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छतरपुर जिले में एक दुःखयारी मां आखिर क्यों ऐसा आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर हुई.. क्या पारिवारिक कलह के चलते कोई फूल जैसी मासूम बेटियों को कुंए में फेंककर फांसी के फंदे को गले लगा सकता है..? दुखद घटनाक्रम में मासूम के साथ माँ की मौत..

आखिर ऐसा अनर्थ करने क्यों मजबूर हुई यह माँ

छतरपुर। तुम तो माँ थी फिर ऐसा अनर्थ करने को क्यो मजबूर हो गई ? शायद पानी सिर के ऊपर पहुंच गया होगा तभी तो तुमने अपनी फूल जैसी बेटियों को कुए की अथाह जल राशि में फेंक कर खुद भी फांसी के फंदे को गले से लगा लिया। बुंदेलखंड में शासन की योजनाओं का लाभ आम जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाने की वजह से गरीबी बेरोजगारी, तंगहाली भरे हालात गांव-गांव में देखे जा सकते हैं। नशे और तनाव के चलते आत्मघाती कदम उठाए जा रहे हैं परिवार टूट रहे हैं बिखर रहे है। 


 रविवार को सटई के परवा गांव में एक मां ने अपनी नन्ही बेटियो को कुएं में फेंककर खुद फांसी लगा ली। मौके पर 10 माह की बच्ची और मां ने दम तोड़ दिया वही तीन साल की बच्ची "जाको राखे साइयां मार सके ना कोई" की तर्ज पर कुएं के पाट को पकड़कर बच गई। पारिवारिक कलह की वजह से एक मां द्वारा अपनी मासूम बेटियों के साथ यह आत्मघाती कदम उठाए जाने की बात कही जा रही है। कुछ लोगो का कहना है कि मोबाइल पर बात करने पर से सास बहू के बीच विवाद हुआ था। जिसके बाद गुस्साई बहू ने यह आत्मघाती कदम उठाया। इस तरह से टूटते बिखरते परिवार और ये घटनाएं समाज के लिए अभिशाप बन रही है। जिनको रोकने के लिए हम सभी को आगे आना होगा जागरूक करना होगा। ओम शांति शांति शांति

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