नगर पालिका अधिकारी दमोह को अवमानना नोटिस
जबलपुर / दमोह। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि मलि मठ एवं विशाल मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष दमोह के वरिष्ठ पत्रकार अनुराग हजारी की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय न्यायालय में बताया कि दमोह शहर में अवैध होर्डिंग की भरमार है जिस पर याचिकाकर्ता ने कई बार मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं कलेक्टर से शिकायत की थी पर कोई कार्रवाई न होने पर उनके द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी।
उक्त याचिका में माननीय न्यायालय ने शासन एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी दमोह को नोटिस जारी किया था ! नोटिस के पालन में नगर पालिका की ओर से उनके अधिवक्ता ने न्यायालय वचन दिया था कि नगर पालिका शहर के संपूर्ण होर्डिंग हटाने के लिए वचनबद्ध है तथा शीघ्र सभी अवैध होर्डिंग शीघ्र हटा दिए जाएंगे उक्त वचन को अभिलेख पर लेते हुए माननीय न्यायालय ने याचिका सितंबर 2022 में निराकृत कर दी थी किंतु न्यायालय में वचन देने के एक वर्ष से अधिक समय होने के बावजूद होर्डिंग नहीं हटाए गए जो की माननीय न्यायालय के आदेश की अवहेलना है नगर पालिका अधिकारी जानबूझकर माननीय न्यायालय के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं।
याचिका कर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय को तर्कों से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी दमोह को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना उन्हें न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही के लिए दंडित किया जाए यह हेतु चार सप्ताह की मोहलत दी गई है!
[16/02, 7:16 pm] Anurag Hazari: हाई कोर्ट में दायर जनित याचिका में पत्रकार अनुराग हजारी ने न्यायालय को बताया था कि दमोह शहर की सीमा व सीमावर्ती क्षेत्रों में पिछले 10 वर्षों से भी अधिक समय से कतिपय व्यक्तियों द्वारा संबंधित विभागों की सक्षम स्वीकृति के बगैर ही अवैध रूप से कब्जा कर सड़क किनारे व जहां-जहां खाली पड़ी विभिन्न विभागों लोक निर्माण विभाग शासकीय स्कूलों , नजूल भूमि , उद्योग विभाग की भूमि , नगर पालिका के अधिकार क्षेत्र वाली भूमि पर अवैध होर्डिंग्स/ फ्लेक्स लगाए जाते हैं इतना ही नहीं शहर के पेड़ों और विद्युत सप्लाई करने वाले खंभो पर भी बड़ी संख्या में होर्डिग लगाए जाने का कृत्य नगर पालिका व नजूल विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की सांठगांठ के चलते लगातार जारी है इससे जहां शहर में अवैध होर्डिंग्स /फ्लेक्स की बाढ़ आ गई है वहीं शहर की सुंदरता भी बदरंग हो गई है।
शहर के लगभग चौराहे व मुख्य चौराहों के किनारे करीब 200 से अधिक होर्डिंग्स/फ्लेक्स कानून व्यवस्था को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं संबंधित विभागों के प्रमुखों के अनदेखी व आपराधिक साथ गांठ के चलते शासकीय विभागों की भूमियों पर पक्के लोहे के खंबे गाडकर अन्य अधिकृत कब्जा कर होर्डिंग्स/फ्लेक्स लगाए गए हैं जिससे ना सिर्फ अवैध अतिक्रमण को बढ़ावा मिल रहा है बल्कि नगर पालिका शहर शासन को प्रतिमाह लाखों की प्रत्यक्ष राजस्व की हानी हो रही है ! याचिका में शहर की सुंदरता पर ग्रहण बने अवैध होर्डिंग्स/फ्लेक्सों को सख्ती से हटाने की मांग याचिका में की गई थी! याचिका में बताया गया था कि आवेदक ने वर्ष 2019 में इस आशय की शिकायतें शासन, कलेक्टर व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर मंत्रालय भोपाल तक की थी
नियम है पर पालन नहीं होता .. याचिका में पत्रकार हजारी ने बताया था कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में शासन द्वारा होर्डिंग्स नियम 2016 बनाए गए हैं तथा उसके बाद शासन ने सभी कलेक्टरों को सख्त हिदायत दी थी कि अवैध होर्डिंग्स पर कड़ाई से कार्रवाई की जावे लेकिन कार्रवाई नदारद रही जिसके चलते उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी थी अफसर से तमाम शिकायतों के बावजूद कोई कार्यवाही ना होना ना केवल हाई कोर्ट के आदेश किया मानना है बल्कि होर्डिंग नियम व मोटर व्हीकल नियम के प्रावधानों का खुला उल्लंघन भी है!
नगर पालिका ने दिया था हाई कोर्ट को अभीवचन..
सितम्बर वर्ष 2022 में जब पत्रकार अनुराग हजारी द्वारा अवैध होर्डिग को लेकर जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी तो नगरपालिका की ओर से भरोसा दिलाया गया था कि अवैध होर्डिंग्स के विरुद्ध शीघ्र कठोर कार्यवाही की जाएगी चीफ जस्टिस की युगल पीठ ने इस आशय की अभी वचन को रिकॉर्ड पर लेकर जाने जाती है जनित याचिका का पटाक्षेप कर दिया था इसके साथ ही जनहित याचिका कर्ता को यह स्वतंत्रता दे दी थी कि यदि नगर पालिका की कार्रवाई संतोषजनक ना पाई जाए तो नए सिरे से हाईकोर्ट की शरण ली जा सकेगी!
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