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सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी.. ! क्या अमीर गरीब और नेताओं के लिए अलग अलग है कानून.. ? देवेंद्र चौरसिया हत्या मामले में विधायक रामबाई के पति का नाम हटाने पर पूर्व एसपी की होगी जांच.. गोविंद की सभी मामलो में पूर्व की जमानतें निरस्त, रहना होगा जेल में..

गोविंद सिंह को नहीं मिलेगा जमानत का लाभ..

दिल्ली। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दमोह जिले के हटा में मार्च 2019 में हुए कांग्रेस नेता ठेकेदार देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले में विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह को पूर्व में दी गई जमानत मामले में सुनवाई करते हुए तल्ख टिप्पणियां की हैं। गोविंद सिंह को दी गई जमानत को ना केवल गलत बताया है बल्कि चौरसिया हत्याकांड में गोविंद का नाम हटाए जाने और सुरक्षा मुहैया कराए जाने को लेकर कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। हाई कोर्ट जबलपुर को भी मामले महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए हैं।


 मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वरुण सिंह ठाकुर ने बताया कि जहां पूर्व एसपी हेमंत चौहान की भूमिका पर सवाल उठाते हुए जांच कराने को कहा है। वही देश मे खासकर मध्यप्रदेश में अमीरों के लिए अलग और गरीबों के लिए अलग और नेताओं के लिए अलग कानून व्यवस्था होने की बात करके राजनीतिक प्रभाव वाले लोगों को दिए जाने वाले पुलिस संरक्षण पर सवाल उठाए हैं। यह पूरी सुनवाई विधायक पति गोविंद सिंह को पूर्व में दी गई जमानत को लेकर की गई थी। जिसको लेकर आए निर्णय से साफ हो गया है कि गोविंद एंड कंपनी फिलहाल जेल में ही रहेगी। जबकि देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले की सुनवाई और फैसला आगामी दिनों में दमोह जिले ही होगा।

*सुप्रीम कोर्ट ने दिया "माईल स्टोन" जजमेंट..

राजेन्द्र पाठक हत्या कांड, पाठक परिवार तिहरे हत्याकांड, सतपारा लूट कांड आदि मामलों में गोविंद सिंह को तिहरा आजीवन कारावास था। वही बाद में इन मामलों में जमानत मिल गई थी जो कि अब  निरस्त कर दी गई है। इधर न्यायालय धमकी मामले में तत्कालीन एस पी हेमन्त चौहान के विरुद्ध जज सोनकर साहब की शिकायत हाइकोर्ट दो सप्ताह में करेगा जांच। राजनीतिक रसूखदार और सामान्य व्यक्तियो को सरकार नही अपना सकती दोहरा रवैया। सुप्रीम कोर्ट की यह तल्ख टिप्पणी भी सामने आई है।

अधिवक्ता मनीष नगाइच ने जानकारी देते हुए बताया की देवेन्द्र चौरसिया हत्याकांड के नामजद आरोपी गोविंद सिंह की पूर्व जमानतों को निरस्त किये जाने एक याचिका देवेन्द्र चौरसिया के पुत्र सोमेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। इसी बीच हटा न्यायालय ने गोविंद सिंह को मामले में आरोपी बना लिया गया गोविंद सिंह की गिरफ्तारी की कवायद के दौरान तत्कालीन एस पी हेमंत चौहान पर भी आरोपी पक्ष का बचाव करने एवम हटा न्यायालय को प्रभावित करने के आक्षेप लगे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इन सारे बिन्दुओ को उठाया गया। साथ ही आरोपी को  सरकार के संरक्षण की बात भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आई थी। मामले में राज्य सरकार व आरोपी पक्ष व याचिकाकर्ता की विस्तृत सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

 सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय देते हुए लिखा के आरोपी गोविंद सिंह की राजेन्द्र पाठक हत्याकांड व तिहरे पाठक हत्याकांड व सतपारा लूट कांड की सभी जमानतें जो उच्च न्यायालय जबलपुर ने स्वीकृत की थी उन्हें निरस्त किया जाता है सुप्रीम कोर्ट ने माना के वर्तमान आरोपी ने सरकार की आड में अपने प्रभाव का लाभ लेने का प्रयास किया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर तल्ख टिप्पणी करते हुए लिखा के सरकार आम आदमी और रसूखदार व्यकितयों के संबंध में कानून के दोहरे मापदंड नहीं अपना सकती इस मामले में सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्यों से विमुख रही है सुप्रीम ने आगे कहा के जिला अदालते न्यायालय स्तर की हमारी प्राथमिक संस्थाएं है और इनके पीठासीन को प्रभावित किया जाना किसी स्तर पर स्वीकार्य नहीं हो सकता तत्कालीन हटा जज को सुरक्षा मुहैया कराए जाने के साथ तत्कालीन एस पी के विषय मे आरोपों की जांच की बात भी सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कही है।

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