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मनरेगा के पारकुलेशन टैंक कार्य में मशीने चलाकर मजदूरों के हक पर डाका डालने के मामले में पटेरा जनपद टॉप पर.. जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि व प्रभावशाली लोगों की मशीन बेरोकटोक कर रही काम.. कुछ सांसद प्रतिनिधियों के हस्तक्षेप से अधिकारी भी कार्रवाई से बच रहे..

 जिले भर में मशीनें डाल रही मजदूरों के हक पर डाका

दमोह। जिले भर में मनरेगा के कार्यों में मशीनों का उपयोग कोई नई बात नहीं है लेकिन पंचायतों के नए सिरे से चुनाव और अधिकांश से जगह नए पँचायत प्रतिनिधियों के निर्वाचित होने के बाद भी यदि यही दौर जारी रहे तो समझा जा सकता है कि रोजगार सहायक से लेकर उपयंत्री सहायक यंत्री जनपद सीईओ की मंशा के बिना मशीन तो क्या ट्रैक्टर की खुरपी भी नहीं चल सकती। फिलहाल यहां हम बात कर रहे हैं पटेरा जनपद क्षेत्र की विभिन्न ग्राम पंचायतों में पर कुलेशन टैंक निर्माण के नाम पर मजदूरों के हाथ पर डाका डाल रही उन मशीनों की जो क्षेत्र के ही प्रभावशाली लोगों की है। इनमें से कुछ रिवार के सदस्य जिला पंचायत के प्रतिनिधि चुने गए हैं तो कुछ जिला पंचायत का चुनाव हारे हुए हैं।
सिंगपुर में परकुलेशन टैंक कार्य में दिन दहाड़े मशीन
यह तस्वीर पटेरा अंतर्गत सिंगपुर की है जहां पर महात्मा गांधी रोजगार गारंटी के अंतर्गत पारकुलेशन टैंक कार्य में दिनदहाड़े जेसीबी मशीनों से कार्य कराया जा रहा हैं, वही उक्त कार्य की जानकारी रविवार को जनपद सीईओ ब्रतेश जैन एवं उपयंत्री केएल पटेल को दी गई थी। परंतु आज तक  तक भी किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई। इधर सरपंच सचिव द्वारा लगातार भष्टाचार करते हुए परकूलेशन टैंक में जेसीबी मशीनों से कार्य कराया जाता रहा
आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस गांव में यह कार्य कराया जा रहा था उस गांव की दूरी जनपद पंचायत पटेरा से महज 4 से 5 किलोमीटर मात्र ही है। सीईओ साव भी सोमवार को सुबह से लेकर शाम तक जनपद पंचायत कार्यालय पटेरा में ही मौजूद रहे। इससे कहीं ना कहीं यह साफ जाहिर होता है कि जनपद पंचायत पटेरा अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में नरेगा के अंतर्गत हो रहे कार्यों में सरपंच सचिव एवं उपयंत्री द्वारा जो भ्रष्टाचार किया जा रहा है उसमें जनपद के मुखिया की भी की मूक सहमती होती है। जिससे भ्रष्टाचार करने वाले भ्रष्ट सरपंच सचिव के हौसले बुलंद हैं जो लगातार भष्टाचार से बाज नही आ रहे और भ्रष्टाचार करने में लगे हुए हैं।
इस संबंध में जब उपयंत्री केएल पटेल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैं छुट्टी पर था कल मौका स्थल पर पहुंच कर जांच प्रतिवेदन बनाकर जांच करता हूं एवं इस संबंध मे जनपद सीईओ ब्रतेश जैन को बार बार फोन लगाने के बाद भी सीईओ महोदय द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया। इसके पहले रेवंझा कला, तिंदनी, बिजोरी पाठक शायद पटेरा ब्लॉक के अनेक क्षेत्रों में मशीनों से परकुलेशन टेंक कार्य की शिकायतें अखबार की सुर्खियां बन कर जिले के मुखिया से लेकर जिला पंचायत के सीईओ तक पहुंचती रही हैं लेकिन मजाल है कि किसी मामले में कोई एक्शन लिया गया हो।
शिकायत के बाद भी रेबझा कला में कार्यवाही नहीं
दमोह जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर पटेरा जनपद पंचायत अंतर्गत रेबझा कला ग्राम पंचायत की। पांच महीने पहले हुए पंचायत चुनाव में यहां की जनता ने बड़ी उम्मीदों के साथ हजारी सिंह को सरपंच पद पर चुना था। लेकिन लोगों को क्या पता था सरपंच बनते ही यह गांव का भला करने के बजाए अपने अपनों का भला करना शुरू कर देंगे। यह तस्वीर है गांव में निर्माणाधीन परकुलेशन टैंक की है । मनरेगा के तहत बनाए जाने वाले इस टैंक की खुदाई में गांव के ही जाब कार्ड धारी मजदूरों को काम दिया जाना चाहिए था।
 लेकिन पिछले महिने जो तस्वीर सामने आई थी उनमें पोकलेन मशीन धरती का सीना छलनी करते हुए मजदूरों के हक पर डाका डालते साफ नजर आ रही थी। इधर 10 लाख रुपए की लागत से बन रही खकरी का कार्य भी सरपंच द्वारा निजी जमीन को सुरक्षित रखने के लिए कराया जा रहा था। इधर करीब 6 लाख के निर्मल नीर का निर्माण कार्य सरपंच के खेत में होने की जानकारी सामने आई थी।
इसके पहले नबंवर महीने भी पंचायत के 2 तालाबों के गहरीकरण के नाम पर कुआं खेड़ा महदेला एवं रेबझा कला में पूर्व से निर्मित 2 तालाबों के गहरीकरण के नाम पर दो दो लाख रुपए की राशि फर्जी मस्टरोल के जरिए निकाली जा चुकी है। जबकि तालाबों में लबालब पानी भरा हुआ है। ऐसे में यह समझ पाना मुश्किल है कि गहरी करण कार्य के लिए खुदाई किस जगह पर कराई गई होगी ? हो सकता है फर्जी मस्टर धारको ने तालाब के अंदर घुस कर खुदाई करने का कारनामा कर दिखाया।
 इसी तरह पूर्व सरपंच द्वारा बनवाई गई सुदूर सड़क पर जेसीबी से कार्य करा कर नए सरपंच द्वारा लाखों रुपए की राशि निकाल लेने की जानकारी सामने आई है। रेबझा कला पंचायत में पिछले सरपंच के कार्यकाल के दौरान मंजूर कार्यों को कराने के नाम पर जिस तरह से नए सरपंच ने नियम कायदा कानून को ताक पर रखकर शासन की योजनाओं को पलीता लगाना शुरू किया है उसकी शिकायतें कलेक्टर, जिला पंचायत के सीईओ से लेकर मध्यप्रदेश शासन की जनसुनवाई तक पहुंच चुकी थी। तथा मामला जांच के लिए जनपद पंचायत सीईओ को फॉरवर्ड किया गया था।
लेकिन शिकायत की जांच शुरू होने के पहले ही सरपंच ने शिकायत कर्ता जो कि रिश्ते में उनका भाई लगता था उसे मनाने में देर नहीं की। इसी के साथ शिकायतकर्ता के मान जाने की जानकारी अधिकारियों को देकर जांच ठंडे बस्तें में डाल दी गई। जबकि ऐसे मामलों में सवाल यही उठता है कि क्या शिकायतकर्ता के संतुष्ट हो जाने पर ऐसी शिकायतों को बिना जांच के बंद किया जा सकता है ?
 सत्तारूण दल तथा सांसद प्रतिनिधियों को बरदहस्त !
पंचायतों में इस तरह हालातों को सत्तारूढ़ भाजपा के अनेक नेताओं यहां तक कि कुछ सांसद प्रतिनिधियों, जिला पंचायत और जनपद पंचायत के पूर्व अध्यक्ष का संरक्षण होने की वजह से बड़े अधिकारी भी कार्रवाई करना तो दूर पचड़े में पड़ना भी नहीं चाहते। क्योंकि इनमें से अनेक चेहरे केंद्रीय मंत्री और दमोह सांसद प्रहलाद पटेल के हर कार्यक्रम में मंच या आसपास नजर आते हैं। ऐसे मामलों में जिम्मेदार अधिकारियों से मीडिया की बात होने पर उनका कहना होता है कि सरपंच सचिव अपना निजी कार्य करा रहे होंगे क्योंकि विभाग की तरफ से तो कोई स्वीकृति दी ही नहीं गई है। समझा जा सकता है कि बिना टीएस के मशीनों से कार्य कराने के कुछ दिन बाद मस्टर लगाकर खानापूर्ति कर ली जाती है।
जिला मनरेगा अधिकारी की मानीटरिंग पर प्रश्नचिंह
 इस तरह के कार्यों की मॉनिटरिंग में मनरेगा की अधिकारी द्वारा किए जाने वाले निरीक्षण के दौरान निजी वाहन चालक, सुरक्षा कर्मी द्वारा की जाने वाली वसूली की खबरें तथा उनके दमोह के पाश कॉलोनी इलाके में प्लाट लेकर यही बसने की खबरों से अंदाजा लगाया जा सकता है किस तरह से पंचायती राज की अवधारणा को पलीता लगाने में कोई किसी से कम नहीं है। मनरेगा की सुदूर सड़क निर्माण से लेकर अन्य कार्यों के भी ऐसे ही हालात बने हुए हैं जिनकी मौके से तस्वीर वीडियो एवं अन्य ब्लॉक के हालातों के साथ के साथ जल्द मिलते हैं।

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