Ticker

6/recent/ticker-posts
1 / 1

कुंडलपुर में करीब तीन सौ साधू विराजमान, बड़े बाबा मंदिर में एक साथ हजारों भक्तों को दर्शन लाभ.. सहस्त्रकूट जिनालय कार्य अंतिम चरण में, आहार दान के साथ लाखों करोड़ों का दान.. 16 अप्रैल को दोपहर दो बजे से शुरू होगा आचार्य पद पदारोहण समारोह..

 बड़े बाबा का मंदिर बनने से छोटे बाबा का सपना साकार
दमोह। कुंडलपर में बड़े बाबा का बड़ा मंदिर बनने से एक साथ हजारों भक्तों को दर्शन लाभ का सौभाग्य प्राप्ज हो रहा है। जिसे देखकर कहां जा सकता है कि छोटे बाबा आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने वर्षो पहले जो सपना देखा था वह अब जाकर पूरा हो रहा है। 
दरअसल बड़ेबाबा के पुराने मंदिर में जगह कम होने से पहले कुछ लोग ही एक साथ दर्शन कर पाते थे। जिससे विभिन्न पव्र अवसरों पर आने वाले हजारों भक्त एक साथ दर्शन पूजन से वंचित रह जाते थे।  भक्तों की भावना को ध्यान में रखकर छोटे बाबा के आर्शीवाद से उनके भक्तों ने करीब 20 वर्ष में बडे बाबा का भव्य विशाल मंदिर निर्माण कराने में सफलता प्राप्त की थी। जिसका पंच कल्याणक महोत्सव आचार्य भगवन के विशाल संघ के सानिध्य में दो साल पहले वर्ष 2022 में संपंन्न हुआ था।
वहीं वर्तमान में आचार्य पदारोहण अवसर पर प्रतिदन आ रहे हजारो भक्तों को बड़े बाबा के एक साथ दर्शन पूजन का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।

सहस्त्रकूट जिनालय का कार्य भी अब अंतिम चरण में.. कुंडलपुर में बड़े बाबा मंदिर के सामने आचार्य श्री के सानिध्य में सहस्त्रकूट जिनालय का निर्माण कार्य करीब दस वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ था। जो अब जाकर पूर्ण होने जा रहा है।

रविवार को सहस्त्रकूट जिनालय के डोम पर विशाल चाबी को के्रन की मदद से स्थापित किया गया।
आहारदान के साथ लाखों करोड़ों का दान.. कुंडलपुर में विराजमान आचार्यश्री के शिष्यों के दर्शन पूजन के साथ आहार दान कराने का सौभाग्य पाने प्रतिदिन देश विदेश से भक्त पहुच रहे है। वहीं आहारदान की खुशी में अधिकांश श्रावकजन अपनी चंचला लक्ष्मी का उपयोग क्षेत्र के विकास हेतु दान में कर रहे है। इसी कड़ी में रविवार को भावी आचार्य श्री समय सागर जी महाराज को आहार कराने का सौभाग्य अजमेर के श्रावक श्रेष्ठी अजय दनगसिया परिवार को प्राप्त हुआ। 

जिनके द्वारा यह सौभाग्य प्राप्त होने पर कुंडलपुर में बड़े बाबा मंदिर के सामने बनने वाले सिंह द्वार के निर्माण के लिए एक करोड़ 11 लाख की राशि का दान करने की घोषणा की गई। साथ ही इस वर्ष का चार्तुमास अजमेर करने का निवेदन भी किया।
मुनि पुंगव सुधासागर जी की आहार भक्ति.. मुनि पुंगव के नाम से विख्यात निर्शपक श्रमण श्री सुधा सागर जी महाराज का पड़गाहन करके आहारदान का सौभाग्य प्राप्त करने का सपना देश के हर जैन श्रावक का रहता है। कुंडलुपर में भी प्रतिदिन सैकड़ो श्रावक उनके पड़गाहन हेतु लालायित नजर आत है। 

लेकिन सौभाग्य तो किसी एक परम सौभाग्यशाली परिवार को ही प्राप्त होता है। रविवार को आहार चया्र्र से लौटे मुनि पुंगव के समक्ष आहार दान के सौभाग्य की भावना भाते सैकडों भकतों का उत्साह देखने लायक रहा।

कुंडलपुर में करीब तीन सौ  पिच्छीधारी साधू विराजमा.. दमोह। विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थक्षेत्र सिद्वक्षेत्र कुंडलपुर में 16 अप्रैल तो दोपहर दो बजे से आचार्य पदारोहण अनुष्ठान महा महोत्सव का कार्यकम आयोजित किया गया है । संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के सभी शिष्य मुनि आर्यिका संघ, ऐलक, क्षुल्लक संघ सभी दूर-दूर से पैदल चलकर कुंडलपुर पहुंच रहे हैं । 

अभी मुनि आर्यिका संघ के निरंतर आने का क्रम जारी है । करीब तीन सौ साधू अभी कुंडलपुर में विराजमान है। जिनमें 9 निर्यापक सहित 78 मुनि, 6 ऐलक, 152 आर्यिका,  41क्षुल्लक, 1 क्षुल्लिका है।साधु संघ की आहार चर्या हेतु करीब 400 चौके लगाए जा रहे हैं ।आहार चर्या हेतु बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं   पडगाहन के लिए खड़े होते हैं। और पडगाहन कर आहार चर्या  कर अपने भाग्य को सराहते हुए पुन्यार्जन कर रहे हैं । देश के कोने-कोने से सभी प्रान्तों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आने का क्रम जारी है ।16 अप्रैल को लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों के आने की संभावना है।
हमारा सौभाग्य की वरिष्ठ मुनि समयसागरजी का पहला आदेश मुझे मिला-मुनिश्री प्रभातसागर जी 
दमोह। सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर की पावन धरा पर युग श्रेष्ठ संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि संघ एवं आर्यिका संघो का समागम हो रहा है ।प्रतिदिन मुनि श्री के मंगल प्रवचन हो रहे हैं। प्रवचनों की श्रृंखला में मुनिश्री प्रभातसागर जी महाराज ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा निर्यापक श्रमण मुनि श्री समयसागर जी महाराज ने बुलाया हमें लगा मीटिंगों का दौर चल रहा है हमें क्यों बुलाया हम डर से गए ।उन्होंने प्रवचन हेतु कहा, वरिष्ठ मुनिराज का आदेश मानकर प्रवचन कर रहे हैं। सन 2007 की बात है उस समय वीना वारहा में वर्षायोग हुआ ।
पंचास्तिकाय ग्रंथ  का स्वाध्याय हो रहा था। स्वाध्याय के बाद गुरु महाराज ने बुलाया और कहा कि आपके लिए इन दो महाराज को लेकर जाना है और इनका शारीरिक परीक्षण कराना है। कहां जाना है संस्कारधानी जाना है और वहां पर दो महाराज जी जो मुनि श्री विमल सागर जी महाराज जी एवं मुनि श्री पुनीत सागर जी महाराज जी आपको लेकर जाना है और परीक्षण कराना है। परीक्षण में यदि कोई त्रुटि रहती है अथवा कोई बीमारी का लक्षण मिला तो एक बड़े नगर का नाम लिया वहां तक पहुंचना है। संघ में रहकर हमारा एक भी प्रवचन नहीं हुआ। क्षुल्लक दीक्षा का जो निवेदन माइक से होता था उसमें गाथा भूल गए। माइक का बड़ा डर होता है और फिर मुनि दीक्षा का भी निवेदन किया उसमें भी गाथा भूल गए। गुरु जी से निवेदन किया आप बड़ा बनाकर भेज रहे हो मुझे कुछ आता तो नहीं है कैसे प्रवचन करेंगे ।गुरु महाराज की बात जो आर्यिका वर्ग या मुनिवर्ग प्रवचन नहीं करते वह सुने। उन्होंने कहा कि डरने की कोई बात बिल्कुल नहीं है जनता तो बुद्धू है बिना माइक डरे बोलते जाओ आपके प्रवचन अच्छे होते जाएंगे। गुरु महाराज की सलाह थी जबलपुर पहुंच गए शारीरिक परीक्षण हो गया ।जो रिपोर्ट आई वह अपने माध्यम से भेज दी गई। 
30 दिन के अंदर हम संघ में पहुंच गए ।16 तारीख को क्या होने वाला है 16 तारीख को गुरु महाराज के परोक्ष में जो पद खाली था वह भरने वाला है ।वह उनकी ही आज्ञा से उनके ही निर्देश से जो उन्होंने वरिष्ठ महाराज जी लोगों को संकेत निर्देश दिए थे वह भरा जाएगा। हमारे वरिष्ठ मुनिराज समय सागर जी महाराज कितने वरिष्ठ हैं । बहुत सारे लोगों की उम्र उतनी नहीं है जितनी समयसागर जी महाराज को मुनि दीक्षा लिए हो गई।समयसागर जी महाराज ने कितने लोगों को कितने ब्रह्मचारी भाइयों को आर्यिका वर्ग में कई लोगों को बड़ा प्रोत्साहन दिया। उन्होंने इस मार्ग पर आने के लिए उन सब को याद होगा ।कितना प्रोत्साहन देते हैं वह संसार का सबसे उत्कृष्ट मार्ग यही है महिला वर्ग के लिए भी ।समयसागर महाराज ने जब गुरु महाराज के स्वास्थ्य में प्रतिकूलता दिख रही थी तब सघ में सबने विचार किया गुरु महाराज की ओर बिहार करना चाहिए ।यथायोग तरीके से सब ने बिहार किया बिहार कर रहे थे उसे समय संभव सागर जी महाराज जी ,अभय सागर जी महाराज जी ,नीरससागर जी महाराज जी ,निरीहसागर जी महाराज जी, निरोग सागर जी महाराज पांच महाराज जी निकले दूसरे संघ के पांच महाराज भी निकले ।हमें बोला गया दोनों संघ के क्षुल्लक जी को लाना है और फिर धीरे-धीरे बिहार करके सिवनी से आगे धारणा नामक गांव था वहां तक हम लोगों ने बिहार किया ।बिहार करने के बाद जब यह समाचार मिला 17 फरवरी की वह खबर आई संलेखना होने के बाद पहला आदेश मुझे मिला। खबर आई आपको पूरे संघ को कुंडलपुर ले जाना है ।हमारा सौभाग्य था मुनि श्री समय सागर जी महाराज का पहला आदेश मुझे मिला।
 
 

Post a Comment

0 Comments