मप्र में कांग्रेस ने गुड्डू का बदला संजय से लिया-
देहली/भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव नामांकन शुरू होते ही "आयाराम गयाराम" की राजनीति तेज हो गई है। 2 दिन पहले तेंदूखेड़ा विधायक संजय शर्मा को राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में एंट्री लेकर जो खेल शुरू हुआ था उसका जवाब कल भाजपा ने युवक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रेमचंद गुड्डू और उनके बेटे को भाजपा में लेकर बराबर कर दिया था। अब एक और संजय की भाजपा से कांग्रेस में एंट्री हो गई है। ऐसे में कांग्रेसी है कयास लगाने लगे हैं कहीं संजय नामधारी नेताओं को कांग्रेस की सत्ता में वापसी की दूरदृष्टि तो प्राप्त नहीं हो गई।
देहली में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साले और उनके बेटे कार्तिकेय के मामा संजय सिंह ने कांग्रेस में शामिल होकर दल बदल के खेल में फिर कांग्रेस को बढ़त दिला दी है। विधायक बनने की चाह में कमलनाथ का हाथ पकड़ कर संजय सिंह ने एक साथ कई दाव चल दिए हैं। यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो उनके पुराने क्रियाकलापों को लेकर कोई जांच-पड़ताल नहीं होगी। और यदि कांग्रेस विपक्ष में बैठती है तो कोई उंगली नहीं उठा सकेगा।
भाजपा की पहली सूची आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर से लेकर पूर्व मंत्री हिम्मत कोठारी सहित अनेक वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी क्या गुल खिलाएगी यह चुनाव परिणाम बताएंगे परंतु सीएम के साले की भरपाई भाजपा अब कांग्रेस के किस नेता के साले का पाला बदलवाकर लेगी इसका भी सभी को इंतजार है।
महाभारत काल से ही दूरदृष्टि माने जाते हैं संजय-
आपको याद होगा महाभारत युद्ध के समय में वह संजय ही थे जो अपनी दूरदृष्टि के जरिए दृष्टिहीन दुर्योधन और पुत्र मोह में आंखों पर पट्टी बांधे बैठी गंधारी को महाभारत युद्ध की जानकारी देते थे। तभी से इतिहास में दूरदृष्टि व्यक्तित्व के तौर पर दर्ज संजय नामधारी नेताओं की दूरदृष्टि की बात करे तो पिछले चुनाव के पहले तेंदूखेड़ा विधायक संजय शर्मा और चुनाव के बाद विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक भाजपा में शामिल होकर अपने नाम को सार्थक कर चुके है। तेंदूखेड़ा वाले संजय की कांग्रेस में वापसी हो चुकी है। वही कांग्रेस सरकार बनने पर विजयराघवगढ़ वाले संजय भी वापसी कर सकते हैं।
सत्ता परिवर्तन की दूर दृष्टि का असर तो नही यह ?
सीएम के साले संजय सिंह के कांग्रेस में एंट्री में लेने के मामले को यदि संजय नाम के नेताओ की दूर दृष्टि से जोड़ कर देखा जाए तो सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यही है कि क्या सचमुच मप्र में कांग्रेस का सत्ता का वनवास खत्म होने जा रहा है ? जो एक के बाद एक संजय नामधारी नेताओं को दूर दृष्टि से नजर आने लगा है। यदि ऐसा है तो भाजपा को भी संजय नामधारी नेताओं की पार्टी में एंट्री कराना होगी। तथा दोनों दलों को यह भी सावधानी बरतना चाहिए कि अब कोई संजय उन्हें छोड़कर नहीं जाने पाए। अटल राजेंद्र जैन
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