क्रिश्चियन कॉलोनी में बच्चों के धर्मांतरण का खेल
दमोह। जिला मुख्यालय पर एक धर्मांतरित शख्स के संरक्षण में उसके ही निवास से दूसरे जिलों के दर्जन भर बच्चों को बरामद करके बाल कल्याण आयोग सागर की टीम के सुपुर्द किया गया है। दरअसल बाल कल्याण आयोग सूचना मिली थी कि यहां पर बाहरी बच्चों को धर्म विशेष की शिक्षा देकर धर्मांतरण के लिए तैयार किया जा रहा है इसके बाद पुलिस के द्वारा महिला बाल विकास की टीम के साथ यहां पर सर्चिंग कार्रवाई करते हुए दर्जन पर बच्चों को बरामद किया गया।
दमोह
कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत क्रिश्चियन कालोनी निवासी प्रवीण शुक्ला के घर पर
बीती रात पुलिस टीम ने दस्तक देकर जब उनके यहां अवैध रूप से संचालित
हॉस्टल तथा उसमें निवासरत बच्चों के संदर्भ में जानकारी मांगी तो पूर्व से
धर्मांतरित प्रवीण शुक्ला पुलिस को सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का हवाला
देकर गुमराह करने की कोशिश करने लगा वहीं पुलिस ने जब सर्चिंग की बात कही
तो उसने अपने वकील को बुला लिया। इसके बाद पुलिस ने बाल कल्याण आयोग के
पूर्व सदस्य एडवोकेट दीपक तिवारी तथा महिला बाल विकास की टीम को मौके पर
बुलाकर जब सर्चिंग की तो प्रवीण शुक्ल के मकान में निवासरत एक दर्जन बच्चे
मिले। जिन को यहां पर छात्रवासी बनाकर रखने के संदर्भ में कोई दस्तावेज
उपलब्ध नहीं कराए गए। उसके बाद कोतवाली पुलिस बच्चों को शासकीय छात्रावास
में ले गई वही पूछताछ के लिए प्रवीण शुक्ला को कोतवाली ले जाया गया।
मामले
में बाल कल्याण आयोग के पूर्व सदस्य एडवोकेट दीपक तिवारी ने बताया कि आयोग
को यहां पर बाहरी बच्चों को लाकर उनके धर्मांतरण की जानकारी मिली थी जिसको
लेकर आयोग के द्वारा एक पत्र पुलिस विभाग को भेज कर कार्रवाई की अनुशंसा
की गई थी। जिस पर पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही में दूसरे जिलों के 12
बच्चे यहां से बरामद किए गए हैं। हालांकि इस मामले में भवन संचालक प्रवीण
शुक्ला का कहना है कि यह बच्चे नव जागृति स्कूल में पढ़ते थे तथा यहां पर
छात्रवासी के तौर पर निवासी थे लेकिन छात्रावास संचालन की परमिशन नहीं होने
की बात उनके द्वारा कही गई है। जबकि इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कोतवाली
टीआई आनंद राज अपनी आदत के अनुसार गोल-मोल जवाब देते हुए नजर आए। यहां
उल्लेखनीय की जबलपुर नाका चौकी अंतर्गत ग्वारी में भी इसी तरह की कार्यवाही
की खबर आने के बावजूद फिलहाल कोई अधिकृत जानकारी सामने नहीं आई है।
फिलहाल
इस मामले में पुलिस अधिकारी भी साफ तौर पर बोलने से बचते नजर आ रहे हैं
जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि मामले को जांच के नाम पर लटकाने की तैयारी चल
रही है। वही बच्चों को बाल आयोग सागर के सुपुर्द कर दिए जाने से बच्चों के
द्वारा क्या कुछ बयान दिए गए यह भी साफ नहीं हो सका है। कुल मिलाकर मामला
बाहरी बच्चों को दमोह लाकर मिशनरी शिक्षा देने और धर्मांतरण से जुड़ा होने
की संभावना को इस कारण से भी बल मिलता नजर आ रहा है क्योंकि जिस व्यक्ति के
निवास से इन बच्चों को बरामद किया गया है उसके पूर्वधर्मांतरित होने तथा
उसके द्वारा राजपुर क्षेत्र में आदिवासियों को धर्मांतरित किए जाने जैसे
आरोप लगाते रहे हैं।
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