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कलेक्ट्रेट में रिश्वत खोरी का दंश.. सागर लोकायुक्त ने पन्ना के आपूर्ति अधिकारी तथा रीवा लोकायुक्त ने अनूपपुर के खाद्य अधिकारी को रिश्वत लेते पकड़ा.. इधर सात साल पहले आवास कुटीरो में रिश्वत लेने वाले बैंक मैनेजर को छतरपुर कोर्ट ने सुनाई 5 साल की सजा..

पन्ना में आपूर्ति अधिकारी व बाबू रिश्वत लेते पकड़े..

 मध्यप्रदेश में अब कलेक्ट्रेट कार्यालय भी रिश्वतखोरी के दंश से अछूते नहीं बचे हैं। शुक्रवार को पन्ना तथा अनूपपुर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच कर कार्यवाही करते हुए लोकायुक्त टीम ने दो रिश्वतखोर अधिकारियों पर शिकंजा कसने में सफलता हासिल की है। इधर रिश्वत खोरी के एक सात साल पुराने मामले में छतरपुर विशेष अदालत ने आरोपी बैंक मैनेजर को 5 साल की सजा व जुर्माने से दंडित किया है।

पन्ना। सागर लोकायुक्त की टीम ने पन्ना कलेक्टर कार्यालय में जिला आपूर्ति अधिकारी को सवा लाख रुपये और उनके बाबू को 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ने के बाद भ्रष्टाचार अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कार्यवाही की है।दरअसल एक पेट्रोल पंप की NOC जारी करने के लिए रिश्वत की यह रकम ली जा रही थी में रिश्वत ली जा रही थी। 

पन्ना के हरदुआ खमरिया निवासी ध्रुब लोधी ने पिछले दिनों लोकायुक्त एसपी सागर रामेश्वर यादव को लिखित शिकायत दी थी कि उसके पेट्रोल पंप हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के बदले में जिला आपूर्ति अधिकारी के द्वारा 5 लाख रुपए रिश्वत की मांग की जा रही है। रिश्वत नहीं देने पर पिछले 3 महीने से उसे एनओसी जाने के लिए चक्कर लगवाए जा रहे हैं। जिसके बाद कार्रवाई करते हुए आज लोकायुक्त डीएसपी राजेश खेड़े के नेतृत्व में टीम ने कार्यवाही करते हुए जिला पूर्ति अधिकारी राजकुमार श्रीवास्तव को सवा लाख रुपए और सहायक ग्रेड 3 महेश गंगेले को ₹15000 की रिश्वत लेते हुए कलेक्ट्रेट कार्यालय पन्ना में रंगे हाथों पकड़ने में देर नहीं की।

अनूपपुर के खाद्य अधिकारी भी रिश्वत लेते पकड़े गए
अनूपपुर। मप्र के ग्रामीण क्षेत्र अनूपपुर में रीवा लोकायुक्त की टीम ने कार्यवाही करते हुए खाद्य अधिकारी अम्बोज श्रीवास्तव को ₹18000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है इनके खिलाफ भी अत्याचार अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है। 

पन्ना की तरह अनूपपुर में भी लोकायुक्त की कार्रवाई कलेक्ट्रेट कार्यालय में जाने की जानकारी सामने आई है दरअसल खाद्य अधिकारी का कार्यालय कलेक्ट्रेट में ही संचालित है जहां उनके द्वारा खुलेआम रिश्वतखोरी का खेला जा रहा था। लेकिन ऐन मौके पर लोकायुक्त की टीम ने पहुंचकर मौके पर चौका लगाते हुए रिश्वतखोर अधिकारी को दबोचने में देर नहीं की। अनूपपुर सर्किट हाउस में लोकायुक्त द्वारा कार्रवाई के साथ खाद विभाग से जुड़ी विभिन्न फाइलों की जांच की जा रही है वहीं मामले में विस्तृत विवरण की प्रतीक्षा है।

छतरपुर में कैशियर को सुनाई 5 साल की सजा..

छतरपुर। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सुधांशु सिन्हा की कोर्ट ने सात साल पुराने भ्रष्टाचार मामले में आरोपी एचएल जड़िया बैंक कैशियर मध्यभारत ग्रामीण बैंक शाखा किशनगढ को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1)(डी) में 5 साल की कठोर कारावास एवं दस हजार रूपये एवं धारा-7 के तहत 4 वर्ष का कारावास एवं पंद्रह हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। 
विशेष न्यायाधीश सुधांसु सिन्हा ने अपने निर्णय में कहा कि भ्रष्टाचार लोकतंत्र और विधि के शासन को हिला रहा है ऐसी स्थिति में आरोपी को दण्डित किये जाने में नम्र रूख अपनाया जाना विधि की मंशा के विपरीत होगा। भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रूख अपनाया जाना समय की मांग है। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक एडीपीओ केके गौतम ने पैरवी की गई।
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी शिवाकांत त्रिपाठी ने बताया कि 8 जुलाई 2014 को फरियादी महेन्द्र सिंह गौड़ निवासी ग्राम सुकवां तहसील बिजावर जिला छतरपुर ने लोकायुक्त एसपी कार्यालय सागर में  शिकायत की थी कि उसके भाई वीरेन्द्र प्रताप सिंह गौड़ के नाम से मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्तत जनपद से कुटीर मंजूर की गई है। जो कि पहली किश्त 50 हजार रूपये बैंक से मिलना है मध्य भारत ग्रामीण बैंक शाखा किशनगढ़ का कैशियर हीरा लाल जड़िया पहली किश्त देने के लिये एक हजार रूपये रिश्वत की मांग कर रहा है। हमारे ग्राम में 15 कुटीर पास हुई थी 2 ग्राम किशनगढ़ में पास हुई थी जो महेन्द्र सिंह के द्वारा कराई गई थी कुल 17 कुटीर पास हुई थी जिसमें 13 कुटीर के हम लोग 13 हजार दे चुके है शेष 4 कुटीर के 4 हजार देना रह गये है अब में आरोपी को रंगे हाथ पकड़वाना चाहता हू।
फरियादी की उक्त शिकायत पर से लोकायुक्त सागर द्वारा टीम बनाकर आरोपी को रिश्वत लेते हुये रंगे हाथो पकडा गया था। तथा आरोपी के विरुद्ध विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। विशेष लोक अभियोजक लोकायुक्त द्वारा अभियोजन के द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष 14 अभियोजन साक्षियों को प्रस्तुत किया गया जिनके  आधार पर  विचारण उपरान्त माननीय न्यायालय द्वारा उक्त सजा सुनाई गयी है।

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