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धान खरीदी में धांधली..! तुलाई के पहले खरीदी केंद्र से कैसे गायब हो गई 160 बोरी धान.. ? भारतीय मजदूर संघ ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा..

 दमोह जिले में संचालित धान खरीदी केंद्रों पर लगातार धांधली की शिकायतें आरोपों के बीच धान बेचने वाले किसानों की मजबूरी मेरे हालात लगातार सामने आते रहे हैं वहीं राजनीतिक संरक्षण में विभिन्न समूहों द्वारा की जाने वाली खरीदी के दौरान हुई गड़बड़ियों पर पर्दा डालने की कोशिश भी की जाती रही है। वही अब एक किसान की 160 बोरी धान खरीदी केंद्र से गायब हो जाने का मामला सामने आया है। 

खरीदी केंद्र से 160 बोरी धान कैसे गायब हो गई ?
जबेरा जनपद के पटना मानगढ़ खरीदी केंद्र में मां दुर्गा स्व सहायता समूह के द्वारा धान खरीदी की जा रही है। यहां परस्वाहा के किसान संतोष जैन की 160 बोरी धान गायब हो जाने उसकी लिखित शिकायत पुलिस चौकी बनवार में की गयी है। जिसमें खरीद केंद्र प्रभारी मुन्ना लाल पर अपनी 160 बोरी कुल 58 क्विंटल धान गायब कर नये बारदाने मे पलटने के आरोप लगाए गए है।
कलेक्ट्रेट कार्यालय आकर भी पुलिस के साथ द्वारा कलेक्टर के नाम लिखित शिकायत दी गई है। पीड़ित किसान संतोष जैन के पुत्र ने बताया की उनकी धान तुलाई के लिए करीब तीन सप्ताह से केंद्र पर रखी थी। पहले मैसेज निकलने बाद दूसरे मैसेज के इंतजार में ध्यान रखी हुई थी। लेकिन इसके पहले ही धान की 160 बोरियां बिना तुलाई किए ही गायब कर दी गई। जिसके बारे में पूछताछ करने पर केंद्र प्रभारी अनभिज्ञता जता रहे हैं जबकि उनके निर्देशन में आज सब कुछ चल रहा है।
भारतीय मजदूर संघ का समान पेंशन के लिये ज्ञापन
दमोह।
भारतीय मजदूर संघ ने कलेक्टर एवं क्षेत्रिय पी.पी.आयुक्त भोपाल के माध्यम से निर्मला सीतारमण केन्द्रीय वित्त मंत्री भारत सरकार नई दिल्ली के नाम ज्ञापन सौंपा। भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री देवेन्द्र चौबे ने बताया कि पेंशन बढ़वाने और एक समान पेंशन के लिये ही केन्द्रीय आव्हान पर ई.पी.एस. 95 पेंशन भोगियों से संबंधित लंबे समय से लंबित और ज्वलंत मुद्दो को हल करने के लिये आपकी तत्काल सकारात्मक कार्यवाही के लिये निम्नलिखित कुछ प्रस्ताव रखें है। जिसमें मौजूदा न्यूतम पेंशन को मौजूदा 1000 रूपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 5000 रूपये प्रतिमाह करें चूकि 2022 में रूपये के मूल्य की तुलना 2014 से की जाती है जब न्यूनतम पेंशन 1000 रूपये प्रतिमाह घोषित की जाती है

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यह मुद्रा स्फीती दर के कारण 5000 रूपये हो जाती है यहां तक प्रधानमंत्री, श्रम योगी मंथन योजना और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को बहुत कम मासिक प्रीमीयम का योगदान कर 3000 रूपये प्रति माह पेंशन के रूप में सुनिश्चित किया जा सकता है लेकिन ई.पी.एफ. 95 योजना में 541 रूपयें प्रतिमाह का भुगतान करने वाले कर्मचारियों को भी औसतन 800 रूपये प्रतिमाह मिलता है केवल 2500 रूपये प्रतिमाह। न्यूनतम पेंशन निर्धारण के रूप में ई.पी.एस 95 में कोई भी वृद्धि सभी के लिये समान रूप से लागू की जाये, 2014 की वृद्धि के अनुसार लगभग 65 लाख पेंशन भोगियों ने गैर लाभार्थियों के रूप में बहुमत को छोड़कर केवल 14 लाख पेंशन भोगियों को लाभान्वित किया। सभी ई.पी.एस 95 पेंशन भोगियों को प्रधानमंत्री आयुषमान भारत चिकित्सा योजना के तहत लाया जायें वृद्वाव्यस्था में सभी ई.पी.एस 95 पेंशन भोगियों वो वरिष्ठ नागरिक है उन्हें किसी भी प्रकार की सेवा निवृत्ती चिकित्सा योजना नहीं मिल रही है।
ई.पी.एस 95 पेंशन को मुद्रास्फीती के कारण मूल्य सूचकांक की लाग से जोड़ा जाना चाहियें। वीएमएस की पुरजोर मांग है कि सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के अंतरित आहरित वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन होगा। 65 लाख से जुड़े संगठित क्षेत्र में ई.पी.एस 95 पेंशन बड़ा मुद्रा बनता जा रहा है लाभार्थी कोविड 19 दिनों में भी जिन्होनें आजीवन काम किया है उन्हें केवल 1000 रूपये की न्यूनतम पेंशन की मामूली राशि यह निर्धारित पेंशन से कम है। इसलिये ई.पी.एस पेंशन को बढ़ाकर 5000 किया जाना चाहियें। ज्ञापन सौंपने वालों में भारतीय मजदूर संघ के सभी आनुसांगिक संगठनों के पदाधिकारी की उपस्थिति रही एवं कोविड के नियमों का पालन किया गया।

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