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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के समक्ष ऑक्सीजन सिलेंडर की गुहार लगाने वाले 2 लोगों के परिजनों की सांसे थमी.. इधर सांसद से बहस करने वाले लाल पट्टी धारी खुमानसिंह की मां का इलाज जारी.. सांसद प्रहलाद पटेल से क्षेत्र वासियों ने किया विनम्र निवेदन..

 सिलेंडर की गुहार लगाने वाले 2 लोगों के परिजनों की सांसे थमी

दमोह। कोरोना के संक्रमण काल में पॉजिटिव मरीजों के अलावा नेगेटिव रिपोर्ट वाले मरीजों की भी ऑक्सीजन की कमी के चलते सांसे थम रही हैं गुरुवार को केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक के चेयरमैन राहुल सिंह के जिला अस्पताल प्रवास के दौरान करीब दर्जन भर मरीजों के परिजनों ने ऑक्सीजन सिलेंडर और इंजेक्शन की कमी को लेकर उनके हाथ पैर जोड़े थे वही मंत्री जी ने सिस्टम का हवाला देते हुए व्यवस्था की बात कही थी..

पत्रकार दिनेश शुक्ला की पत्नी विनीता की सांसें थमी..

जिला अस्पताल में इलाज रत मरीजों में बांदकपुर निवासी पत्रकार दिनेश शुक्ला की धर्मपत्नी भी शामिल थी। उनको ऑक्सीजन की कमी को लेकर पिछले 2 दिनों से प्रशासनिक अधिकारियों से लगातार गुहार लगाई जा रही थी लेकिन बुधवार शाम उनको जो छोटा सिलेंडर उपलब्ध कराया गया था उसमें नाम मात्र की गैस थी जिस वजह से वह बड़े सिलेंडर की तलाश में अस्पताल और अस्पताल के बाहर इंतजाम के लिए भटक रहे थे इस बीच गुरुवार दोपहर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल जब जिला अस्पताल पहुंचे तो दिनेश ने अपनी पत्नी विनीता के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्धता की बात गिड़गिड़ाते हुए हाथ जोड़कर सांसद जी के समक्ष रखी थी। 

लेकिन सिविल सर्जन ममता तिमोरी ने यह कहते हुए पत्रकार दिनेश शुक्ला की बात को क्रॉस कर दिया था कि कल शाम को छोटा सिलेंडर दिया गया था। जिसके बाद सांसद महोदय ने भी पत्रकार की एक नहीं सुनी थी उल्टे उससे मुंह बंद रखने को कह दिया था। शुक्रवार सुबह दिनेश की धर्मपत्नी विनीता की आईसीयू में ऑक्सीजन के अभाव में सांसे थम गई दिनेश का कहना था कि 2 घंटे तक वह बिना ऑक्सीजन की रही और फिर चल बसी उन्होंने पूरे सिस्टम पर सवाल उठाते हुए जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं।

वैक्सीन डोज ले चुकी सत्यम नेमा की मां की भी सांसे थमी

जिला अस्पताल में केंद्रीय मंत्री के भ्रमण के दौरान उनके समक्ष ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए गुहार लगाने और इस दौरान झिड़के के जाने के शिकार लोगों में बांदकपुर निवासी सत्यम नेमा भी शामिल था। उनकी मां अनीता नेमा को कोविड वैक्सीन का 1 डोज भी लग चुका था। इसके बाद भी उनकी तबीयत खराब हो रही थी जिससे कुछ दिन पूर्व उन्होंने जिला अस्पताल में को भी टेस्ट कराया था जहां रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद सांस लेने में तकलीफ होने से उन्हें भर्ती किया गया था उनको पिछले 3 दिनों से लगातार ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही थी लेकिन आवश्यक सिलेंडर नहीं मिलने की वजह से उनके बेटे ने केंद्रीय मंत्री के समक्ष गुहार लगाई थी लेकिन इसके बाद भी अस्पताल के मारामारी भरे हालात में उसकी आवाज दब कर रह गई और देर रात अनीता ने मां की सांसे थम गई जिसके बाद आज उनका अंतिम संस्कार किया गया।

सांसद से बहस करने वाले युवक की मां का इलाज जारी..


केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के जिला अस्पताल से जाने के बाद सबसे पहले सोशल मीडिया पर लाल पट्टी धारी खुमान सिंह का वह वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह अपनी मां के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल उठाता नजर आ रहा था जबकि उसकी भाषा शैली को लेकर श्री पटेल दो हाथ लगाने की बात कर रहे थे और इसको लेकर खुमान के द्वारा भी जवाब दिए जा रहे थे। इसी खुमान सिंह की माता के निधन की खबर जल्दबाजी मीडिया ने वायरल शेयर करने में देर नहीं की जबकि शुक्रवार शाम तक खुमान की माताजी जिला अस्पताल में इलाज थी।

सांसद प्रहलाद पटेल से क्षेत्र वासियों की ओर से विनम्र निवेदन

महाकौशल के सिवनी बालाघाट के बाद दमोह से सांसद और दूसरी बार केंद्रीय मंत्री बने प्रहलाद पटेल नर्मदा भक्ति और दबंगई जगजाहिर है। महाकौशल के लोग इससे भले ही अच्छी तरह से वाफिक हो लेकिन दमोह के साथ बुंदेलखंड वासी इसे ठीक से समझ नहीं पाए हैं। शायद यही वजह है कि वह बुंदेलखंड के वरिष्ठ नेता सुश्री उमा भारती, गोपाल भार्गव,  जयंत मलैया, रामकृष्ण कुसमरिया, कुसुम मेहदेले, वीरेंद्र खटीक, वीडी शर्मा, भूपेंद्र सिंह, राजबहादुर सिंह,  शैलेंद्र जैन आदि के अलावा  पुराने सासंद विधायक नेताओं में शिवराज सिंह लोधी, चंद्रभान सिंह, मुकेश नायक, दशरथ सिंह, लखन पटेल, उमा देवी खटीक, विजय सिंह राजपूत, स्वर्गीय आनंद भैया, पीएन टंडन, सीएन टंडन, डालचंद जैन, रत्नेश सालोमन, ओमप्रकाश राय बुग्गे भैया, मणीशंकर सुमन,   भैयालाल चोधरी आदि  के साथ जिस तरह मुंह लगकर यहां तक की हाथ पकड़ कर अपना दुख दर्द बयान करते हैं वैसा ही कुछ यहां के लोग अब सांसद प्रहलाद पटेल को भी मानने लगे हैं। और अपना दुख दर्द बयान करने की कोशिश करने लगते है। 

 लेकिन अफसोस अनेक अवसरों पर श्री पटेल अपने पुराने अंदाज में आ जाते हैं। जबकि उन्हें दुख दर्द सुनाने वाले अधिकांश लोग अपनेपन की वजह से ही उन तक पहुंचते हैं। ऐसे में जरूरी है कि श्री पटेल इतना तो संयम रखें कि कल की तरह की बातचीत की दोबारा हालात सामने ना आए और बात का बवंडर बनने की बुंदेली कहावत भी ना बने। अटल राजेंद्र जैन

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