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जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में नोट के बदले वोट की राजनीति के साक्षी बने पवन पुत्र.. दीपावली के पूर्व ऋषि लोधी ने पंचायत लगाकर राहुल सिंह की मौजूदगी में दृगपाल से 20 लाख का तकादा किया.. नगरपालिका चुनाव के दौरान भी वोट नहीं देने वालों से होगा तकादा..!

 जिला पंचायत चुनाव में नोट के बदले वोट की राजनीति

 दमोह। दीपावली के पूर्व हर कोई अपनी पुरानी उधारी और लेनदारी के लिए संबंधित देनदार से तकादा करने से नहीं चूकता है। कोई दमदार की भी कोशिश होती है कि दिवाली में उसका पुराना कर्ज बकाया ना रहे। आपने अनेक प्रकार की उधारी और तकादे देखे और सुने होंगे लेकिन सामाजिक पंचायत लगाकर चुनाव की देनदारी को वसूलने के लिए किया गया इस तरह का तकादा रुपी तमाशा नहीं देखा होगा।
यह तस्वीरें दमोह जिला मुख्यालय से महज 24 किमी दूर दतला ग्राम की है जहां की पवन पुत्र बजरंगबली के दरबार में जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि राघवेंद्र सिंह ऋषि लोधी द्वारा जिला पंचायत सदस्य दृगपाल सिंह से अपनी चुनाव की लेनदारी वसूल करने के लिए लोधी समाज के प्रमुख लोगों की पंचायत लगाई गई या यह कहें की धरना देकर अपनी मांगों को रखा गया। इस दौरान प्रमुख पंच के रूप में दमोह के पूर्व विधायक वर्तमान में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त राहुल सिंह जी मौजूद रहे। यह वही राहुल सिंह थे जिनके दलबदल करके भाजपा में शामिल होने पर कथित क्रांतिकारी युवा दृगपाल सिंह ने दमोह में कालिख उछाली थी और बदले में पुलिस की पिटाई जेल की हवा भी खाई थी। लेकिन अब बदले हुए हालात में इस पंचायत में राहुल सिंह पंच की भूमिका में थे दृगपाल सिंह किसी आरोपी की तरह सवालों के जवाब रूपी सफाई देते नजर आ रहे थे।
 लोधी समाज के प्रतिनिधियों की यह पंचायत ऋषि लोधी ने करीब 3 महीने पहले हुए जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान नोट के बदले वोट रूपी सौदे बाजी की वसूली के परिपेक्ष में बुलाई थी। दरअसल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में अपनी मां को जीत नहीं दिला सके ऋषि लोधी का कहना था कि जीत के लिए आवश्यक सदस्यों की वोट जुटाने के लिए कुछ सदस्यों को बीस बीस लाख रुपए उनके चुनाव खर्च के रूप में दिये थे। जबकि दृगपाल सिंह के द्वारा सौदेबाजी करके 40 लाख रुपये लिए गए थे। क्योंकि उनकी मां चुनाव हार गई तथा उन्होंने जिन लोगों से रुपए लिए थे वह दीपावली में वापस करना थे। इस वजह से वह जिन सदस्यों को चुनाव के पहले रुपए दिए थे उन से वापसी का तगादा कर रहे थे। 
दतला गांव में मंगलवार को हनुमान जी के समक्ष हुई लोधी समाज की पंचायत के दौरान ऋषि लोधी ने समाज के वरिष्ठ जनों के समक्ष जहां चंद्रभान सिंह और चंदन सिंह द्वारा सहयोग नहीं किए जाने के हालातों को रखा वही राव बृजेंद्र सिंह द्वारा 20 मै से 10 लाख रु की जल्द वापसी के आश्वासन की बात भी कही। वही दृगपाल सिंह को दिए गए 40 लाख रुपए में से 20 लाख रुपए वापस दिलवाने के लिए समाज जनों से निवेदन किया गया। इस दौरान दृगपाल सिंह भी अपना पक्ष रखते और वोट देने की बात करते नजर आए। दतला गांव में हुई इस पंचायत का क्या नतीजा निकला यह तो पता नहीं लग सका है लेकिन पंचायत में बैठे कुछ लोगों द्वारा पूरी बातचीत के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए गए। जिनके शुक्रवार को खबरों की सुर्खियां बनने के साथ जिला पंचायत चुनाव में अभी नोट के बदले वोट क्या हालातको उजागर करके रख दिया है। ऐसे में अब आने वाले दिनों में यदि दमोह नगर पालिका अध्यक्ष उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान हुई खरीद-फरोख्त की वसूली को लेकर भी कोई पंचायत किए जाने का मामला सामने आए तो आश्चर्य नहीं होगा।
3 महीने पहले जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव पर एक नजर
 दरअसल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस से रंजीता गौरव पटेल और विनीता राव बृजेंद्र सिंह तथा  भाजपा की और से उर्मिला लिंबरदार पटेल तथा जानकी चंद्रभान सिंह अध्यक्ष पद की दौड़ में दावेदारी कर रहे थे। कुछ साल पहले भाजपा से कांग्रेस में आए ऋषि लोधी भी अपनी मां के लिए अध्यक्ष पद की लाबिंग करने में जुटे हुए थे। 15 सदस्यों वाली जिला पंचायत में किसी भी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं होने से पूरा दारमोदार निर्दलीयों पर था। ऐसे में अध्यक्ष पद के दावेदारों द्वारा बहुमत के लिए सदस्य जुटाने के लिए 20 लाख रुपये प्रति सदस्य के हिसाब से खर्च करने का बजट घोषित कर दिया था। 
 जिसके बाद इस राशि में और बढ़ोतरी के लिए अनेक सदस्यों द्वारा मोलभाव की चर्चाएं भी सार्वजनिक हो रही थी। इसी के साथ लोधी तथा कुर्मी समाज के दावेदारों के पक्ष में जातिवादी गणित बनाने की कोशिश शुरू हो गई थी। चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस ने रंजीता गौरव पटेल को अपना प्रत्याशी घोषित कर देने के बाद भाजपा ने जानकी चंद्रभान सिंह को प्रत्याशी घोषित करके जातिवादी गणित के हिसाब से बढ़त बना ली थी। क्योंकि लोधी समाज के पांच जिला सदस्य चुनाव जीत कर आए थे। इधर भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशी घोषित हो जाने के बाद ऋषि लोधी ने अपनी मां को अध्यक्ष बनाने के लिए टीम सिद्धार्थ मलैया की मदद से दावेदारी पेश कर दी। इधर उपाध्यक्ष पद के लिए मंजू धर्मेंद्र कटारे और दृगपाल सिंह सभी से सपोर्ट की बात कर रहे थे।
 जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की पूर्व बेला में त्रिकोणीय मुकाबले के साथ ऋषि लोधी का पड़ला भारी नजर आने लगा था। लेकिन चुनाव के ठीक पहले भाजपा के घोषित प्रत्याशी पति चंद्रभान सिंह ने एक बार फिर रुख बदलते हुए चुनाव से किनारा कर लिया और नामांकन ही दाखिल नहीं किया। जिससे अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस की रंजीता गौरव पटेल का और टीएमसी की जमुना देशराज लोधी के बीच मुकाबला हुआ। जिसमें चंद्रभान सिंह ने अपने भाई चंदन सिंह की और उनके बेटे ने मां जानकी की वोट डालकर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित कर दी। 
 शिवचरण और चंद्रभान के बीच भी आरोप प्रत्यारोप 
उपरोक्त अप्रत्याशित हालातों के बाद सबसे पहले सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता के बाद जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष शिवचरण पटेल ने
 मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री जयंत मलैया, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व विधायक लखन पटेल, चंद्रभान सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनसे कांग्रेश से सांठगांठ करने और भाजपा के चुनाव मैदान में नहीं रह पाने के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया।
  जिसके बाद पूर्व विधायक लखन पटेल ने शिव चरण पटेल के आरोपों का जबाव देते हुये उनको भी कटघरे में खड़ा करने में देर नहीं की थी।
 इधर ऋषि लोधी ने अपनी मां की पराजय के लिए चंद्रभान सिंह और कांग्रेस की मिलीभगत को जिम्मेदार ठहराने में देर नहीं की।
 हालांकि बाद में चंद्रभान सिंह भी मीडिया से चर्चा के दौरान उपरोक्त हालात के लिए अपनी सफाई देते और ऋषि लोधी तथा शिवचरण पर आरोप लगाकर खुद को पाक साफ बताने की कोशिश करते रहे थे।
 
 नपा चुनाव के दौरान भी वोट नहीं देने वालों से होगा तकादा !
दमोह नगरपालिका के अध्यक्ष चुनाव के दौरान भी नोट के बदले वोट की राजनीति की चर्चाए जमकर सरगर्म रही थी। यहां तक की भाजपा के करीब आधा दर्जन पार्षदों पर क्रास वोटिग किए जाने की बात सामने आई थी। जबकि एन मौके पर भाजपा के अध्यक्ष प्रत्याशी बनाए गए विक्की गुप्ता द्वारा अपनी क्ष्मता से अधिक सहयोग राशि अनेक पार्षदों को चुनाव खर्च के तौर पर सप्रमे भेंट की गई थी। लेकिन जब नतीजे सामने आए थे तो साफ हो गया था कि अनेक पार्षदों ने नोट लेकर भी वोट नहीं दी। ऐसे पार्षदों के नाम सामने आ जाने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की तरह पालिका अध्यक्ष चुनाव की देनदारी का तकादा किश जाने लगे तो आश्चर्य नहीं होगा। 

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