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दमोह कोर्ट ने पति और ससुर को 5 साल की जेल और जुर्माना से दंडित किया.. दहेज प्रताड़ना के चलते माँ ने दो बेटियों के साथ कर ली थी अपनी जीवन लीला समाप्त..

पति और ससुर को 5 साल की जेल, और जुर्माना

दमोह: शहर की एक हृदय विदारक घटना में, अपनी दो मासूम बेटियों के साथ आत्महत्या करने वाली एक महिला के पति और ससुर को दमोह के अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार गुप्ता ने दोषी ठहराया है। अदालत ने भादवि की धारा 306 के तहत दोनों को 5 साल का कठोर कारावास और एक,एक हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। यह फैसला मृतक लता और उसकी बेटियों इशिका (5) और रिया (2) की दुखद मौत के बाद आया है, जिसमें महिला ने अपनी पुत्रियों सहित 2 नवंबर 2022 को फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी।

मामले का विवरण.. अभियोजन पक्ष की पैरवी कर रहे सरकारी वकील राजीव बद्री सिंह ठाकुर के अनुसार, लता का विवाह आरोपी हाकम उर्फ चीनू रजक से हुआ था, जिसके पिता दामोदर रजक हैं। शादी के बाद से ही, लता को दहेज की मांग के लिए लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। दो बेटियों के जन्म के बाद यह प्रताड़ना और भी बढ़ गई। आरोपी हाकम लता पर बेटियों को लेकर तरह-तरह के लांछन लगाता था और उसके साथ मारपीट करता था।

प्रताड़ना से तंग आकर की आत्महत्या.. प्रताड़ना से तंग आकर लता कुछ समय पहले अपनी बेटियों के साथ मायके चली गई थी। 30 अक्टूबर 2022 को उसके ससुर दामोदर रजक उसे वापस लेने आए और वादा किया कि अब उसे कोई परेशान नहीं करेगा। इस आश्वासन पर विश्वास करके लता के माता-पिता ने उसे वापस ससुराल भेज दिया। हालांकि, घर पहुंचते ही आरोपीगण ने फिर से लता को परेशान करना शुरू कर दिया, जिससे वह टूट गई और आखिरकार उसने अपनी दो बेटियों के साथ फांसी लगा ली।

अदालत का फैसला..पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें अदालत में पेश किया। अभियोजन पक्ष ने अपने दावे को सिद्ध करने के लिए 14 गवाह पेश किए।  वहीं, बचाव पक्ष ने दो गवाहों के साथ यह तर्क दिया कि लता मिर्गी की मरीज थी और इसी वजह से उसने आत्महत्या की। लेकिन, न्यायाधीश ने इस तर्क को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि मिर्गी के दौरे में व्यक्ति बेहोश हो जाता है, ऐसे में वह खुद और अपनी बेटियों को फांसी नहीं लगा सकती। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि अगर आरोपियों के लता से मधुर संबंध होते, तो वह बीमारी के बावजूद आत्महत्या क्यों करती।

न्यायालय ने सरकारी वकील राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों एवं साक्षियों को विश्वसनीय मानते हुए आरोपियों को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी पाते हुए कठोर दंड सुनाया।

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