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कहीं बांधवगढ़ की और रुख तो नहीं कर रही बाघिन कजरी.. हाथियों की मदद से ट्रैकुलाइज में बारिश बनी बाधक.. बाघिन कजरी लगातार बदल रही अपना ठिकाना.. झलौन के पास मोहड़ गौरखा पहुंच वन अमला कर रहा लगातार निगरानी..

 बाघिन कजरी लगातार बदल रही अपना ठिकाना..

दमोह।-बाघिन कजरी तीन दिनों से तेजगढ़ वन परिक्षेत्र मे अपना बसेरा बड़े आराम से बनाये हुये है मगर अब कजरी वन अमले के लिए परेशानी बनती जा रही है क्योंकि अमले का प्रयास यह है की कजरी पुनः नोरादेही की सीमा मे  पहुंच जाये जिसके कारण क्षेत्र के लोगो का भय भी खत्म हो जायेगा और  वन अमले की परेशानी दूर हो जायेगी जिसके लिए पिछले तीन दिन से नोरादेही सहित दमोह जिले के डीएफओ और पूरा वन अमला तेजगढ़ वन परिक्षेत्र के जगलो मे बसा हुआ है मगर बाघिन कजरी उनके हाथ नहीं आ रही है और आज रेस्क्यू टीम और वन अमले के लिए तीसरा दिन हो गया है और कजरी को पकड़ने के लिए आज नोरादेही से दो हाथियों के साथ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की टीम भी तेजगढ़ पहुंच चुकी है और बाघिन की खोज कर रही है मगर कजरी पल पल मे अपना ठिकाना बदल रही रही है..
 खाई मे मिल रही लोकेशन.. गुरुबार की रात्रि मे तेजगढ़ वन परिक्षेत्र के जंगलों मे बाघिन ने प्रवेश किया था उसके बाद वह अपने लगातार ठिकाने बदल रही है शनिवार की शाम तेजगढ़ के ग्रामीण और जगली क्षेत्र मे तेज बारिश होने के बाद वन अमले ने बाघन की खोजबीन रोक दी थी और रविवार की सुबह से वन अमले ने लोकेशन लेने का प्रयास किया किन्तु तेज बारिश के बाद बाघिन के गले मे पड़े आईडी कालर से लोकेशन न मिलने के बाद खोजबीन मे लगी टीम भी परेशान थी  क्योंकि दोपहर 2 बजे तक बाघिन कजरी की कोई  जानकारी स्पष्ट नहीं हो पर रही थी वन अमले की माने तो बाघिन खाइयो मे चल रही है जो बड़ा दुर्गम मार्ग है वहा वाहनों का जाना सभव नहीं है और बाघिन तेज गति से अपने स्थान लगातार बदल रही है और कही कही बड़ी भारी खाई है जहाँ जाना सभव नहीं है 
झलोन की और लोटी बाघिन..तीन दिन तेजगढ़ वन परिक्षेत्र मे घूमने के बाद रविवार की दोपहर 3 बजे के बाद  बाघिन कजरी की लोकेशन मिलना शुरू हुई और जानकारी ये मिल रहीं है की बाघिन  कजरी फिर से झलोन वन परिक्षेत्र की और लौट आई है उसकी लोकेशन गोरखा मोहड के जंगलों मे मिली है लोकेशन झलोन रेज की और  मिलने के बाद झलोन रेज का अमला उस क्षेत्र की और पहुंचने लगा है जहाँ बाघिन की लोकेशन मिली है जबकि रेस्क्यू टीम और हाथी अभी बाघिन से काफ़ी दूर है क्योंकि उनके लिए वह स्थान बड़ा दुर्गम है जिस मार्गदर्शन से बाघिन होकर गोरखा के जगलो मे पहुंच गई है अब अनुमान ये भी लाया जा रहा है की बाघिन घूम फिरकर पुनः नोरादेही पहुंचने की तैयारी मे है 
एक सप्ताह से सुरक्षित है जगल..  बाघिन कजरी के तेंदूखेड़ा ब्लाक मे प्रवेश करने के बाद जहाँ वन अमला बाघिन की निगरानी मे दिन रात लगा हुआ है तो वही दूसरी और ग्रामीणों मे बाघिन का इतना भय बना हुआ है की पिछले एक सप्ताह से लोगो ने जंगल जाना ही बंद कर दिया है अब न तो महुआ बीनने बाले जंगल की और जा रहे है न अन्य कार्यों को लेकर जंगल जा पा रहे है ऐसी स्तिथि मे जंगलों मे लगनी बाली आग ओर अबैध कटाई जैसी घटनाओ पर बर्तमान मे पूर्ण रूप से अंकुश लगा हुआ है 
वन अमला भी आग जैसी घटनाओ से काफ़ी परेशान था लेकिन बाघिन के आने के बाद और समय समय पर स्थान बदलने की जानकारी लगते रहने के कारण ग्रामीण जंगल नहीं जा रहे है  और इसी कारण जगल पूरी तरह सुरक्षित है बाघिन कजरी नोरादेही से आई थी और नोरादेही अभ्यारण की कजरी अमानत है साथ ही नोरादेही की टीम उसको पकड़ने मे लगी हुई है लेकिन अभी तक कितनी सफलता मिली इसको लेकर ज़ब नोरादेही के डीएफओ डॉ एए अंसारी से सम्पर्क करने फोन लगाया लेकिन उनका फोन बंद था वही दमोह वन मंडल अधिकारी एम एस उईके से कजरी बाघिन को लेकर बात की तो उनका कहना था की बाघिन की लगातार लोकेशन ली जा रही है ज़ब उनसे पूछा की बाघिन कजरी पुनः नोरादेही की और लौटने लगी है तो उन्होंने बताया की ये सही है जिस दिशा मे वह जा रही है उससे यही  अंदाजा लगाया जा रहा है कि वह पुनः नौरादेही अभ्यारण्य पहुच रही है
हाथियों की मदद से आज किया जा सकता है ट्रैकुलाइज.. बाघिन कजरी को पकड़ने के लिए वन अमले सहित रेस्क्यू टीम और डाक्टरों की टीम साथ में मौजूद थे जहां बाघिन कजरी को पकड़ने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन बाघिन कजरी टीम को लगातार चकमा दे रही है शनिवार और रविवार को टीम द्वारा बाघिन को पकड़ने के लिए लगातार प्रयास किए गए लेकिन बाघिन की  लोकेशन नहीं मिलने से उसे नहीं पकड़ा जा सका जहां रविवार दोपहर 3 बजे बाघिन की लोकेशन झलौन के पास मोहड़ गौरखा के पास मिलना शुरू हुई  लेकिन टीम  के पहुंचने तक शाम 4 बजे से आंधी तूफान के साथ तेज बारिश शुरु हो गई जिसके कारण रविवार को भी बाघिन को पकड़ने में सफलता नहीं मिली
वही सोमवार सुबह रेस्क्यू टीम द्वारा ट्रेंकुलाइज किया जा सकता है जहां उसे एक विशेष प्रकार की गन के जरिए बेहोशी का इंजेक्शन गन से फायर किया जाएगा जिससे बाघिन को बेहोश कर उसका रेस्क्यू किया जाएगा जानकारों द्वारा बताया गया है कि कोई भी जानवर को इस तरह बेहोश करना आसान नहीं होता है जानवर काफी चौकस और चपल होते हैं इस वजह से विशेषज्ञों की मदद से जानवरों को ट्रैकुलाइज किया जाता है साथ ही बेहोशी की दवा में मात्रा का भी ध्यान रखना पड़ता है सूत्रों द्वारा बताया गया है बाघिन कजरी को पकड़ने के लिए हाथियों की मदद से विशेष गन से फायर कर ट्रेंकुलाइज किया जाएगा जिससे वो बेहोश हो जाएगी और पकड़ने में सफलता मिलेगी 
बारिश के कारण रुका रेस्क्यू..वहीं लगातार शनिवार और रविवार  को क्षेत्र में आंधी तूफान के साथ हो रही तेज बारिश के कारण वन अमले को रेस्क्यू ऑपरेशन को  रुकना पड़ रहा है जहां बाघिन को पकड़ने के लिए सोमवार की सुबह टीम द्वारा फिर से रेस्क्यू किया जाएगा जहां हाथियों की मदद ली जाएगी लेकिन बाघिन कजरी पर वन अमला और टीम द्वारा लगातार नजर और निगरानी रखी जा रही है बाघिन कजरी के गले में कालर आईडी होने से उसकी पल पल की नजर रखी जा रही हैं
 कहीं बांधवगढ़ की और रुख तो नहीं कर रही बाघिन कजरी.. वही जानकारों का  कहना है कि बाघिन कजरी का रूख वापस बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की ओर है क्योंकि बांधवगढ़ प्रबंधन द्वारा उसे नवंबर में बाढे़ में बंद कर दिया था जबकि उसके दो वर्ष उम्र के तीन शावक है बाढे़ से निकलने के बाद उसे वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में खुले में छोड़ा गया है इसलिए उसका रुख शावकों के पास बांधवगढ़ की और है इधर कजरी के साथ लाया गया बाघ भी  लापता हैं उसकी भी लोकेशन नहीं मिल रही है बाघ के बांधवगढ़ वापस चलें जाने या कजरी के साथ ही होने का अनुमान लगाया जा रहा है वहीं खबर लिखे जाने तक रेस्क्यू टीम से जानकारी लेने पर बताया गया है बारिश के कारण बाघिन की लोकेशन मिलना बंद हो गई जो शाम 6 बजे या फिर रात 2 मिले मिलेगी वहीं बाघिन झलौन वन परिक्षेत्र के जंगलों में आने की उम्मीद है। विशाल रजक तेंदूखेड़ा

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