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गणाचार्य श्री विराग सागर जी का प्रथम समाधि स्मृति दिवस.. पथरिया में पट्टाचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के सानिध्य में मनाया गया.. विरागोदय तीर्थ में चातुर्मास कलश स्थापना 12 को..

 गणाचार्य श्री विरागसागर जी का प्रथम समाधि स्मृति दिवस

दमोह। पथरिया:में बुंदेलखंड के प्रथम दिगम्बर आचार्य श्री विराग सागर जी महराज की जन्मस्थली पथरिया में प्रथम समाधि के दिन स्मृति दिवस के रूप में अतिशय क्षेत्र श्री पार्श्वनाथ जैन बड़े मंदिर के विशाल प्रांगण में प्रातःकाल की बेला में पट्टाचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी ससंघ के मंगल सानिध्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ भोपाल से आए पूर्व कलेक्टर सुरेश जैन, न्यायमूर्ति विमला जैन, अरुण कोडरिया अहमदाबाद,गौरव जैन सागर ने किया। समाधि सम्राट आचार्य विराग सागर जी के चरण चिन्ह का प्रक्षालन भी बाहर से पधारे अतिथियों को प्राप्त हुआ। जैनाचार्य विराग सागर जी की मंगल संगीतमय पूजन का अवसर भी भक्तों को प्राप्त हुआ। सुरेश जैन, अरुण कोटाडिया, बापू जैन ने अपनी भावभीनी विनयांजलि अर्पित की।
आचार्य विशुद्ध सागर जी ने आज स्मृति दिवस के अवसर अपने हृदय के उदगार व्यक्त किए जिसमें उन्होंने अपने दीक्षा गुरु विराग सागर जी से जुड़े हुए कई संस्मरण सुनाए पथरिया में जन्मे बेटे अरविंद ने धर्म संस्कारो से ऐसी नींव भरी की आज श्रमण परंपरा का आज विशाल महल खड़ा कर दिया 400 से अधिक जैनेश्वरी दीक्षाएं प्रदान की जो आज पूरे विश्व में धर्म की प्रभावना कर रहे है।बुंदेलखंड की पावन भूमि के पथरिया ग्राम में अवतरित अध्यात्म,मानवता की प्रतिमूर्ति 350 ने पूरे भारत में 2 लाख किलोमीटर पैदल चलकर अहिंसा व्यसन मुक्ति, शाकाहार, भारत निर्माण की भावना लेकर अलख जगाई। अनोखे संत जिनका संपूर्ण जीवन आध्यात्मिक प्रेरणा से भरा रहा। उनके जीवन का हर अध्याय, अद्भुत ज्ञान, असीम करुणा और मानवता के उत्थान के लिए उनकी सौम्य दृष्टि और दिव्य मुस्कान प्रेरित करने वाली थी। उनका आशीर्वाद आनंद से भर देने वाला था, जो हमारे अंतर्मन के साथ-साथ पूरे वातावरण में उनकी दिव्य उपस्थिति का अहसास करा रहा था। उनका जाना उस अद्भुत मार्गदर्शक को खोने के समान है, जिन्होंने मेरा और अनगिनत लोगों का मार्ग निरंतर प्रशस्त किया है। 
संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विधासागर जी महाराज के संस्मरण में कहा कि जब बालक अरविंद कटनी के जैन संस्कृत विद्यालय में शिक्षा अध्ययन कर रहे तब आचार्य श्री का स्वास्थ्य खराब होने पर दिन रात सेवा व्यावृत्ति करते थे तभी उनके मन में वैराग्य उमड़ गया और घर का रास्ता भूल गए। सन 1990 में पथरिया के पंचकल्याणक में आचार्य विद्यासागर जी एवं मुनि विराग सागर जी के संयुक्त सानिध्य में ऐतिहासिक संपन्न हुआ। लगभग 2 घंटे की मंगल देशना में पूज्य पट्टाचार्य ने अनेक संस्मरण सुनाए साथ ही कहा गुरु के बारे में बोलने मेरा सामर्थ्य नहीं नहीं घंटों तो क्या कई दिनों का समय भी बोलने मिले तो पूरा नहीं सुनाया जा सकता है। सभी की भावना अनुरूप चातुर्मास की मंगल कलश स्थापना का आयोजन 12 जुलाई को विरागोदय तीर्थ धर्म में आयोजित होगा जिसमें पूरे देश से हजारों की संख्या में भक्त शामिल होंगे।

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