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खदान के पानी पर क्रेशर संचालक का कब्जा..! सहजपुर में पानी नहीं तो वोट नहीं के प्रस्ताव के बाद पहुंचे एसडीएम

चुनाव बहिष्कार की धमकी के बाद पहुंचे एसडीएम-
दमोह जबलपुर मार्ग पर तेंदूखेड़ा से 13 किमी दूर सहजपुर गांव में पीने के पानी की भीषण परेशानी से तंग आकर गांधी जयंती पर ग्राम सभा ने पानी नहीं तो वोट नहीं  किनारे के साथ प्रदर्शन करते हुए चुनाव बहिष्कार का प्रस्ताव पारित किया था। साथ ही इसकी जानकारी प्रशासन के उच्च अधिकारियों को प्रेषित की थी। उस समय अखबारों की सुर्खियों के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी यह मामला छाया रहा था।
ग्रामीणों की धमकी तथा विधानसभा चुनाव की अधि सूचना जारी होने के बाद कलेक्टर के निर्देश पर आज गुरुवार को तेंदूखेड़ा एसबीएम सहजपुर गांव पहुंचे। जहां उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा करते हुए उनकी समस्या को समझने का प्रयास किया। 
हालांकि हालात से हलाकान ग्रामीणों ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि जब तक यहां संचालित क्रेशर को बंद नहीं किया जाता तथा उनके लिए पानी का इंतजाम नहीं होता तब तक वह चुनाव बहिष्कार के निर्णय पर अटल रहेंगे।

खदानों में भरे पानी पर है क्रेशर वालों का कब्जा-
सहजपुर गांव में पानी की परेशानी की कहानी बहुत पुरानी है।  2 साल पूर्व पाटन-रहली  सड़क बनाने वाली कंपनी दिलीप बिल्डकॉन द्वारा सरकारी जमीन में मुरम, गिट्टी, पत्थर निकालने एक लंबी चौड़ी खदान खोदी गई थी। जिसने तभी से भरपूर पानी भरा रहता है। जिस पर अब जबलपुर के क्रेशर संचालक का कब्जा बना हुआ है।
ग्रामीणों का कहना है कि उनके लिए क्रेशर वाले पीने तक के लिए पानी नहीं भरने देते। जबकि ग्रामीण निस्तार एवं खर्च के लिए गंदा पानी तक लेने को तैयार हैं। ग्रामीणों का कहना है इस कंपनी को क्रेशर लगाने की अनुमति और लीज देने के पहले ग्राम पंचायत से एनओसी तक नहीं ली गई। और तत्कालीन कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा ने नियमों को ताक पर रखकर क्रेशर की अनुमति और लीज जारी कर दी।
क्रेसर परमिशन और लीज निरस्त करने की मांग-
 ग्रामीणों द्वारा इस क्रेशर को जारी की गई लीज निरस्त किए जाने, किन हालातों में लीज दी गई उसकी जांच किए जाने और खदान में भरे पानी का ग्रामीणों को भरपूर उपयोग करने का मौका दिए जाने की मांग प्रशासन से की है। एसडीएम महोदय को भी ग्रामीणों ने अपनी इस मांग से अवगत करा दिया है।

इधर इस मामले में जबलपुर के क्रेशर संचालक पवन जैन का कहना है की उनके द्वारा ग्रामीणों को पानी भरने से कभी नहीं रोका गया। गांव के पूर्व सरपंच गुड्डू दुबे द्वारा टैंकरों से पानी भर कर ईट भट्टों को सप्लाई किए जाने के मामले में जरूर रोक लगाई गई थी। उन्होंने क्रेशर की परमिशन और लीज भी नियमानुसार मिलने की बात कही है।

पत्थर को पीसकर रेत और गिट्टी बनाई जा रही है-
जबलपुर के MM ग्रुप की PVS कंपनी द्वारा यहां पर पत्थर को पीसकर रेत और गिट्टी बनाए जाने तथा खदान में भरे स्वच्छ जल में धोकर उसे दूषित किया जाता है। यहां पर क्रेशर संचालन की वजह से खेतों की उर्वरा शक्ति कम होने, धूल मिट्टी की वजह से पर्यावरण को नुकसान जैसी बात भी कही जा रही है।
इस क्रेशर की परमिशन और लीज के मामले में पूर्व कलेक्टर और अधिकारियों की मिलीभगत से हुए गड़बड़ झाले की जानकारी होनेे के बाद भी क्षेत्र के भाजपा कांग्रेस के नेता और जनप्रतिनिधि क्यों चुप्पी साधे हुए हैं। इन सब के खुलासे के साथ जल्द मिलते हैं। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट

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