संवेदनशील मामलों में प्रशासन की अनदेखी चिंताजनक-
नारेबाजी के साथ प्रदर्शन का यह नजारा हटा तहसील मुख्यालय का है। जहां गुरुवार को विभिन्न समाजसेवी संगठनों महिला मोर्चा पदाधिकारियों ने एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के इलाज तथा आर्थिक मदद के मामले में प्रशासनिक अनदेखी को लेकर ज्ञापन सौंपा तथा जल्द कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी।हटा अनुविभाग के रनेह थाना क्षेत्र में 9 वर्षीय बालिका के साथ हुए अमानवीय कृत्य की अब हर इंसान निन्दा कर रहा है पीडिता की हालत एवं उसके परिवार की स्थिति को देखते हुए पूर्व विधायक उमादेवी खटीक, भाजपा महिला मोर्चा की ब्लाक अध्यक्ष अंजना चौबे, श्वेता श्रीवास्तव, वंदना खरे, पार्षद रजनी दुबे, रामकली तंतुवाय सहित हर वर्ग की महिलाओं ने पीडित परिवार से भेंट कर उसे हर संभव मदद करने की बात कही।
पीडित परिवार की महिलाओं ने बताया कि आरोपी परिवार के द्ववारा मुहल्ला में आतंक फैलाया जा रहा है, दिन ढलते ही सभी को घरों में छिपना पड् रहा है, परिजनों ने बताया कि जब पीडिता दमोह में भर्ती थी तो उनके पास खाना के लिए भी पैसे नहीं थे मजबूरन वापिस आना पडा था। महिलाओं ने प्रशासन का चेताते हुए कहा कि पीडिता के लिए यदि उचित सहायता, इलाज की व्यवस्था एवं परिजनों को सुरक्षा नहीं मिली तो महिलाएं नगर के अन्य संगठनों के माध्यम से आंदोलन किया जायेगा।
ज्ञापन देने वालों में पूर्व विधायक उमादेवी खटीक, भाजपा महिला मोर्चा की ब्लाक अध्यक्ष अंजना चौबे, श्वेता श्रीवास्तव, वंदना खरे, पार्षद रजनी दुबे, रामकली तंतुवाय महिला मोर्चा के अलावा किसान नेता चन्द्रभान पटेल, मनीष पलया, बबलू राय, राजा बाबू विश्वकर्मा, दीपक जैन, हेमन्त तंतुवाय, रीतेश अग्रवाल, अंशुल खटीक, राजेश पटैरिया सहित बडी संख्या में महिलाएं व छोटी छोटी बालिकाएं भी उपस्थित रही जो निरंतर आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग कर रही थी।
तालाब में डूबे मासूम के परिजनों की नहीं ली गई सुध-
पथरिया क्षेत्र के चिरौला तालाब में नहाने के लिए गए चार मासूम बच्चों की डूबने के बाद मौत हो जाने के दुखद घटनाक्रम के 2 दिन बाद भी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने पीड़ित परिजनों की आर्थिक मदद लेकर सुध लेना आवश्यक नहीं समझा। चारों बच्चे बंसल समाज के होने के साथ गरीब मजदूर परिवार से तालुकात रखते थे। हादसे के बाद ना तो जनप्रतिनिधि विधायक आदि पीड़ितों के घर तक पहुंची और ना ही कलेक्टर या अन्य जनप्रतिनिधि।
बुधवार को पूर्व विधायक लखन पटेल ने जरूर संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात करके उन्हें शासन से आर्थिक मदद उपलब्ध कराने आश्वस्त किया। इसके पूर्व हटा गैसाबाद क्षेत्र में एक आटो दुर्घटना में आधा दर्जन महिलाओं की मौत हो जाने के मामले में भी इसी तरह से संवेदन शून्य रवैया सामने आया था। सभी महिलाएं अनुसूचित जाति वर्ग और मजदूर परिवार की सदस्य थी।
दमोह। मप्र में सत्ता परिवर्तन के साथ कमजोर पीड़ित तबके की आर्थिक मदद वाली योजनाओं का लाभ दिलाने में प्रशासनिक अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों की अनदेखी बनाम लापरवाही लोगो को अखरने लगी है। आर्थिक मदद व पीड़ित परिजनों के प्रति संवेदनशीलता के मामले में लोगो को शिवराज सरकार की याद आने लगी है।
पीडित परिवार की महिलाओं ने बताया कि आरोपी परिवार के द्ववारा मुहल्ला में आतंक फैलाया जा रहा है, दिन ढलते ही सभी को घरों में छिपना पड् रहा है, परिजनों ने बताया कि जब पीडिता दमोह में भर्ती थी तो उनके पास खाना के लिए भी पैसे नहीं थे मजबूरन वापिस आना पडा था। महिलाओं ने प्रशासन का चेताते हुए कहा कि पीडिता के लिए यदि उचित सहायता, इलाज की व्यवस्था एवं परिजनों को सुरक्षा नहीं मिली तो महिलाएं नगर के अन्य संगठनों के माध्यम से आंदोलन किया जायेगा।
गुरूवार को दोपहर में समस्त महिलाए, नगर के समाजसेवी एवं रनेह से आये जनसमुह व पीडित परिवार ने एसडीएम की अनुपस्थिति में नायब तहसीलदार समेले को ज्ञापन देते हुए पीडिता को तत्काल सहायता राशि इलाज उपलब्ध कराये जाने बात कही। इस दौरान प्रशासन की ओर से कहा गया कि ज्ञापन उच्चाधिकारियों को भेजेगें वहीं से सहायता मिल सकती है। इस पर समस्त महिलाओं ने कार्यालय में ही देखते ही देखते करीब 6 हजार रूपये, दाल चांवल, फल एवं पीडित परिवार के लिए आवश्यक सामग्री एकत्रित की एवं यह सब लेकर पीडिता के घर रनेह में जाकर उन्हे सौंपी ।
ज्ञापन देने वालों में पूर्व विधायक उमादेवी खटीक, भाजपा महिला मोर्चा की ब्लाक अध्यक्ष अंजना चौबे, श्वेता श्रीवास्तव, वंदना खरे, पार्षद रजनी दुबे, रामकली तंतुवाय महिला मोर्चा के अलावा किसान नेता चन्द्रभान पटेल, मनीष पलया, बबलू राय, राजा बाबू विश्वकर्मा, दीपक जैन, हेमन्त तंतुवाय, रीतेश अग्रवाल, अंशुल खटीक, राजेश पटैरिया सहित बडी संख्या में महिलाएं व छोटी छोटी बालिकाएं भी उपस्थित रही जो निरंतर आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग कर रही थी।
तालाब में डूबे मासूम के परिजनों की नहीं ली गई सुध-
पथरिया क्षेत्र के चिरौला तालाब में नहाने के लिए गए चार मासूम बच्चों की डूबने के बाद मौत हो जाने के दुखद घटनाक्रम के 2 दिन बाद भी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने पीड़ित परिजनों की आर्थिक मदद लेकर सुध लेना आवश्यक नहीं समझा। चारों बच्चे बंसल समाज के होने के साथ गरीब मजदूर परिवार से तालुकात रखते थे। हादसे के बाद ना तो जनप्रतिनिधि विधायक आदि पीड़ितों के घर तक पहुंची और ना ही कलेक्टर या अन्य जनप्रतिनिधि।
बुधवार को पूर्व विधायक लखन पटेल ने जरूर संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात करके उन्हें शासन से आर्थिक मदद उपलब्ध कराने आश्वस्त किया। इसके पूर्व हटा गैसाबाद क्षेत्र में एक आटो दुर्घटना में आधा दर्जन महिलाओं की मौत हो जाने के मामले में भी इसी तरह से संवेदन शून्य रवैया सामने आया था। सभी महिलाएं अनुसूचित जाति वर्ग और मजदूर परिवार की सदस्य थी।
कुल मिलाकर इस तरह के गंभीर संवेदनशील मामलों में यदि प्रशासनिक अधिकारियों ने पूर्व की तरह संवेदना का परिचय देते हुए तत्काल पीड़ित परिजनों को आर्थिक सहायता राशि मुहैया नहीं कराई तथा शिवराज सरकार द्वारा शुरू की गई अंत्येष्टि सहायता मजदूर सहायता जैसी योजनाओं का लाभ नहीं दिलाया तो प्रशासन की इस तरह की अनदेखी आने वाले दिनों में कमलनाथ सरकार के प्रति खुलकर असंतोष भड़काने वाली साबित हो सकती है।
अटलराजेंद्र जैन की रिपोर्ट
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