सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थकों के बीच उठापटक-
दमोह विधानसभा से लेकर संसदीय क्षेत्र में भाजपा की गुटबाजी बनाम अहमियत की उठापटक कोई नई बात नहीं है। हर चुनाव के साथ चेहरे और मोहरे बदल जाते थे। लेकिन इस बार राजनीतिक शतरंज की बिसात बिछाने के पहले ही जिस तरह से "शह और मात" का खेल शुरू हो गया है उसे देख कर लगने लगा है कि विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव के पहले भी भाजपा में पर्दे के पीछे से पार्टी प्रत्याशी निपटाने की तैयारी शुरू हो गई है। और इस बार भी बड्डा के जिम्मे ही भस्मासुर का किरदार है।इस खबर के पहले आज सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थकों के बीच जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल को लेकर मीडिया प्रभारी मनीष तिवारी की एक पोस्ट पर जिस तरह से कमेंट का आदान-प्रदान हुआ उसकी चर्चा करना जरूरी है। यह कमेंट करने में सांसद प्रतिनिधि आलोक गोस्वामी से लेकर जिला महामंत्री रमन खत्री सहित अन्य नेता भी पीछे नहीं रहे। इन कटाक्ष को देख कर कहा जा सकता है कि भाजपा में अंदर ही नहीं अब सोशल मीडिया पर भी ठीक नहीं चल रहा है। वहीं इन सब की वजह बड्डा की अध्यक्ष पद को लेकर अति महत्वाकांक्षा रूपी भस्मासुर दृष्टि यदि कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
"भस्मासुर" जिसे भगवान शंकर से वरदान मिला था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। ऐसे ही कुछ हालात भारतीय जनता पार्टी में भी देखने को मिल रहे हैं। 4 साल पहले जब जिला पंचायत के चुनाव हुए थे और भाजपा समर्थक सदस्यों की संख्या आधे से भी कम थी तब शिवचरण पटेल को अध्यक्ष बनवाने के लिए अर्थ इंतजाम से लेकर दूसरे सदस्यों के सपोर्ट तत्कालीन वित्त मंत्री जयंत मलैया के द्वारा किया गया था। वहीं इनके विरोध में राहुल सिंह के मैदान में होने से लोधी समाज के अन्य सदस्यों को शिवचरण के पक्ष में लाने में सांसद प्रहलाद पटेल महती भूमिका का निर्वाहन किया था। इसके बाद भी जब बहुमत के लिए सदस्यों की जरूरी संख्या कम पढ़ी थी तो बसपा की रामबाई को उपाध्यक्ष पद देकर शिवचरण को जिला पंचायत के अध्यक्ष का ताज पहना दिया गया था।
शिवचरण को जिला पंचायत का अध्यक्ष बनवाने में तत्कालीन वित्त मंत्री जयंत मलैया, सांसद प्रहलाद पटेल, तत्कालीन विधायक उमादेवी खटीक एवं लखन पटेल तथा भाजपा के प्रदेश मंत्री रहे राघवेंद्र सिंह ऋषि लोधी एवं उनके समर्थकों का बराबरी से योगदान था। लेकिन अध्यक्ष बनते ही शिवचरण की महत्वकांक्षाए बढ़ती चली गई। हटा में पूर्व मंत्री गंगाराम पटेल के बेटे राधिका के साथ कालोनी के प्लाटिंग और मुस्लिम समाज के कब्रिस्तान मार्ग के रास्ता बंद करने को लेकर हुए विवाद की बात हो या फिर सरकारी स्कूल की बाउंड्री वाल की जगह पर कब्जे की या फिर मडियादो कि बारना नदी से रेत के अवैध खनन मामले में एनजीटी तक पहुची शिकायत हो। इसके अलावा इनकी कंपनी द्वारा किए जाने वाले सड़क तथा अन्य कार्य मैं गड़बड़ी की बात हो। या फिर सांसद के गों अभ्यारण "जरारु धाम" में इनके द्वारा कराए जाने वाले निर्माण कार्यों की बात हो। सभी मामलों में विवादों में घिरने के बाद सांसद प्रहलाद पटेल के "वरद हस्त" और तत्कालीन मंत्री जयंत मलैया की "कृपा दृष्टि" से ही इनका "बाल बांका" नहीं हुआ।
इधर विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही उनकी महत्व उछाल और उबाल मारने लगी सबसे पहले इन्होंने पथरिया विधायक लखन पटेल के खिलाफ दावत रेस्टोरेंट में पत्रकार वार्ता करके बिगुल फूंका। इसके बाद जब इनको लगा पार्टी पथरिया से प्रत्याशी नहीं बनाएगी तो इन्होंने अपने सजाती बंधु पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद और बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे रामकृष्ण कुसमरिया को पथरिया से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरने के लिए यह कहकर प्रेरित किया कि हम भी पथरिया से निर्दलीय नामांकन भर रहे हैं।
इतना ही नहीं बाबाजी के दमोह स्थित बंगले पर पत्रकार वार्ता बुलवाकर उनकी बगावत का एलान भी बड्डा ने करवा दिया। इसके बाद भी जब पार्टी ने लखन पटेल को प्रत्याशी घोषित किया तो इन्होंने पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के खिलाफ भी बाबाजी का नामांकन निर्दलीय भरवा दिया। बाद में सांसद प्रह्लाद पटेल के कहने पर खुद का तो नामांकन पथरिया से निकाल लिया लेकिन बाबाजी को मैदान में डटे रहने के लिए सामाजिक आधार पर दम देते रहे। इस दौरान बाबाजी को मनाने के लिए दो बार प्रभात झा हेलीकॉप्टर से दमोह पहुंचे और इन्होंने अपने सहयोगी गंगाराम के जरिए बाबाजी को दमोह से दूर भेज दिया।
इसी तरह हटा विधानसभा क्षेत्र से दो बार की विधायिका उमा देवी खटीक की टिकट कटवाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन किया वहीं जबेरा से भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार प्रदेश मंत्री राघवेंद्र सिंह ऋषि लोधी की टिकट कटवाने के लिए अपने जिला पंचायत चुनाव का हवाला देकर पार्टी संगठन को ऊपर तक पत्र भेजें तथा सांसद को भी इस मामले में राजी कर लिया की राघवेंद्र ने उनके कहने पर भी वोट नहीं दी थी। इस तरह दमोह जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों में उथल-पुथल भरे हालात निर्मित करने में जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल की महती भूमिका रही जो समय-समय पर मीडिया के जरिए सुर्खियां बनती रही।
विधानसभा चुनाव में दमोह पथरिया से भाजपा प्रत्याशियों की नजदीकी हार की बजह जहा शिवचरण की भस्मासुर दृष्टि रही वहीं हटा तथा जबेरा में जीत की वजह वहां के स्थानीय हालात रहे। चुनाव नतीजों के पहले ही बाबाजी और ऋषि लोधी को पार्टी से निष्कासित कराने तथा चुनाव परिणामों के बाद पूर्व मंत्री गंगाराम पटेल और पूर्व जिला अध्यक्ष विद्यासागर पांडे जैसे नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। लेकिन सांसद की कृपा दृष्टि से हर जगह बचते रहे।
दमोह जिले में भाजपा की ओर से कुर्मी समाज के एकमात्र बड़े नेता बचे शिवचरण की महत्वकांक्षी नजरें लोकसभा टिकिट पर भी लगी हुई थी। तथा उन्हें भरोसा था कि यदि सांसद प्रहलाद पटेल का चुनाव क्षेत्र बदला जाता है तो दमोह से उन्हें भाजपा का लोकसभा प्रत्याशी बनाया जाएगा। क्योंकि लोकसभा टिकट के अन्य दावेदार पूर्व सांसद कुसमरिया और पूर्व मंत्री गंगाराम पटेल को तो वह पहले ही बाहर का रास्ता दिखवा चुके हैं। लेकिन इस बीच जिला पंचायत सदस्य और इनके कारण पार्टी से बगावत कर के निष्कासित हो चुके पूर्व प्रदेश मंत्री राघवेंद्र सिंह ऋषि लोधी ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद हेतु अविश्वास का बिगुल फूंक कर बड्डा के मंसूबों पर पानी फेर दिया।
जिला पंचायत अध्यक्ष रहते 4 साल तक अपने अपनों का भला करते रहने वाले शिव चरण ने कभी किसी जिला पंचायत सदस्य के भले के लिए कुछ किया हो यह किसी भी सदस्य को याद नहीं है। वहीं मीडिया के छोटे-छोटे विज्ञापनों के बिलों का भुगतान भी करने से कतराते रहे। नौ सदस्यों द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में आ जाने के, इनकी समर्थक सदस्य को जिला पंचायत का उपाध्यक्ष बनवाकर विरोधी खेमे द्वारा अपने साथ कर लेने के बाद बसपा विधायक से हाथ मिलाने पहुंचे बड्डा को जब अगवा घोषित सदस्य का भी साथ नहीं मिला तो उनको 12 फरवरी को होने वाले अविश्वास प्रस्ताव के पहले ही अपनी कुर्सी खिसकती दिखने लगी है। जिसके बाद उन्होंने उसी मीडिया का सहारा लेकर अपनी कुर्सी जाने की वजह उन्हीं को ठहराना शुरू कर दिया है जिनकी वजह से वह जिला पंचायत अध्यक्ष पद तक पहुंचे थे।
दरअसल इस मामले में बड्डा को उम्मीद थी कि सांसद प्रहलाद पटेल और पूर्व मंत्री जयंत मलैया तथा पूर्व विधायक लखन पटेल और उमा देवी खटीक पूर्व की तरह उनका साथ देंगे तथा पहले की तरह सदस्यों को मैनेज करा देंगे। लेकिन बदले हुए हैं हालात में जब कोई इनके साथ खड़ा नजर नहीं आया जो इन्होंने पहले तो बसपा विधायक की मदद लेने की कोशिश की और इसके बाद पूर्व वित्त मंत्री और पूर्व विधायक के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उसी तरह मीडिया में पहुंच गए जिस तरह की पथरिया से टिकट मांगने के लिए इन्होंने मीडिया का सहारा लिया था।
दरअसल इस मामले में बड्डा को उम्मीद थी कि सांसद प्रहलाद पटेल और पूर्व मंत्री जयंत मलैया तथा पूर्व विधायक लखन पटेल और उमा देवी खटीक पूर्व की तरह उनका साथ देंगे तथा पहले की तरह सदस्यों को मैनेज करा देंगे। लेकिन बदले हुए हैं हालात में जब कोई इनके साथ खड़ा नजर नहीं आया जो इन्होंने पहले तो बसपा विधायक की मदद लेने की कोशिश की और इसके बाद पूर्व वित्त मंत्री और पूर्व विधायक के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उसी तरह मीडिया में पहुंच गए जिस तरह की पथरिया से टिकट मांगने के लिए इन्होंने मीडिया का सहारा लिया था।
लोकसभा चुनाव की नजदीकी के चलते और बदले हुए हालात में सभी जिला पंचायत सदस्य से सहयोग की उम्मीद के चलते सांसद प्रहलाद पटेल जहां इस पचड़े में अब पढ़ना नहीं चाहते वही पूर्व मंत्री जयंत मलैया और पूर्व विधायक लखन पटेल पर निशाना साध कर शिवचरण पटेल अपनी जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी छीनने के पहले ही उसके जाने की बजह बताने की कोशिश करते नजर आ रहे है। पूरे मामले को लेकर सांसद प्रहलाद पटेल से लेकर पूर्व मंत्री जयंत मलैया जहां चुप्पी साध कर गंभीरता का परिचय दे रहे हैं। वहीं विधान सभा चुनाव की तर्ज पर लोकसभा के पहले भी "हम तो डूबेंगे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे" जैसा माहौल भाजपा प्रत्याशी के लिए बनाने में बड्डा की "भस्मासुर दृष्टि" कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
ऐसे में भाजपा की ओर से लोकसभा कोई भी लड़े खामियाजा पार्टी को भोगना पड़ेगा यह हालात फिलहाल बनते नजर आ रहे है। सोशल मीडिया पर आज जिस तरह सांसद और पूर्व मंत्री समर्थक खुलकर आमने सामने आ कर कमेंट करते नजर आए वह सभी सभी बड्डा की मंशा के अनुरूप होता नजर आ रहा है। यह सब देख कर कांग्रेस टिकट के दावेदारों के यदि चेहरे खिल रहे है तो इसके लिए किसी और को दोषी ठहराना ठीक नहीं होगा। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट
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