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सम्मेद शिखरजी मामले में झारखंड सरकार की कथित घोषणा के बावजूद जैन समाज की जीत अधूरी.. आगे कार्यवाही की गेंद केंद्र सरकार के पाले में.. नोटिफिकेशन सुनवाई 17 जनवरी को.. इधर इंदौर सांसद की पहल पर वन मंत्रालय के पत्र के बाद झारखंड सरकार के यू टर्न से जैन समाज में हर्ष..

सम्मेद शिखरजी मामले में झारखंड सरकार के कथित यू टर्न के बाद केंद्र सरकार की सुनवाई 17 जनवरी को 

दिल्ली। संपूर्ण जैन समाज की आस्था के केंद्र सर्वोच्च तीर्थ शाश्वत सिद्ध क्षेत्र शिखर जी पर्वत को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने मामले में देश भर में जैन समाज द्वारा लगातार विरोध किए जाने पर 21 दिसंबर 2022 को झारखंड सरकार द्वारा उक्त प्रस्ताव वापस ले लिए जाने की खबर सामने आई है। लेकिन इस मामले में यह समझना भी आवश्यक है कि 3 वर्ष पूर्व भारत के राजपत्र में प्रकाशित हो क्योंकि उपरोक्त अधिसूचना को निरस्त किया जाना इतना आसान नहीं है जितना कि झारखंड सरकार की घोषणा के बाद जैन समाज के लोग समझ रहे हैं।

दरसल शिखर जी पर्वत को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के झारखंड सरकार के प्रस्ताव को केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद देश के पर्यावरण वन एवं जलवायु मंत्रालय द्वारा 2 अगस्त 2919 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशित किया गया था। 33 पेज की इस अधिसूचना के प्रकाशन के साथ शिखर जी पर्वत के एक हिस्से को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की सशर्त अनुमति मिल गई थी। इसी के बाद पर्वत पर अर्धसैनिक बलों के कैंप, चौकी, हेलीपैड आदि सुरक्षात्मक गतिविधियों की स्थापना के साथ अर्ध सैनिक बलों के आवागमन हेतु वन विभाग द्वारा सड़क नाली आदि निर्माण कार्य भी कुछ हिस्सों में हो चुका है। 

 

इधर जैन समाज के देशव्यापी विरोध के साथ इंदौर में हुए जैन समाज के विशाल प्रदर्शन और अनुरोध के बाद सांसद शंकर लालवानी ने केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव से इस मामले में चर्चा करते हुए 12 दिसंबर को एक पत्र लिखकर शिखर जी पर्वत को पर्यटन मुक्त करने की मांग रखी थी। जिसके बाद 20 दिसंबर को केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा झारखंड के प्रमुख सचिव को उपरोक्त मामले में पत्र लिखकर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे माना जा रहा है इसी की बात 21 दिसंबर को झारखंड सरकार अपने पुराने फैसले से पीछे हटने को तैयार हुई तथा उसके द्वारा देशव्यापी जैन समाज के विरोध को ध्यान में रखकर निर्णय लिया गया। हालांकि झारखंड की सरकार पूर्व में भी इस तरह के विभिन्न आदेशों को जारी करने के बाद ठंडे बस्ते में डालती रही है। 

 

 जिस वजह से उनकी इस घोषणा को भी तब तक सार्थक नहीं कहा जा सकता जब तक कि केंद्र सरकार भी इसे पास करने के साथ इसका प्रकाशन राजपत्र में ना कर दे। वैसे भी आज के हालात में मधुबन क्षेत्र के आसपास निवासरत परिवारों को पर्वत पर आने जाने घूमने फिरने पिकनिक मनाने से रोकने के लिए किसी कानून के तहत भी कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती।जानकारों का कहना है कि झारखंड सरकार के बाद जब तक केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को निरस्त करने की मंजूरी नहीं देती तब तक इस मामले में कुछ भी बदलाव नहीं हो सकता।  केंद्र सरकार से इस मामले में सुनवाई की तारीख 17 जनवरी 2023 दोपहर 3 बजे निर्धारित किये जाने की जानकारी सामने आई है। ऐसे में जैन समाज को आगे भी इसी तरह से प्रयासरत रहना होगा। अपने अपने क्षेत्र के लोकसभा सदस्य यानी सांसद के जरिए केंद्र सरकार तक यह बात पहुंचाना होगी की शिखरजी के मामले में जैन समाज कोई कंप्रोमाइज नहीं करेगी। तभी 17 जनवरी को होने वाली नोटिफिकेशन रद्द करने वाली सुनवाई के परिणाम जैन समाज के पक्ष में सामने आ सकेंगे। उपरोक्त हालात को देखकर कहा जा सकता है कि झारखंड सरकार की घोषणा के बावजूद फिलहाल शिखरजी मामले की जीत अधूरी है..

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