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तीन पूर्व मंत्रियों के बीच कांग्रेस टिकट की घमासान.. कुसमरिया को टिकिट की चर्चा से पूर्व मंत्री मुकेश नायक दौड़ से हटे, राजा पटेरिया ने चुप्पी साधी, बाबाजी ने कहा टिकिट के लिए नही बनाया प्रेशर..

तीन पूर्व मंत्रियों के बीच कांग्रेस टिकट की घमासान-
दमोह।  कमल वालों का साथ छोड़ कर कमलनाथ के साथ आए भाजपा के पुराने नेता रामकृष्ण कुसमरिया  को कांग्रेस में मिल रहे महत्त्व से कांग्रेस के ही पुराने नेता अब खफा नजर आने लगे हैं। 2 दिन पूर्व मुख्य मंत्री कमलनाथ की सभा तथा कार्यक्रमों से नदारद रहे दो पूर्व मंत्रियों की अनुपस्थिति को भी इसी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है।
 पूर्व मंत्री मुकेश नायक के टिकिट की रेस से हट जाने, पूर्व मंत्री राजा पटेरिया के चुप्पी साधे रहने तथा पूर्व मंत्री  कुसमरिया द्वारा टिकिट के लिए किसी प्रकार का प्रेशर नहीं बनाए जाने की बात कहे जाने के बाद कांग्रेस टिकट का घमासान तीन पूर्व मंत्रियों की अंदरूनी जंग में बदलता नजर आ रहा है।


दमोह के तहसील ग्राउंड में 12 मार्च को आयोजित मुख्यमंत्री कमलनाथ की सभा में उम्मीद के मुताबिक भीड़ नही जुट पाने को कांग्रेस नेता गंभीरता से लेते नही दिख रहे। जबकि इसी ग्राउंड पर 2 सितंबर 2018 को भी कांग्रेस नेता कमलनाथ की जनसभा हुई थी। जिसमैं उमड़ी भारी भीड़ ने कमल वालों को सदमे में डाल दिया था। उस समय कमलनाथ की सभा में भीड़ जुटाने में विधानसभा चुनाव के दावेदारों की महती भूमिका रही थी। वहीं अब लोकसभा चुनाव के पहले ऐसी भीड़ नहीं जुट पाना खासकर उस हालात में जब कमलनाथ जी प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, इसे कांग्रेस के हिसाब से चिंता का विषय कहा जा सकता है। 

कमलनाथ जी की सभा में कांग्रेस के लोकसभा टिकिट के प्रबल दावेदार कहे जाने वाले पूर्व मंत्री मुकेश नायक और राजा पटेरिया की अनुपस्थिति के अलावा पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष मनु मिश्रा समर्थकों का नदारद रहना चर्चा का विषय रहा है। इन नेताओं के समर्थकों की अनुपस्थिति को आम सभा में भीड़ की कमी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की इस नाराजगी की वजह 50 साल की भाजपा बिचार धारा को छोड़ कर कांग्रेसी हो गए कुसमरिया बाबा को मुख्यमंत्री द्वारा अत्याधिक महत्व दिया जाना माना जा रहा है। 
दरअसल भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री कुसमरिया की कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री मुकेश नायक तथा राजा पटेरिया से पुरानी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता जग जाहिर है। दमोह जिले के हटा विधानसभा क्षेत्र से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले रामकृष्ण कुसमरिया और राजा पटेरिया शुरू से ही विपरीत विचारधारा वाले दलों में रहे है। इधर 1996 के लोकसभा चुनाव में दमोह पन्ना संसदीय क्षेत्र से बाबा जी ने कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश नायक को करारी मात दी थी। 
पवई से विधानसभा चुनाव हारने के बाद दमोह तथा खजुराहो लोक सभा सीट से श्री नायक का नाम कांग्रेस के प्रबल दावेदारों में शुमार था। इसी तरह पूर्व मंत्री राजा पटेरिया भी लोक सभा टिकिट के प्रबल दावेदार थे। लेकिन कुसमरिया बाबा की कांग्रेस में एंट्री होते ही शुरू हुए जातिवादी गणित ने कुसमरिया के मुकाबले पूर्व मंत्री नायक और पटेरिया की दावेदारी को नजर अंदाज किया जाने लगा। 
कांग्रेस से बाबा जी की लोकसभा टिकट लगभग पक्की हो जाने की चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री कमल नाथ का बाबा जी की नातिन की शादी में सम्मिलित होने के लिए दमोह आना और कांग्रेस के सभा मंच से बाबाजी को अधिक महत्व दिये जाने के बाद भाजपा से अधिक तनाव में कांग्रेस टिकट के दावेदार नजर आ रहे हैं। शायद यही बजह रही है कि पूर्व मंत्री मुकेश नायक ने लोकसभा टिकट दावेदारी को लेकर पहले बढ़ते जातिवाद को लेकर कटाक्ष करते हुए पत्र लिखा। 
इसके बाद भी जब कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने एक और पत्र जारी करके यह घोषणा करने में देर नहीं की कि वह अब चुनाव लड़ना नहीं चाहते। तथा इसकी वजह उन्होंने संभावित हार भी बता दिया।
 दमोह तथा हटा में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से दूरी बनाकर पूर्व मंत्री राजा पटेरिया भी बाबा जी को टिकट के मामले में बिना कहे अपनी प्रतिक्रिया देते नजर आ रहे है।
 लोकसभा टिकट को लेकर कांग्रेस की इस अंदरूनी घमासान की भनक लगते ही पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया भी अब यह कहने लगे है कि उन्होंने न तो लोकसभा की टिकट मांगी ही नहीं, ना ही टिकट के लिए कोई दबाव बनाया है। टिकट मिलती है तो ठीक नही तो वह कांग्रेस को जिताने के लिए काम करेंगे। कुल मिलाकर दमोह तथा खजुराहो संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस टिकट को लेकर तीन पूर्व मंत्रियों के बीच फसे इस पेंच ने भाजपा की राह पहले से आसान कर दी है। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट

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