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आचार्य श्री के शिष्य मुनिश्री सुब्रत सागर का 25 वा रजत जयंती दीक्षा दिवस, पिच्छी परिवर्तन एवं श्रावको का उपनयन संस्कार संपन्न.. कुंडलपुर में बड़े बाबा का उच्चासन दिवस 17 जनवरी को.. विरागोदय महामहोत्सव की तैयारियां जोरो पर..

 मुनिश्री सुब्रत सागर का दीक्षा दिवस, पिच्छी परिवर्तन

दमोह। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुब्रत सागर जी महाराज का 25 वा रजत जयंती दीक्षा दिवस 50 वा जन्मदिवस एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर 25 श्रावको का उपनयन संस्कार मुनि श्री के सानिध्य में सानंद आयोजित किया गया। मुनि श्री के गृहस्थ जीवन के परिजनों को नई पिच्छी देने का सौभाग्य मिला। मुनि श्री की पुरानी पिच्छी पाने का सौभाग्य विदिशा की ब्रह्मचारी दीदी को प्राप्त हुआ।
श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी जैन धर्मशाला में 15 जनवरी को मुनि श्री सुब्रत सागर महाराज के 25 में मुनि दीक्षा दिवस के अवसर पर प्रातः बेला में आचार्य छत्तीसी एवं साधु परमेष्ठी विधान पूजन का आयोजन भक्ति भाव के साथ किया गया इस अवसर पर भगवान शांतिनाथ का अभिषेक शांतिधारा पूजन भी सामूहिक रुप से संपन्न हुआ। दोपहर में मुनि श्री का 50 का अवतरण दिवस 25 वा मुनि दीक्षा दिवस एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह आयोजित किया गया। जिसमें प्रदेश के विभिन्न नगरों से सैकड़ों की संख्या में गुरु भक्तों ने शामिल होकर धर्म लाभ अर्जित किया।
सबसे पहले विभिन्न मंदिरों के महिला मंडलों द्वारा आचार्य श्री का बुंदेली पूजन अष्ट द्रव्य से संपन्न में किया गया। आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य कुंडलपुर कमेटी के अध्यक्ष चंद्र कुमार सराफ को प्राप्त हुआ। तत्पश्चात 51 श्रावक जनों को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
 इस अवसर पर मुनि श्री के सानिध्य में आयोजित उपनयन संस्कार में 25 श्रावक जनो को संस्कारित किया गया। संस्कार पाने वालों में 8 साल के बच्चों से लेकर 70 साल के बुजुर्ग तक शामिल रहे। साथ ही आचार्यश्री द्वारा प्रारंभ की गई इस परंपरा का उल्लेख करते हुए मुनिश्री ने कहां कि मुंडन के बिनाउपनयन संस्कार पूरा नहीं होता।
 जिन श्रावकों का उपनयन संस्कार नहीं हुआ है उनकों श्रीजी के अभिषेक से लेकर मुनिश्री को आहार देने की भी पात्रता नही होती। उल्लेखनीय है कि मुनिश्री के सानिध्य में नव वर्ष पर भी उपनयन संस्कार दिए गए थे। जिसमें करीब सौ श्रावकों को सस्ंकारित होने का सौभाग्य मिला था।
कार्यक्रम के दौरान आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज एवं मुनिश्री सुब्रत सागर जी महाराज के विशाल चित्रों का अनावरण अतिथियों द्वारा किया गया। वहीं अन्य फोल्डरों को भी विमोचन किया गया।
दोपहर से शाम तक 4 घंटे तक चले समारोह में दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष सुधीर सिंघई, महामंत्री पदम जैन, मंत्री आलोक पलन्दी, सोनू नेेता, राजीव जैन सहित जैन पंचायत के अन्य पदाधिकारी गण, कुंडलपुर कमेटी के अध्यक्ष चंद्र कुमार सराफ उपाध्यक्ष देवेंद्र सेठ महामंत्री रूपचंद संगम, अनिल गुुड्डू जुझार सहित अन्य पदाधिकारी गण, कुंडलपुर कमेटी के पूर्व अध्यक्ष संतोष सिंघई, संतोष भारती, पदम् जुझार, संदीप अभाना, संजीव शाकाहारी, पवन चश्मा, सुनील वेजेटेरियन, शैलेन्द्र मयूर सहित समाज के वरिष्ठ जन नगर के सभी जैन मंदिरों के पदाधिकारीगणों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन अभिषेक आशीष शास्त्री एवं राजेश हिनौती ने किया। आभार मंदिर कमेटी के अध्यक्ष गिरीश नायक ने माना। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जैन समाज के लोगों की मौजूदगी रही।
 
कुंडलपुर में बड़े बाबा का उच्चासन दिवस 17 जनवरी को
दमोह। सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में विश्व प्रसिद्ध बड़े बाबा की अतिशय कारी मनोज्ञ पद्मासन प्रतिमा के नव निर्माणाधीन मंदिर के उच्च सिंहासन पर विराजमान होने के 17 वर्ष पूर्ण होने पर 17 जनवरी को मुनि संघ के सानिध्य में  प्रातः श्री भक्तामर महामंडल विधान, पूज्य बड़े बाबा का अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, विधान होगा। मिष्ठान वितरण  किया जाएगा। 
दोपहर में 1:00 से प्रबंधकारिणी समिति एवं स्थायी आमंत्रित समिति की बैठक कुंडलपुर कार्यालय में आयोजित की गई है। सायंकाल भक्तांमर दीप अर्चना एवं पूज्य बड़े बाबा की  संगीतमय महाआरती होगी।
मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज ने किये केशलोंच
दमोह। सुप्रसिद्ध जैन तीर्थ क्षेत्र कुंडलपुर में विराजमान पूज्य मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज ने अपने केश लोंच किए। दिगंबर साधु अपने बालों को कैची से या अन्य भौतिक उपकरणों से नहीं काटते हैं बल्कि अपने हाथों से केशों को काटते हैं। हाथों से बालों को उखाड़ना शरीर को कष्ट देना नहीं बल्कि शरीर की उत्कृष्ट साधना शक्ति का परीक्षण है। 
कैची से या अन्य भौतिक उपकरणों से बाल कटवाने पर दीनवृत्ति का जन्म होने लगता है। जबकि दिगंबर साधु दीनता रहित अंतरंग व वहिरंग परिग्रह से रहित होते हैं ।शरीर से निर्ममता को सूचित करने के लिए दिगंबर जैन साधु हाथों से ही केशों को दो या तीन या चार माह में उखाड़ कर फेंक देते हैं ।मुनियों के 28 मूल गुणों में एक मूल गुण है केशलोंच। केशलोंच करने से अहिंसा व्रत की वृद्धि होती है।
 
विरागोदय पंचकल्याणक महामहोत्सव तैयारियां जोरो पर
दमोह विरागोदय तीर्थ पथरिया में संपन्न होने जा रहे 1 से 15 फरवरी 2023 तक मज्जिनेंद्र 80 (अस्सी) पंचकल्याणक महामहोत्सव हेतु परम पूज्य भारत गौरव राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामुनिराज ससंग के पावन सानिध्य में मुख्य पात्रों का चयन किया जा चुका है। तथा साथ ही अन्य 80 (अस्सी) सौधर्मेंद्र, कुबेर, यज्ञ नायक, माता पिता बनने हेतु लोगों की झड़ी लगी हुई है।
अब तक बन चुके पात्र, इस महामहोत्सव में शामिल होने हेतु माता-पिता की संख्या 120 से भी अधिक आ चुकी है जिसमें केवल 80 दंपतियों का ही चयन किया जाएगा।  सौधर्मेंद्र, यज्ञ नायक,  कुबेर, की संख्या 50 के ऊपर पहुंच चुकी है तथा प्रतिदिन नए नए नामों की श्रृंखला जारी है। महा महोत्सव में बनने वाले पात्रों के लिए आवाज, भोजन, वस्त्र, आभूषण , इत्यादि की पूर्ण सुविधा उपलब्ध कराई जावेगी
 यदि आगंतुक लोगों को रोकने की व्यवस्था विरागोदय से दूर है तो उन्हें आवागमन हेतु मुक्त व्यवस्था उपलब्ध होगी।  विरागोदय तीर्थ महा महोत्सव लाखो लोगो को पुण्यार्जन में हेतु बनेगा जिसमें केवल जैन ही नहीं जैनेत्तर, राजनैतिक, मेडिकल, वकील, अन्य धर्म गुरु, इंजीनियर, सीए, सी एस, ए  आई एस, आई पी एस इत्यादि अनेकानेक भारत की विभूतियां सम्मिलित होंगी।
 

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