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रिटायरमेंट के 6 महीने पहले 20000 की रिश्वत लेते पकड़े गए बड़े साहब.. जबलपुर लोकायुक्त ने कोऑपरेटिव बैंक के CEO को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा.. समिति प्रबंधक से पुनः जॉइनिंग कराने ली जा रही थी रिश्वत..

लोकायुक्त का एक और भ्रष्ट अधिकारी पर शिकंजा.. 

मध्यप्रदेश में रिश्वतखोरी का दंश थमने का नाम नहीं ले रहा है। रिश्वतखोरी के इस गोरखधंधे में अब ऐसे बड़े अधिकारी का नाम भी शुमार हो गया है जो 6 माह बाद रिटायर होने वाले थे तथा कॉपरेटिव बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जैसे बड़े पद पर थे। इसके बावजूद वह एक छोटे से प्रभारी समिति प्रबंधक से हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बावजूद रिश्वत ले रहे थे।

हम बात कर रहे हैं जबलपुर जिला सहकारी मर्यादित बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वीरेश जैन की जिनको लोकायुक्त जबलपुर की टीम ने सोमवार दोपहर ₹20000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ने के बाद भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7 के तहत कार्रवाई की है। यहां उल्लेखनीय है कि इनके खिलाफ लोकायुक्त में पहले से शिकायतें लंबित है लेकिन उनकी जांच होने के पहले इस मामले में रंगे हाथों पकड़े गए।

 शिकायतकर्ता राधे लाल यादव प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति तलाड तहसील मझौली में प्रभारी समिति प्रबंधक था। जिसके अनुसार सीईओ साहब ने पिछले महीना उससे Rs 55000 लिए थे तथा Rs50000 भोपाल के अधिकारियों को भेजने के लिए और मांग की गई थी। जिसका इंतजाम नहीं हो पाने पर उसको सेवा समाप्ति का ऑर्डर पकड़ा दिया गया था। जिसके बाद उसने हाईकोर्ट की शरण ली और कोर्ट से स्टे मिल गया। यह स्टे आदेश लेकर जब वह साहब के पास पहुंचा तो उन्होंने उसके पास से Rs2000 और झटक लिए तथा Rs20000 और देने पर दोबारा जॉइनिंग देने की शर्त रखी।

जिसके बाद पीड़ित फरियादी राधे लाल यादव को लोकायुक्त की शरण लेना पड़े तथा उसने लोकायुक्त एसपी को लिखित आवेदन देकर अपनी व्यथा कथा सुनाई। और आज इस मामले का कॉपरेटिव बैंक के सीईओ वीरेश जैन के रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े जाने के साथ फिलहाल पटाक्षेप होता नजर आ रहा है। मामले में लोकायुक्त डीएसपी दिलीप झारबड़े ने बताया कि आवेदक की शिकायत पर आज दबिश देते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी को रंगे हाथ Rs20000 की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है।

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