शुरू किया ही नहीं जिस दिन त्याग शुरू हो जाएगा उस दिन सुख
के रास्ते खुलते चले जाएंगे। अब त्याग की वस्तुएं कौन सी हैं क्रोध मान
माया लोभ राग द्बेष मोह यह हमारी स्वयं की वस्तुएं हैं इनका त्याग करना
त्याग की बात शुरू होती है तो सुख के साधन रास्ता बताते। त्याग शुरू कर
दिया जब तक त्याग शुरू होता तो सुख के साधन मिलते हैं हमने जब तक त्याग
नहीं किया तब तक सफल नहीं हो सकते। कहना सरल है पर करना कठिन है। हमारे पास
कितना राग है कितना द्वेष है कितना मोह है कितना क्रोध है ।जब मान को
धक्का लगता है तो क्रोध आता है मान को बस में कर लिया तो क्रोध आ नहीं
सकता। मान के ऊपर अंकुश लगाना जरूरी है। जयकुमार जलज
जैन मिलन के स्थापना दिवस पर महिला जैन मिलन का गौशाला मेँ कार्यक्रम.. दमोह।
भारतीय जैन मिलन के 59 वे स्थापना दिवस पर महिला जैन मिलन के द्वारा
गौशाला मेँ कार्यक्रम आयोजन किया गया 10 में बड़ी संख्या में पदाधिकारी
सदस्यों ने सहभागिता दर्ज की। नेमी नगर शाखा में
गौशाला में जाकर गायों के लिए घास खिलाई और सभी अपने घर से रोटी और गुड़
लेकर गए थे वह भी गायों को खिलाया कार्यक्रम में क्षेत्रीय पदाधिकारी
शाखा के सदस्यों की उपस्थिति रही..
कार्यक्रम में मुख्य भूमिका हमारी
क्षेत्रीय अति वीरांगना कविता ऋषभ जैन की रही और मुख्य संयोजिका वीरांगना
अर्चना जैन भी वहां उपस्थित रही शाखा के संयोजिका के रूप में वीरांगना
रश्मि जैन वह भी उपस्थित रहे और हमारी शाखा की अध्यक्ष वीरांगना सीमा
दिगंबर, मंत्री वीरांगना डॉली, कोषाध्यक्ष वीरांगना पदमा, वीरांगना ज्योति,
इन सभी सदस्यों की उपस्थिति रही और वीरांगना नेहा, वीरांगना सविता,
वीरांगना संध्या, वीरांगना दिशा, वीरांगना सीमा आगरा, वीरांगना सुधा, और
क्षेत्रीय संयोजक श्री वीर संजीव जैन शाकाहारी की उपस्थिति रही।
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