सिंगौरगढ़ क्षेत्र को नेशनल ट्राईबल टूरिज्म हब के रुप में करें विकसित... राष्ट्रपति श्री कोविन्द
दमोह जिले के लिये आज का दिन एैतिहासिक रहा। गौरवशाली विरासत को सहेजें। सिंगौरगढ़ के किले के संरक्षण कार्य के शिलानयास और राज्यस्तरीय जनजातीय सम्मेलन में शामिल होने के लिये देश के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द सिंग्रामपुर पहुंचे। यहां उन्होने पर्यटन की संभावनाओं के विस्तार के उद्देश्य से सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य का शिलान्यास किया। साथ ही राज्यस्तरीय जनजातीय सम्मेलन में शामिल हुये।
जनजातीय सम्मेलन को संबोधित करते हुये राष्ट्रपति श्री कोविन्द ने कहा कि जनजातीय भाई-बहनों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जनजातीय समुदाय ने समाज को हमेंशा एकता मूलक बनाने की दिशा में जोर दिया है। इनमें महिलाओं और पुरुषों के बीच भेद भाव नहीं होता है। इसलिये जनजातीय आबादी में स्त्री और पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है। जनजातीय समुदाय में व्यक्ति के स्थान पर समूह को प्राथमिकता दी जाती है। प्रतिस्पर्धा की जगह सहयोग को प्रोत्साहित किया जाता है। उनकी जीवन शैली में प्रकृति को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है। आदिवासी जीवन में सहजता होती है तथा परिश्रम का सम्मान होता है। यदि आपको मानवता की जड़ों से जुड़ना है, तो जनजातीय समुदाय के जीवन मूल्यों को अपनी जीवन शैली में लाने का प्रयास करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समुदायों में परम्परागत ज्ञान का अक्षय भण्डार संचित है। उन्होने मध्यप्रदेश में एक विशेष पिछड़ी जनजातीय समूह बैगा समुदाय का उल्लेख करते हुये कहा कि इस समुदाय के लोग परम्परागत चिकित्सा के विषय में बहुत जानकारी रखते हैं। प्रायः वे असाध्य रोगों का अचूक इलाज भी करते हैं। परम्परागत आयुर्वेदिक औषधियों के प्रसंस्करण एवं निर्माण की योजनाओं में जनजातीय समुदाय की भागीदारी बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। मेड इन इंडिया के साथ-साथ हैण्ड मेड इन इंडिया को भी प्रोत्साहित करने की बात राष्ट्रपति ने कही। उन्होने कहा कि हस्तशिल्प के क्षेत्र में हमारे आदिवासी भाई-बहन अद्भुत कौशल के धनी हैं। एैसा प्रयास किया जाना चाहिये जिससे उनके हस्त शिल्प के उत्पादों को अच्छी कीमत और व्यापक स्तर पर बाजार मिल सके।
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने जनजातीय सम्मेलन में जनजातियों के ज्ञान को आधुनिक माध्यम से प्रसारित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होने कहा कि शिक्षण संस्थान जनजातीय ज्ञान एवं शिल्प परम्परा का व्यापक स्तर पर उपयोगी अध्ययन कर सकते हैं। एैसे अध्ययनों का लाभ पूरे देश को मिलेगा। शिक्षा ही किसी भी व्यक्ति या समुदाय के विकास का सबसे प्रभावी माध्यम होता है। इसलिये जनजातीय समुदाय के शैक्षिक विकास के लिये प्रयास करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। जनजातीय सम्मेलन को संबोधित करते हुये राष्ट्रपति ने मध्यप्रदेश में किये जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होने कहा कि यह प्रशंसा की बात है कि मध्यप्रदेश में एकलव्य जन जातीय आवासीय विद्यालयों के निर्माण एवं संचालन पर विशेष बल दिया जा रहा है। साक्षरता और शिक्षा के प्रसार के लिये मध्यप्रदेश में कन्या शिक्षा परिसरों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। रानी दुर्गावती एवं शंकरशाह के नाम से स्थापित किये गये पुरुस्कारों की सराहना भी राष्ट्रपति ने की।
शासन की योजनाओं की जानकारी भी राष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन में दी। उन्होने कहा कि आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना अनुसूचित जनजाति विकास के लिये विशेष योजना है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा योजना के तहत रियायती दर पर वित्तीय सहायता दी जाती है। हमारी जनजातीय बहनों और बेटियों को एैसी योजनाओं से मदद लेकर आगे बढ़ना चाहिये। हम सबको मिलकर यह प्रयास करना है कि हमारे जनजातीय भाईयों, बहनों को आधुनिक विकास में भागीदारी करने का लाभ मिले और साथ ही उनकी जनजातीय पहचान और अस्मिता भी अपने सहज रुप में बनी रहे।
राष्ट्रपति श्री कोविन्द ने अर्न्तराष्ट्रीय महिला दिवस की अग्रिम शुभकामनायें सभी महिलाओं को दीं। उन्होने कहा कि हम जानते हैं पूरे विश्व में 8 मार्च को अर्न्तराष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में मनाया जाता है। यह दिन पूरे विश्व में महिलाओं के महिला सशक्तिकरण के लिये संकल्पबद्ध होने का दिन है। आज से वर्षों पहले रानी दुर्गावती में युद्ध क्षेत्र में महिला शक्ति का एक दुर्लभ उदाहरण पेश किया था। आज उस महान वीरांगना की स्मृति को नमन करते हुये सभी देशवासियों को विशेषकर सभी बहनों और बेटियों को अग्रिम महिला दिवस की बधाई देता हूं।
अपने संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी को भी राष्ट्रपति ने स्मरण किया। उन्होने कहा कि सबसे पहले श्री अटल बिहारी बाजपेयी ने ही भारत सरकार में जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन किया था। उनका मानना था कि एक एैसा मंत्रालय पृथक से होना चाहिये, जो कि जनजातीय वर्ग के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिये कार्य करे। वर्तमान परिदृश्य में केन्द्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों द्वारा भी इस विभाग का संचालन किया जा रहा है। ताकि जनजातीय वर्ग के लोगों का अधिक से अधिक विकास हो सके।
सिंगौरगढ़ परिक्षेत्र नेशनल ट्राईबल टूरिज्म हब के रुप में विकसित किया जा सकता हैै। यह बात भी सिंग्रामपुर में आयोजित राज्यस्तरीय जनजातीय सम्मेलन व सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य के शिलान्यास कार्यक्रम में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने कही। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान और केन्द्रीय राज्य मंत्री संस्कृति एवं पर्यटन श्री प्रहलाद पटेल को इस दिशा में प्रयास करें। राष्ट्रपति श्री कोविन्द ने कहा कि सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण के लिये किये जा रहे कार्यों से भविष्य में यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि महत्वपूर्ण होगा। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। उन्होने चंबल, मालवा, बुन्देलखण्ड, महाकौशल, बघेलखण्ड की विरासतों को सहेजने की दिशा में भी बेहतर कार्य करने की बात कही। उन्होने कहा कि निश्चित तौर पर भारतीय पुरातत्व के जिन 6 मण्डलों का नवनिर्माण किया गया है, यह इस दिशा में सार्थक कार्य करेंगी।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने किया संबोधित..
राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि जीवन जीने की कला हमारे जनजातीय भाइयों के पास है। समूह में जीना, कदम से कदम मिलाकर चलना, कठिनाइयों में भी जिंदगी में जुनून भरना उनके जीवन का मूल मंत्र है। वे कला और संस्कृति की समृद्ध विरासत को संजोए हुए हैं। राज्यपाल ने कहा कि वास्तव में जनजातीय समुदाय के पास शहरी लोगों को सिखाने के लिए बहुत कुछ है। जब हम जनजातीय समुदाय के साथ काम करते हैं, तो हमें हमेशा खुले दिमाग से काम करना चाहिए। हमें हमेशा विनम्रता बनाए रखनी चाहिए। तभी हम उन महत्त्वपूर्ण पाठों को सीख सकते हैं जो जन जातीय समुदाय शहरी लोगों को सिखा सकता है। इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती पटेल ने जोर देते हुये कहा कि ऐसे अनेक लोग हैं जिन्हें जंगल में पड़ी हुई जड़ी बूटियों के अंदर औषधीय ताकत की पहचान है। उनके ज्ञान को सहेजना और जिस मेडिकल साइंस को दुनिया समझती है उसमें प्रस्तुत करना और उसका विश्व बाजार में कैसे उपयोग हो सकता, इस दिशा में चिंतन किया जाना चाहिए।
CM ने कहां बलिदान दिवस पर 3 दिवसीय कार्यक्रम होगा
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा कि रानी दुर्गावती की गौरव गाथा कोई नहीं भूल सकता। उनके पराक्रम ने उनके विरोधियों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। आज का दिन हमारे लिये महत्वपूर्ण है क्यों कि हमारे देश के राष्ट्रपति द्वारा सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य के लिये होने वाले कार्यों का शिलान्यास किया है। मुख्य मंत्री श्री चैहान ने रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष तीन दिवसीय कार्यक्रम के आयोजन की घोषणा की। उन्होने कहा कि तीन दिवसीय कार्यक्रम देशभक्ति से ओतप्रोत होंगे। स्थानीय विधायक की मांग पर जबेरा विकासखण्ड की चैरई पंचायत में बड़ादेव मंदिर निर्माण के लिये हर संभव सहयोग करने और ग्राम कलहरा में खेरमाई मंदिर का निर्माण कराये जाने की घोषणा भी मुख्यमंत्री ने की।
ऐतिहासिक विरासत को प्रदर्शित करती फिल्म का प्रदर्शन
कार्यक्रम में सिंग्रामपुर की ऐतिहासिक विरासत को प्रदर्शित करती वीडियो फिल्म का प्रदर्शन हुआ। इसके साथ ही रानी दुर्गावती की वीरगाथा पर एकलव्य विद्यालयों के विद्यार्थी सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति भी कार्यक्रम में दी गई। साथ ही शास्त्रीय संगीत के ख्यातिलब्ध कलाकार सौंड़क ने भी अपनी प्रस्तुति दी। फिल्म एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सराहना भी अपने उद्बोधन में राष्ट्रपति ने की। जनजातीय कलाकारों द्वारा कला प्रशिक्षण वर्चुअल क्लास के पोर्टल ‘‘आदिरंग डॉट कॉम’’ का शुभारंभ भी राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने राज्यस्तरीय जनजातीय सम्मेलन में किया। पोर्टल का निर्माण वन्या प्रकाशन द्वारा किया गया है। जिसकी सराहना भी अपने उद्बोधन में राष्ट्रपति श्री कोविन्द ने की।
जनजातीय वर्ग के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को पुरस्कार..
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने सिंग्रामपुर में आयोजित राज्यस्तरीय जनजातीय सम्मेलन में जनजातीय वर्ग के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को शंकरशाह और रानी दुर्गावती पुरस्कार से पुरस्कृत किया। इस अवसर पर कुमारी सारिका ठाकुर और कुमार मुस्कान रावत को रानीदुर्गावती पुरुस्कार तथा पंकज धुर्वे और रविन्द्र एड़पचे को शंकरशाह पुरुस्कार से राष्ट्रपति ने सम्मानित किया। साथ ही उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
पर्यटन को बढ़ावा देने होंगे विभिन्न कार्यों का शिलान्यास
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य का शिलान्यास किया। इसके साथ ही उन्होने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नये गठित किये जबलपुर मण्डल को भी लोकार्पित किया। इस अवसर पर उन्होने जिले में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने की दृष्टि से 23.16 करोड़ रुपए की राशि के लिए स्वीकृत कार्यों का भी शिलान्यास किया। इसमें बेलाताल झील में पर्यटन अवसंरचना विकास कार्य होगा। पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए इस परियोजना में पेयजल सुविधाएं, रेन शेल्टर, पार्किंग क्षेत्र, जिम क्षेत्र, योग-स्थल, समारोह के लिए खुला उद्यान, ओपन एयर थिएटर, सीसीटीवी प्रणाली, सोलर पैनल प्रणाली, सूदनियर शॉप, सार्वजनिक सुविधाएं, फूड कोर्ट, कलात्मक पैदल-पय, पानी के फव्वारे, बच्चों के खेलने का क्षेत्र, मार्ग, रसोई सहित बहू-प्रयोजन हाल आदि शामिल हैं।
राज्यस्तरीय जनजातीय सम्मेलन को केन्द्रीय राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार संस्कृति एवं पर्यटन श्री प्रहलाद पटेल ने भी संबोधित किया। आज ऐतिहासिक दिन हैं। राष्ट्रपति जी ने आकर विकास की अलख जगाई हैं। राष्ट्रपति ने कहा था कि वे किसी जनजातीय कार्यक्रम मे आना चाहते हैं। इस आशय की बात केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री श्री प्रहलाद पटैल ने राज्य स्तरीय जनजातीय सम्मेलन व सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान कही। केन्द्रीय मंत्री ने कहा हम सब मिलकर शहीद रानी दुगार्वती की स्मृति में जून में कार्यक्रम का आयोजन करते है। लेकिन महामहिम ने पहले आकर हमसबको आशीर्वाद दे रहे है। इसके लिए हम सब उनके आभारी हैं।श्री प्रहलाद पटैल ने कहा यहा कला संस्कृति का कार्यक्रम होता हैं। जनजातीय क्षेत्रो की जो प्रतिभा है उसकी कोई मिशाल नही हैं। बुंदेलखण्ड अपना समय के साथ नाम बदलता रहा, कभी बुंदेलखण्ड, गोडवाना, महाकौशल, त्रिपुरी राजाओं की भी कर्मभूमि यही बुंदेलखण्ड रहा हैं। श्री पटैल ने कवि ईश्वरी की पंक्ति के बारे में विस्तार से बात रखी। केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री ने कहा कि महामाहिम के आने से हम सब अपना गौरव और मान प्राप्त करेंगे। उन्होंने महामाहिम राष्ट्रपति का स्वागत अभिनंदन एवं माता रानी दुर्गावती के चरणों मे नमन तथा उपस्थित अथितियों का अभिनंदन करते हुये अपनी वाणी को विराम दिया।
वीरांगना रानी दुर्गावती को श्रृद्धा सुमन अर्पित किए
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने सिग्रामपुर मे पार्क मे स्थापित वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपने श्रृद्धा सुमन अर्पित किए। पार्क मे पारिजात के पौधे का रोपण भी किया।
राष्ट्रपति जी का जलहरी हैलीपेड पर आत्मीय स्वागत
दमोह। जिले की पावन धरा पर प्रथम बार पधारे देश के राष्ट्रपति महामहिम श्री राम नाथ कोविन्द का आत्मीय स्वागत, वंदन अभिनंदन किया गया। राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द आज दमोह जिले के सिंग्रामपुर में विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए। राष्ट्रपति का ग्राम जलहरी स्थित हैलीपेड में आगमन हुआ।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटैल एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने राष्ट्रपति जी की अगवानी की। इस अवसर पर केन्द्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संस्कृति एवं पर्यटन श्री प्रहलाद पटैल एवं केन्द्रीय राज्यमंत्री इस्पात मंत्रालय श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, मंत्री जनजातीय कार्य विभाग सुश्री मीना सिंह मांडवे और नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने आत्मीय स्वागत किया।
बानगी की पहली प्रति मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को भेंट
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की गरिमामय उपस्थिति में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने सिंग्रामपुर में आयोजित जनजातीय सम्मेलन में जन जातीय कार्य विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तिका बानगी का विमोचन किया। मध्य-प्रदेश की जनजातीय विरासत, विकास और सफल गाथाओं पर केन्द्रित पुस्तिका का विमोचन करने के बाद मुख्यमंत्री ने इसकी पहली प्रति राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द को भेंट की।
जनजातीय परिदृश्य, विरासत, विकास, संस्कृति और सफलता की कहानियों पर केन्द्रित इस पुस्तिका में विभिन्न आयामों और उपलब्धियों की झलक को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया गया है। मध्यप्रदेश में जन जातीय विकास को रेखांकित करती इस पुस्तक बानगी की संकल्पना और सम्पादन विभाग की अधिकारी डॉ. स्वाति तिवारी ने किया है। चार खण्डों में विभाजित इस पुस्तक के प्रथम खण्ड मेँ जनजातीय संस्कृति और परम्पराओं की एक संक्षिप्त जानकारी के साथ मध्य प्रदेश में जनजातीय विकास, अवधारणा, आयाम एवं क्षेत्रीय विकास योजनाओं को दर्शाया गया है। कुल मिलाकर 124 पृष्ठों की इस पुस्तक में जनजातीय संस्कृति, विकास की चित्रमय बानगी को खूबसूरत अंदाज में प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है।
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